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छत्तीसगढ़ में 25 लाख पक्के शौचालयों के मुकाबले बीते डेढ़ वर्षों में 3 लाख 20 हजार शौचालयों का निर्माण हुआ है। जाहिर है कि छत्तीसगढ़ को अभी करीब 22 लाख पक्के शौचालयों की दरकार है। यहाँ 27 में तीन जिले राजनांदगाँव, धमतरी और कोरिया स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता अभियान की रैंकिंग में जगह बना सके।
सरकारी दस्तावेजों में सात हजार से ज्यादा गाँव आज भी खुले में शौच कर रहे हैं। मगर सरकार का दावा है कि 2018 के अन्त तक पूरे प्रदेश को शौच से मुक्ति दिला दी जाएगी। इसके लिये मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बीते दिनों प्रधानमंत्री उज्जवला योजना और रसोई गैस के वितरण में खुले से शौच-मुक्त विकास-खण्डों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।
मिशन के तहत अब तक 130 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। शौचालय निर्माण पर अतिरिक्त सब्सिडी राज्य बजट से देने के लिये इस वर्ष 100 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।
शौचालय फैला रहे गन्दगी
राजधानी रायपुर के नेहरू नगर में निगम ने लोगों के घरों में निजी शौचालय का निर्माण किया। ठेकेदार द्वारा जो टॉयलेट बनाए गए हैं, उसके सेप्टिक टैंक सीमेंट कंक्रीट की बजाय ईंटों की चुनाई करके बनाए गए हैं।
शौचालयों के पानी को सीधे नाली में गिराने की व्यवस्था की गई है। इसके चलते ऐसी जगहों से भयंकर बदबू आ रही है। वहीं, गरियाबन्द जिले से 17 किमी दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत के फुलकर्रा में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने बीते दिनों अपने घर का सारा अनाज शौचालय बनवाने के लिये बेच दिया।
ग्राम पंचायत सचिव का कहना था कि उनके पास बजट नहीं है तो कहाँ से शौचालय बनवाएँ? शासन से पैसा मिलते ही हितग्राहियों को भुगतान किया जाएगा।
सांसद-विधायकों के गाँवों पर ही जोर
शौचालय निर्माण के मामले में जिला प्रशासन का ज्यादातर फोकस सांसद-विधायकों आदर्शग्राम पंचायतों पर रहा। जैसे दुर्ग जिले के दोनों सांसद आदर्श ग्राम मोहलाईव मचांदूर और विधायक आदर्श ग्रामकोड़िया, ढौर और कौही को ही खुले में शौच से मुक्त कराया जा सका है।
इस्तेमाल करने वालों का सर्वे नहीं
शासन ने गाँव में शौचालय तो बनवा दिये हैं, लेकिन इनका उपयोग नहीं करवा पा रही है। जैसे बिलासपुर जिले की किसी भी जिला पंचायत ने अभी तक उपयोग-विहीन शौचालय का सर्वे नहीं कराया। वहीं, अधिकारी भी घरों में बनाए गए शौचालयों का उपयोग करने के लिये लोगों को प्रेरित नहीं करवा पा रहा है।
पंच-सरपंच भी पीछे
उदाहरण के लिये जगदलपुर जिले के तोकापाल ब्लाक में कुल 68 ग्राम पंचायत हैं, जिनके 374 पंच और सरपंच ने अब तक अपने घर में शौचालय का निर्माण नहीं किया है। इसी तरह, प्रदेश के 40 फीसदी पंच और सरपंचों ने अब तक अपने घर में शौचालय नहीं बनाया है।
लोगों का कहना है
बिलासपुर जिले के देवरीखुर्द निवासी राजेश विश्वकर्मा बताते हैं कि शासन द्वारा इतनी कम राशि दी जा रही है कि इसमें शौचालय बना पाना सम्भव नहीं है। भरनी निवासी राम गोपाल ने बताया ज्यादातर घरों में शासन की प्रोत्साहन राशि की मदद से बने शौचालयों में आज कबाड़ या कण्डे भरे पड़े हैं।
इस वर्ष दस लाख 95 हजार परिवारों के लिये शौचालय बनाने का लक्ष्य है। उपयोग में नहीं आने वाले शौचालयों के बारे में भी निगरानी की व्यवस्था तैयार करेंगे...एम. गीता, राज्य स्वच्छ भारत मिशन संचालक (ग्रामीण)
जमीन सच्चाई
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वच्छता को लेकर चलाई जा रही महत्त्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) में भी स्वच्छता के क्षेत्र में पूर्व में चलाई गई निर्मल भारत अभियान जशपुर जिले के कई ग्रामों में कागजी साबित हो रहा है। कागजों में ही ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ बनाने की कोशिश जारी है। इसका एक नमूना सरगुजा की जाँच टीम और पड़ताल से सामने आया था। दिसम्बर महीने में सम्भागीय टीम जशपुर के ओडीएफ ग्रामों का दौरा कर स्थिति का खुलासा किया था।
इस मामले में सर्वसुविधाओं से युक्त करने के लिये विधायक द्वारा गोद लिये गए ग्राम पंचायत के एक ऐसे आश्रित ग्राम को ओडीएफ (ओपन डिफिकेशन फ्री, खुले में शौच मुक्त) घोषित कर दिया गया है, जहाँ एसबीएम के नियमों के मुताबिक 90 प्रतिशत शौचालयों का निर्माण ही नहीं किया गया है।
यह स्थिति दुलदुला विकासखण्ड के विधायक आदर्श ग्राम पंचायत जामपानी के आश्रित ग्राम सालामाली की है। यहाँ अधिकांश घरों में शौचालय ही नहीं हैं। गिनती के कुछ घरों में लीचपीट तक शौचालय का निर्माण कराया गया है और कुछ शौचालयों में छत ही नहीं हैं, कई घरों में शौचालय का निर्माण शुरू भी नहीं हुआ है।
इस ग्राम पंचायत को कुनकुरी के विधायक रोहित साय ने गोद लिया है। उक्त ग्राम पंचायत के जामपानी और टेढ़ापहाड़ में तो कुछ हद तक शौचालय के निर्माण की स्थिति ठीक है, लेकिन सालामाली की स्थिति बेहद ही चौंकाने वाली है। उक्त तीनों ग्रामों को एक ही साथ 30 अक्टूबर को विधायक रोहित साय, कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता और जिला पंचायत सीईओ दीपक सोनी की उपस्थितिमें ओडीएफ घोषित कर दिया गया, जिसमें अतिथियों ने उन ग्रामीणों को स्वच्छता की शपथ दिलाई जिनके घरों में शौचालय की नींव तक नहीं डली है।
ग्रामीण ने स्वयं ही बनाया ईंट
बीए पास एक युवक जगदेव ने बताया कि ग्राम पंचायत की ओर से उसे और अन्य ग्रामीणों को मात्र 150 ईंट शौचालय के निर्माण के लिये दिया गया था। उतने ईंट से उसने खुद से शौचालय की सेप्टिक टंकी बनाई और घर में रखे पुराने ईंट से शौचालय की दो फीट की दीवार बनाया। कोई विकल्प मौजूद नहीं होने की स्थिति में उसने अपने खेत में ही ईंट बनाना शुरू कर दिया। 10 दिनों में उसने 100 ईंटें बनाया और वह भी बारिश की वजह से धुल गई।
इसी तरह सीताराम ने बताया उसने सीमेंट मंगाकर ईंट बनाया और खुद से शौचालय बनाया लेकिन वह शौचालय में शेड नहीं लगा पाया है। जाँच टीम ने कहा कि ग्रामीण बाहर जा रहे शौच, स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2019 तक देश को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इस लक्ष्य को पूरा करने में सरकारी महकमा की ओर से निचले स्तर के कर्मचारियों को ओडीएफ के लिये टारगेट दिया जा रहा है।
इसी टारगेट को पूरा करने के लिये विधायक आदर्श ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम सालामाली की स्थिति को नजरअन्दाज कर जल्दबाजी में ओडीएफ घोषित कर दिया गया। सरगुजा से आई ओडीएफ ग्रामों की जाँच टीम ने भी कहा है, सालामाली में कई शौचालय अभी निर्माणाधीन है, कुछ शौचालयों की निर्माण की शुरुआत भी नहीं हुई है। कुछ शौचालय का लीचपीट का निर्माण नहीं हुआ है। कोई भी शौचालय पूर्ण नहीं हुआ है। लगभग सभी ग्रामीण शौच के लिये बाहर जा रहे हैं। इसके बाद भी इसे ओडीएफ घोषित कर दिया गया है।
विकासखण्ड, जिला और सम्भाग स्तर की टीम ओडीएफ की जाँच के लिये गठित की गई है। पूरी तरह जाँच के बाद ही ओडीएफ ग्राम माना जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर गड़बड़ी की सतत निगरानी हो रही है... दीपक सोनी, सीईओ, जिला पंचायत