32 हजार साल के मौसम का अध्ययन, सुलझेंगे रहस्य

Submitted by Hindi on Sat, 03/21/2015 - 10:39
Source
कल्पतरु समाचार, 21 मार्च 2015

समुद्र में आने वाले पदार्थों के आधार पर ये पता लगाया गया कि परिवर्तन किस प्रकार आ रहा है और आगे कैसे परिवर्तन होगा। उन्होंने बताया कि शोध में 32 हजार साल से अब तक अलग-अलग समय में मौसम कैसा रहा होगा, इस पर अध्ययन किया जा रहा है। इसके सहारे भविष्य में मौसम में किस प्रकार परिवर्तन होगा इसका भी पता लगाया जा सकता है। इसकी मदद से भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए हम पहले से तैयारी कर सकते हैं।

कभी विचार किया है कि बीते कुछ दशकों में मौसम में अचानक परिवर्तन की वजह क्या है। क्या पहले भी कभी ऐसा मौसम हुआ है। यदि ऐसा मौसम पहले भी रहा है तो उसकी वजह क्या रही। मौसम परिवर्तन के ये रहस्य अब अतीत के अध्ययन से सुलझाए जाएंगे। इलाहाबाद विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसएस दास समुद्री अध्ययन के जरिए मौसम परिवर्तन के रहस्य को सुलझाने में जुटे हैं। शुक्रवार को सेंट जोन्स कॉलेज में भूमि एवं जल संरक्षण पर आयोजित सेमिनार पेपर प्रजेन्ट करने पहुँचे डॉ. दास ने बताया इस अध्ययन से मौसम परिवर्तन को लेकर भविष्य में आने वाली तमाम चुनौतियों से निपटा जा सकता है।

डॉ. दास ने बताया कि मौसम परिवर्तन के ये रहस्य अतीत में छिपे हुए हैं। यदि हमें पता चल जाए कि क्या भविष्य में भी कभी इतनी गर्मी रही थी। यदि गर्मी रही थी तो किस वजह से ये गर्मी रही थी। इन सब सवालों के जवाब ही मौसम परिवर्तन के रहस्य को सुलझा सकते हैं। डॉ. दास ने बताया कि उन्होंने भूमि और समुद्र को जोड़ते हुए अपना काम शुरू किया है। शोध के दौरान उन्होंने इस बात का खास ध्यान रखा कि किस मौसम में कौन सा खनिज भूमि से समुद्र में जा रहा है। तेज बारिश के दौरान समुद्र में क्या आ रहा है और सूखा होने पर समुद्र के अंदर कौन से खनिज मिल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि अरब सागर पर किए गए अध्ययन में इस बात का भी ध्यान रखा गया, सूखा होने पर कौन से खनिज समुद्र में आए। उन्होंने बताया कि समुद्र में आने वाले पदार्थों के आधार पर ये पता लगाया गया कि परिवर्तन किस प्रकार आ रहा है और आगे कैसे परिवर्तन होगा। उन्होंने बताया कि शोध में 32 हजार साल से अब तक अलग-अलग समय में मौसम कैसा रहा होगा, इस पर अध्ययन किया जा रहा है। इसके सहारे भविष्य में मौसम में किस प्रकार परिवर्तन होगा इसका भी पता लगाया जा सकता है। इसकी मदद से भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए हम पहले से तैयारी कर सकते हैं।

इलाहाबाद विवि के डॉ. दास कर रहे हैं मौसम परिवर्तन पर शोध समुद्र के अध्ययन से निकालेंगे निष्कर्ष