
पूर्व में दिए गए निर्णय को 1 वर्ष का समय होने को आया परन्तु जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, व ए.डी.ए. के अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने में लगे रहे। इस बीच सैकड़ों बीघा जमीन पर पक्के निर्माण की शिकायतें कोर्ट पहुँची। कोर्ट के कार्यवाही के डर से ए.डी.ए. सक्रिय हुआ उसने दारागंज में गंगा किनारे अवैध निर्माण पर कार्यवाही कर लॉज पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीकरण कर दिया और आस-पास के इलाकों में भी अवैध निर्माण कार्य रुकवा दिया है। ए.डी.ए. के सचिव प्रदीप कुमार ने कहा कि ए.डी.ए. के पास तकनीकी दक्षता नहीं थी जिस कारण सीमांकन कार्य में देरी हुई। जिला प्रशासन ने कोर्ट में 1978 की बाढ़ के क्षेत्र का जो ब्योरा पेश किया है उसी आधार पर सीमांकन कराया जाएगा। इसके लिए डिजिटल मैप की जरूरत है। इस कार्य के लिए अब इलाहाबाद के ट्रिपल आई.टी से भी मदद ली जाएगी। गंगा बेसिन मैनेजमेंट प्लान में लगी आई.आई.टी कानपुर की टीम से भी सलाह ली जाएगी। इलाहाबाद के नए जिलाधिकारी अनिल कुमार ने शनिवार को गंगा की जमीन के सीमांकन के लिए 5 सदस्य कमेटी बना दी है। इसके अध्यक्ष ए.डी.ए. के संयुक्त सचिव बैजनाथ होंगे। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद यह कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी बाढ़ क्षेत्र तय करने और उसके मौलिक चिह्नांकन की कार्यवाही की जिम्मेदारी निभाएगा।
गंगा यमुना तट के समीप शहर व गांव में अधिकतम बाढ़ क्षेत्र बताने वाले पिलर गाड़े जाएंगे इसकी तैयारी शुरू हो गई है। यह कार्य सबसे पहले झूंसी से शुरू होगा। बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन कार्य में रेलवे, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन एवं अन्य सस्थाओं की मदद ली जाएंगी।
हाईकोर्ट ने अपने पूर्व निर्देश जिसमें गंगा यमुना तटों पर शीघ्र ही 8 पक्के घाटों के निर्माण के लिए भी सर्वेक्षण व तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की थी उस पर दिनांक 23 अप्रैल 2012 को सुनवाई में गंगा घाटों के बनने पर रोक लगा दी है और घाटों का निर्माण बैराज बने बिना कैसे संभव है इसकी जानकारी भी सरकार को उपलब्ध कराने को कहा है। वहीं यमुना के तट पर पक्के घाट का निर्माण कार्य जारी रखने को कहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर कानपुर की चमड़े उद्योग की टेनरियों के गंदे पानी के निस्तारण के संदर्भ में सरकार से जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।