स्वजल परियोजना के तहत जल्द ही प्रदेश के प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाने के लिये ठोस प्रयास किये जाएँगे। राज्य में सूख रहे पारम्परिक जलस्रोतों के संवर्द्धन और उनके पुनर्जीवन के लिये चार करोड़ 18 लाख की योजना को स्वीकृति दी जा चुकी है। योजना के तहत 11 जिलों की 104 ग्राम पंचायतों के 110 जलस्रोतों को चिन्हित किया गया है। ये जलस्रोत सूखने की कगार पर पहुँच चुके हैं। खास बात यह कि पहले चरण में एनआरडीडल्ब्यूपी (नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम) के तहत इन कार्यों को सम्बन्धित ग्राम पंचायतें स्वयं अपनी उप समिति के माध्यम से करेंगी।
राज्य में प्राकृतिक स्रोतों के कम होते डिस्चार्ज के कारण पेयजल संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में जल संवर्द्धन के प्रयास बेहद जरूरी हो गये हैं। इसी संकट से निपटने के लिये मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 25 मई, 2017 को पेयजल योजनाओं के जलस्रोत और पारम्परिक जलस्रोतों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया था। 11 जिलों की योजनाओं में से पाँच जिलों के लिये वित्तीय स्वीकृति भी मिल चुकी है। इन जिलों में नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, पौड़ी और टिहरी शामिल हैं। अन्य जिलों के स्रोतों के संरक्षण के लिये भी जल्द वित्तीय स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
681 योजनाओं पर हुआ काम, परिणाम का पता नहीं
राज्य में जलस्रोतों के संवर्द्धन को लेकर इसे पहले भी स्वजल परियोजना के तहत वर्ष 2010-16 तक काम किया जा चुका है। स्वजल के सलाहकार डॉ. रमेश बडोला ने बताया कि विश्व बैंक पोषित कार्यक्रम के अन्तर्गत कुल 681 पेयजल परियोजनाओं के तहत कुल 1700 चेकडैम, 8385 मीटर कंटूर ट्रेंच 8505 घनमीटर दीवार बन्दी, 206 चाल-खाल बनाये गये हैं। इसके अलावा दो लाख नौ हजार 790 पौधों का रोपण, 101 परकोलेशन टैंक, 1338 रिचार्ज पिट व 1330 वर्षाजल संग्रहण टैंकों का निर्माण किया जा चुका है।
एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत अन्य चरण में 1711 जलाशय, 101 चेकडैम, 60 चाल-खाल, 82 परकोलेशन पॉन्ड, 19 पेयजल योजनाओं के पुनरुद्धार के लिये कार्य किया गया है। हालांकि इनसे जल संवर्द्धन की दिशा में कितना फायदा पहुँचा है, इसकी अभी कोई जानकारी नहीं है।
जल संवर्द्धन के लिये इन बिन्दुओं पर होगा काम
पौधारोपण, चाल-खाल, रिचार्ज पिट, कंटूर ट्रेंच, चेकडैम, परकोलेशन टैंक, दीवार बन्दी बनाकर जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिये काम किया जायेगा।
हमसे साझा करें अपनी पहल
यदि आप भी उन जल योद्धाओं में शामिल हैं, जो बूँद-बूँद पानी बचाने और जलस्रोतों को रिचार्ज करने की दिशा में काम कर रहे हैं तो अपने प्रयास को जागरण के साथ साझा कीजिए। हम आपके प्रेरणादायी प्रयास को मंच प्रदान करेंगे ताकि अधिक-से-अधिक लोग जलदान की इस मुहिम से प्रेरणा ले सकें। जल बचाने व उसके संरक्षण की मुहिम से जुड़े लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग, जलस्रोतों को रिचार्ज करने, चाल-खाल, तालाब आदि के संरक्षण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को साझा कर सकते हैं। इसके अलावा शहर में कहीं पर पेयजल लाइन में लीकेज आदि नजर आती है तो यह जानकरी भी हमें उपलब्ध करायें। हम प्रकरण को जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में लाकर उसे दुरुस्त करवाने का बीड़ा उठाएँगे। निम्न मो. नम्बर पर व्हाट्सएप कर जानकारी साझा की जा सकती है।
(मो. 9897588552, 9997454264)
स्वजल परियोजना के तहत किये जाने वाले कार्य का विवरण |
|||
जनपद |
ग्राम पंचायत |
जलस्रोत |
लागत |
नैनीताल |
07 |
10 |
34.17 |
पिथौरागढ़ |
09 |
10 |
38.04 |
देहरादून |
10 |
10 |
50.44 |
रुद्रप्रयाग |
10 |
10 |
33.88 |
उत्तरकाशी |
10 |
10 |
47.66 |
बागेश्वर |
10 |
10 |
39.38 |
चम्पावत |
10 |
10 |
36.34 |
अल्मोड़ा |
10 |
10 |
29.81 |
पौड़ी |
10 |
10 |
40.47 |
टिहरी |
08 |
10 |
34.24 |
चमोली |
10 |
10 |
34.14 |
कुल |
104 |
110 |
418.62 |
नोट: लागत लाख रुपए में |