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राष्ट्रीय सहारा ( संडे उमंग), 28 दिसम्बर 2014
द ग्रेट बैरियर रीफ समुद्र के नीचे एक रंगीन और विविधता से भरी दुनिया है। यहाँ बेहद नाज़ुक पारिस्थितिकी कोरल, शैवाल, मछली, केकड़े और शार्क के जटिल सहजीवी सम्बन्ध पाया जाता है। समुद्र के नीचे की इस जादुई दुनिया में रीफ में रहने वाले अद्भुत जन्तु एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा और सहयोग करते हैं। मछलियों का शिकार करने वाले खतरनाक घोंघे से लेकर शार्क तक और लड़ने वाले कोरल व पैरट मछली तक जो हर रात अपने सोने के लिए बैग बुनती है, के बारे में जानना बहुत अद्भुत अनुभव है।
आस्ट्रेलिया के उष्ण कटिबन्धीय तटीय इलाके में 2 हजार किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला द ग्रेट बैरियर रीफ (मूंगे की चट्टानें) पृथ्वी पर सबसे बड़ा जीवित ढाँचा है। यह दुनिया में मान्यता प्राप्त सात अजूबों में से एक है। यह तीन हजार विभिन्न रीफ से मिलकर बना है। कोरल रीफ उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र के उसी इलाके में पाई जाती है, जहाँ पानी में अच्छी तरह धूप जाती है।
यह दुनिया भर के महासागरों के एक फीसदी से भी कम क्षेत्र में फैली है, लेकिन ये इतने विशेष और अद्भुत हैं कि करीब 25 फीसदी समुद्री जन-जीवन इन्हीं में निवास करते हैं। द ग्रेट बैरियर रीफ इन सभी में सबसे बड़ी है। यहाँ बड़ी संख्या में समुद्री जीव रहते हैं और अधिक संख्या में इनकी मौजूदगी रीफ को उतनी ही जटिल बनाती है, जितनी जटिल 2000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला कोई शहर हो सकता है।
यह भव्य ढाँचा बना है पॉलिप नाम के छोटे जन्तुओं से मिलकर। प्रत्येक पॉलिप पत्थर के कप में बैठी एक उल्टी जेली फिश की तरह होती है। ये जन्तु एक साथ कॉलोनी के तौर पर रहते हैं। जैसे पानी के नीचे टावर ब्लॉक हों। ये तापमान, लहरों और चाँद व सूर्य चक्र के प्रति संवेदनशील होते हैं और इनकी छोटी-छोटी गतिविधियाँ ही हर कॉलोनी को उसकी एक लय देती है।
पॉलिप अकेले दम पर रीफ का निर्माण नहीं कर सकते इसके लिए उन्हें ऐसे साझेदारों की दरकार होती है, जो आकार में उनसे भी छोटे होंं। हर पॉलिप के जन्तुओं में कई करोड़ छोटे भूरे रंग के बिन्दु होते हैं। ये बिन्दु सूक्ष्म पौधे होते हैं, जो सूर्य की रोशनी को कोरल के लिए भोजन व ऊर्जा में तब्दील करते हैं।
यह साझेदारी बेहद चमत्कारिक होती है, जो पानी में मौजूद खनिजों को चूने में बदलने में कोरल की मदद करती है और इसी चूने से रीफ का ढाँचा बनता है। इसी तरह कॉलोनी अपना विकास करती है।
यहाँ सबसे सामान्य जन्तु है मछलियाँ। ये मछलियाँ कोरल, पौधे, प्लैंकटन खाती हैं। दिलचस्प है कि यहाँ शिकारी भी मछलियाँ हैं और शिकार भी। सिल्वर बेट फिश चौबीसो घण्टे सतर्क रहती है। ये मछलियाँ हजारों छोटे शीशों की तरह चमकती हैं और किसी भी शिकारी को भ्रमित करने के लिए अप्रत्याशित ढंग से फूल जाती हैं।
यहाँ रहने वाली मछलियाँ ऐसी है, जो लगातार बदलने वाले दृश्य पेश करती हैं, लेकिन सिर्फ एक ही मछली ऐसी है जो भौतिक तौर पर रीफ के पाषाण ढाँचे में खुद बदलाव लाती है। यह मछली है बम्प हैडेड पैरट फिश, जो एक छोटे भेड़ के आकार की होती है। उसके थूथन और जबड़े की विशालकाय मांसपेशियाँ बहुत सख्त होती हैं, जो एक बोल्ट कटर की तरह काम करती हैं।
देखने में ऐसा लगता है कि वे कोमल शैवाल कोरल पॉलिप का भोजन करती हैं, लेकिन इन्हें खाने के लिए उन्हें कोरल चट्टान का एक टुकड़ा काटना ही पड़ता है। इसके बाद इन मछलियों के अन्दरूनी दाँत कोरल को एक पोस्ट में तब्दील करते हैं। एक बम्प हैड अकेले ही साल भर में पाँच टन तक कोरल चट कर जाती है। और फिर रीफ पर रेत के रूप में इसका मल त्याग करती हैं। जैसे-जैसे रीफ बढ़ती है वैसे ही पैरट फिश इसे तोड़ती रहती है, जिससे लगातार यहाँ का पर्यावरण बदलता रहता है।
दिन में दो बार ऐसा होता है, जब तक ग्रेट बैरियर रीफ में रहने वाले जीव जन्तुओं को भारी उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है। चाँद की लय से लहरों में उफान आता है। और रीफ से पानी निकल जाता है। सबसे नीची लहर के दौरान पानी निकल जाता है और आमतौर पर पानी के नीचे रहने वाले जीवित कोरल के जन्तुओं तक भी धूप पहुँच जाती है।
जब बाहर आए जन्तु गर्म होने लगते हैं, तो छोटे पॉलिप सुरक्षा और म्यूकस निकालने के लिए अपने पाषाण ढाँचों में वापस लौट जाते हैं। यह सनस्क्रीन की तरह काम करता है और मात्रा में किसी तरह की कंजूसी नहीं होती है। एक कॉफी टेबल के आकार के क्षेत्र में मौजूद ये पॉलिप 5 लीटर तक म्यूकस दे सकते हैं।
जीव जन्तुओं की ऐसी ही अद्भुत स्वभाव और व्यवहारों के बारे और जानकारी के लिए एनिमल प्लैनेट पर हर रात आठ बजे देखें ‘वाक विद द वाइल्ड’
आस्ट्रेलिया के उष्ण कटिबन्धीय तटीय इलाके में 2 हजार किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला द ग्रेट बैरियर रीफ (मूंगे की चट्टानें) पृथ्वी पर सबसे बड़ा जीवित ढाँचा है। यह दुनिया में मान्यता प्राप्त सात अजूबों में से एक है। यह तीन हजार विभिन्न रीफ से मिलकर बना है। कोरल रीफ उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र के उसी इलाके में पाई जाती है, जहाँ पानी में अच्छी तरह धूप जाती है।
यह दुनिया भर के महासागरों के एक फीसदी से भी कम क्षेत्र में फैली है, लेकिन ये इतने विशेष और अद्भुत हैं कि करीब 25 फीसदी समुद्री जन-जीवन इन्हीं में निवास करते हैं। द ग्रेट बैरियर रीफ इन सभी में सबसे बड़ी है। यहाँ बड़ी संख्या में समुद्री जीव रहते हैं और अधिक संख्या में इनकी मौजूदगी रीफ को उतनी ही जटिल बनाती है, जितनी जटिल 2000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला कोई शहर हो सकता है।
पॉलिप नामक जन्तुओं ने बनाया ढाँचा
यह भव्य ढाँचा बना है पॉलिप नाम के छोटे जन्तुओं से मिलकर। प्रत्येक पॉलिप पत्थर के कप में बैठी एक उल्टी जेली फिश की तरह होती है। ये जन्तु एक साथ कॉलोनी के तौर पर रहते हैं। जैसे पानी के नीचे टावर ब्लॉक हों। ये तापमान, लहरों और चाँद व सूर्य चक्र के प्रति संवेदनशील होते हैं और इनकी छोटी-छोटी गतिविधियाँ ही हर कॉलोनी को उसकी एक लय देती है।
पॉलिप अकेले दम पर रीफ का निर्माण नहीं कर सकते इसके लिए उन्हें ऐसे साझेदारों की दरकार होती है, जो आकार में उनसे भी छोटे होंं। हर पॉलिप के जन्तुओं में कई करोड़ छोटे भूरे रंग के बिन्दु होते हैं। ये बिन्दु सूक्ष्म पौधे होते हैं, जो सूर्य की रोशनी को कोरल के लिए भोजन व ऊर्जा में तब्दील करते हैं।
यह साझेदारी बेहद चमत्कारिक होती है, जो पानी में मौजूद खनिजों को चूने में बदलने में कोरल की मदद करती है और इसी चूने से रीफ का ढाँचा बनता है। इसी तरह कॉलोनी अपना विकास करती है।
मछलियों का अद्भुत संसार
यहाँ सबसे सामान्य जन्तु है मछलियाँ। ये मछलियाँ कोरल, पौधे, प्लैंकटन खाती हैं। दिलचस्प है कि यहाँ शिकारी भी मछलियाँ हैं और शिकार भी। सिल्वर बेट फिश चौबीसो घण्टे सतर्क रहती है। ये मछलियाँ हजारों छोटे शीशों की तरह चमकती हैं और किसी भी शिकारी को भ्रमित करने के लिए अप्रत्याशित ढंग से फूल जाती हैं।
यहाँ रहने वाली मछलियाँ ऐसी है, जो लगातार बदलने वाले दृश्य पेश करती हैं, लेकिन सिर्फ एक ही मछली ऐसी है जो भौतिक तौर पर रीफ के पाषाण ढाँचे में खुद बदलाव लाती है। यह मछली है बम्प हैडेड पैरट फिश, जो एक छोटे भेड़ के आकार की होती है। उसके थूथन और जबड़े की विशालकाय मांसपेशियाँ बहुत सख्त होती हैं, जो एक बोल्ट कटर की तरह काम करती हैं।
देखने में ऐसा लगता है कि वे कोमल शैवाल कोरल पॉलिप का भोजन करती हैं, लेकिन इन्हें खाने के लिए उन्हें कोरल चट्टान का एक टुकड़ा काटना ही पड़ता है। इसके बाद इन मछलियों के अन्दरूनी दाँत कोरल को एक पोस्ट में तब्दील करते हैं। एक बम्प हैड अकेले ही साल भर में पाँच टन तक कोरल चट कर जाती है। और फिर रीफ पर रेत के रूप में इसका मल त्याग करती हैं। जैसे-जैसे रीफ बढ़ती है वैसे ही पैरट फिश इसे तोड़ती रहती है, जिससे लगातार यहाँ का पर्यावरण बदलता रहता है।
लहरों के सामना
दिन में दो बार ऐसा होता है, जब तक ग्रेट बैरियर रीफ में रहने वाले जीव जन्तुओं को भारी उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है। चाँद की लय से लहरों में उफान आता है। और रीफ से पानी निकल जाता है। सबसे नीची लहर के दौरान पानी निकल जाता है और आमतौर पर पानी के नीचे रहने वाले जीवित कोरल के जन्तुओं तक भी धूप पहुँच जाती है।
जब बाहर आए जन्तु गर्म होने लगते हैं, तो छोटे पॉलिप सुरक्षा और म्यूकस निकालने के लिए अपने पाषाण ढाँचों में वापस लौट जाते हैं। यह सनस्क्रीन की तरह काम करता है और मात्रा में किसी तरह की कंजूसी नहीं होती है। एक कॉफी टेबल के आकार के क्षेत्र में मौजूद ये पॉलिप 5 लीटर तक म्यूकस दे सकते हैं।
जीव जन्तुओं की ऐसी ही अद्भुत स्वभाव और व्यवहारों के बारे और जानकारी के लिए एनिमल प्लैनेट पर हर रात आठ बजे देखें ‘वाक विद द वाइल्ड’