राज्य में 101 स्थानों पर प्रदूषण जांच की ऑटोमेटिक मशीन लगाने से पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस) धनबाद तकनीकी अध्ययन करेगा। इस संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) को निर्देशित किया है।
मशीनें लगने के समय ही वायु प्रदूषण के स्तर (पीएम 10, पीएम 2.5, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साड आदि) की जानकारी होगी। इसे नियंत्रित करने के लिए समय पर कार्ययोजना बनाई जा सकेगी। देशभर में अत्यधिक प्रदूषण वाले स्थानों पर वायु की गुणवत्ता जांच की ऑटोमेटिक मशीनें लगाई जाएंगी। इसी के तहत झारखंड में 101 स्थानों पर एंबिएंस एयर मॉनिटरिंग सिस्टम मशीनें लगाई जाएंगी। इसके लिए नए सिरे से स्थानों का चयन किया जा रहा है।
आईएसएम अपने अध्ययन में यह देखेगा कि जो स्थान चिह्नित किया जा रहा है, वह उचित है या नहीं। ऐसा न हो कि जिस स्थान पर मशीन लगाई जा रही है, उससे अधिक प्रदूषण दूसरे स्थान पर फैल रहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य के आठ जिलों में प्रदूषण सबसे ज्यादा बढ़ रहा है। देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में धनबाद शामिल है। रांची, जमशेदपुर के अलावा रामगढ़, कोडरमा, पश्चिम सिंहभूम, पाकुड़, गिरिडीह और बोकारो के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते प्रदूषण को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा।
राज्य में प्रदूषण की बड़ी वजहें :
- शहरों में ट्रैफिक बना बड़ी समस्या
- कोल साइडिंग, कोयला तथा बॉक्साइड का खनन
- क्रसर प्लांट, स्टील प्लांट, स्पांज आयरन फैक्ट्री
- थर्मल पावर प्लांट
सीपीसीबी ने ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ के लिए आईआईटी कानपुर को नोडल संस्था नियुक्त किया है। केंद्र के निर्देश पर झारखंड में आईएसएम धनबाद को तकनीकी अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- एके रस्तोगी, अध्यक्ष जेएसपीसीबी