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इंडिया सीएसआर, 6-जून-2009
बिलासपुर, रायगढ़ (छत्तीसगढ़)। लोग अब नदी के महत्व को समझने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में दो शहरों बिलासपुर और रायगढ़ में नदी को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। रायगढ़ में केलो नदी शहर के मध्य से बहती है तथा बिलासपुर में अरपानदी शहर के मध्य बहती है। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जनसंख्या बढ़ोत्तरी से नदी का जल स्तर बेहद कम हो गया है। बिलासपुर शहर के बीचो-बीच बहने वाली जीवनदायिनी अरपा नदी को सुरक्षित करने, उसमें बारहों महीने पानी लाने और प्रदूषण से बचाने के लिए शहर के लोग एकजुट हो गए हैं। वहीं केलो नदी को बचाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस के दिन जनजागरण के लिए लोगों ने महायज्ञ का आयोजन किया। और जनचेतना के लिए एक-एक रूपए का संग्रह किया, जिसे राज्य शासन को सौंपा जाएगा। लोग नदी को बचाने के लिए सरकारी पहल का इंतजार कर रहे हैं। बिलासपुर में शुक्रवार को पर्यावरण संरक्षण दिवस पर विभिन्न संगठनों से जुड़े व आम लोगों ने नदी में उतर कर मानव श्रृंखला बनाई। हाथों में हाथ देकर लोगों ने कसम खाई कि अरपा को हर हाल में बचाना है।
अरपा को बारहमासी नदी बनाने और प्रदूषण मुक्त करने की चाहत शहर के हर व्यक्ति के मन में जगने लगी है। यही वजह है कि पर्यावरण दिवस पर लोग तेज गर्मी के बाद भी अरपा की तपती रेत में उतरे और एक दूसरे का हाथ थामकर कहा कि अरपा की दुर्दशा अब और नहीं होने दी जाएगी।
शाम को शनिचरी रपटा से गुजरने वाले हर व्यक्ति की निगाह नदी में जुटी भीड़ पर टिक गई। सैकड़ों की संख्या में शहर के हर वर्ग के लोग यहां मौजूद थे। उन्होंने नदी के एक से दूसरे छोर तक मानव श्रृंखला बनाई, नदी में घेरा बनाकर गोलबंद हुए।
सबका एक ही संकल्प और उद्देश्य था, जीवनदायिनी नदी को बचाना। लोगों ने इस अवसर पर कहा कि बिलासपुर शहर खुशकिस्मत है कि यहां बीच से नदी गुजरती है। देश के हर हिस्से में जब पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है, तब सिर्फ इसी नदी के कारण शहर में जमीन के अंदर पानी है लेकिन स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है।
बारिश के दो महीने छोड़ अधिकतर दिनों में नदी सूखी रहती है। इससे शहर का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। एक समय बारहों महीने बहने वाली नदी अब पानी के लिए तरस रही है। लोगों ने इस बात पर आक्रोश जाहिर किया कि जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी इस ओर नहीं है।
सबने एक स्वर में कहा कि मां समान अरपा की उपेक्षा अब और सहन नहीं की जाएगी। नदी को बचाने के लिए शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, शहर के आम लोगों को जागृत किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो इसके लिए सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी। रायगढ़ में केलोनदी को बचाने के लिए लोगों ने एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प लिया।
अरपा को बारहमासी नदी बनाने और प्रदूषण मुक्त करने की चाहत शहर के हर व्यक्ति के मन में जगने लगी है। यही वजह है कि पर्यावरण दिवस पर लोग तेज गर्मी के बाद भी अरपा की तपती रेत में उतरे और एक दूसरे का हाथ थामकर कहा कि अरपा की दुर्दशा अब और नहीं होने दी जाएगी।
शाम को शनिचरी रपटा से गुजरने वाले हर व्यक्ति की निगाह नदी में जुटी भीड़ पर टिक गई। सैकड़ों की संख्या में शहर के हर वर्ग के लोग यहां मौजूद थे। उन्होंने नदी के एक से दूसरे छोर तक मानव श्रृंखला बनाई, नदी में घेरा बनाकर गोलबंद हुए।
सबका एक ही संकल्प और उद्देश्य था, जीवनदायिनी नदी को बचाना। लोगों ने इस अवसर पर कहा कि बिलासपुर शहर खुशकिस्मत है कि यहां बीच से नदी गुजरती है। देश के हर हिस्से में जब पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है, तब सिर्फ इसी नदी के कारण शहर में जमीन के अंदर पानी है लेकिन स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है।
बारिश के दो महीने छोड़ अधिकतर दिनों में नदी सूखी रहती है। इससे शहर का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। एक समय बारहों महीने बहने वाली नदी अब पानी के लिए तरस रही है। लोगों ने इस बात पर आक्रोश जाहिर किया कि जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी इस ओर नहीं है।
सबने एक स्वर में कहा कि मां समान अरपा की उपेक्षा अब और सहन नहीं की जाएगी। नदी को बचाने के लिए शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, शहर के आम लोगों को जागृत किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो इसके लिए सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी। रायगढ़ में केलोनदी को बचाने के लिए लोगों ने एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प लिया।