बाछा बैल

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 11:48
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घाघ और भड्डरी

बाछा बैल, बहुरिया जोय,
ना घर रहै न खेती होय।


भावार्थ- जो किसान नये बछड़ो को बैल बनाकर खेती करता है और जिसकी पत्नी नई-नवेली हो, तो न तो उस किसान की खेती अच्छी हो पाती है और न ही वह घर संभल पाता है।