बाढ़ के समय पेयजल की उपलब्धता यानी साफ पीने का पानी का उपलब्धता काफी कम हो जाती है। ऐसे में साफ पानी पाने के लिए वर्षाजल संग्रहण ही एक मात्र उपाय है। बाढ़ के समय पेयजल को पाना एक कौशल का काम हो जाता है – आइए समझें उनसे जुड़े सवाल और उनके उत्तर -
बाढ़ के समय वर्षाजल को पीने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर बिहार के ग्रामीण इलाके में रह रहे लोग अपने वार्षिक आय का बड़ा हिस्सा बीमारियों के इलाज में लगा देते हैं जो बाढ़ के दौरान दूषित पानी पीने से होती है। इस गम्भीर समस्या से बचने के लिए साफ पीने का पानी का उपलब्ध होना काफी जरूरी है। बाढ़ के दौरान बाहरी एवं राज्य में स्थित गैर सरकारी संस्थाएं और राज्य सरकार पानी को साफ रखने वाली दवाईयां बांटती हैं। लेकिन विनाश का स्तर इतना विकराल होता है कि ये दवाईयां सभी लोगों तक नहीं पहुंच पाती। इसलिए बाढ़ के दौरान साफ पानी पाने के लिए वर्षाजल संग्रहण ही एक मात्र उपाय है।
वर्षाजल संग्रहण करने के लिए कितना खर्च आयेगा?
वर्षाजल संग्रहण करने के लिए बाँस, रस्सी, पॉलीथीन शीट और गैलन की आवश्यकता होगी जो कि स्थानीय रूप से लगभग हर घर में आसानी से मिल जाते हैं। चूँकि प्रस्तावित वर्षाजल प्रणाली स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करती है। इसलिए लागत के हिसाब से वर्षाजल प्रणाली सस्ती भी पड़ती है। यदि वर्षाजल संग्रहण की तैयारी पहले से ही कर लें तो इस प्रणाली को बैठाने में आसानी होगी।
क्या स्थनीय धारणा के अनुसार वर्षाजल पीने से घेंघा होता है?
यह बिलकुल गलत है कि वर्षाजल पीने से घेंघा होता है। वर्षाजल तो प्राकृति का स्वच्छ पानी है। घेंघा मुख्यत: आयोडीन की कमी से होता है।
वर्षाजल कितने समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है?
यदि वर्षाजल साफ व कीटाणुरहित गैलन में जमा किया जाए तो यह लम्बे समय तक स्वच्छ और पीने योग्य रह सकता है। उदाहरण के तौर पर गुजरात के द्वारकाधीश शहर में लोग एक साल तक वर्षाजल को इकट्ठा करके रखते हैं जो पीने तथा खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दूसरा, यदि वर्षाजल को सफाई व सभी सावधानियां सहित रखा व उपयोग किया जाय तो यह खराब नहीं होगा। खगड़िया के सनहौली प्रखण्ड में रहने वाली इन्इिरा देवी पिछले कई सालों से वर्षाजल संग्रहण कर रही हैं जो वे पीने के लिए पूरे सालभर उपयोग करती हैं। उनके अनुसार चापाकल का पानी बहुत जल्द खराब हो जाता है जबकि वर्षाजल को सही ढंग से रखने पर लम्बे समय तक उपयोग में लाया जाता है।
वर्षाजल को कहाँ जमा किया जाना चाहिए?
वर्षाजल किसी स्थानीय रूप से उपलब्ध गैलन में जमा किया जा सकता है। यदि वर्षाजल को लम्बे समय तक रखना है तो उसे लोहे या अन्य किसी धातु के गन्दे बर्तन में न जमा करें।
वर्षा ऋतु के समय सूखे दिनों में पीने के लिए वर्षाजल का संग्रहण कैसे करें?
इसके के लिए प्रत्येक घर को यह हिसाब लगाना होगा कि सूखे दिनों के दौरान पीने के लिए कितना पानी जमा करना है और इसी आधार पर बारिश के समय वर्षाजल संग्रहण करना पड़ेगा।
मेघ पाईन अभियान क्या है?
यह एक प्रयास है वर्षाजल के प्रासंगिकता को पहचानने व उसके संग्रहण को व्यापक स्तर पर फैलाने का, जो उत्तर बिहार के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लाखों लोगों को साफ व सुनिश्चित पेयजल उपलब्ध कराने में मदद देना।
मेघ पाइन अभियान का मुख्य उददेश्य
1- उत्तर बिहार के ग्रामीण लोगों के बीच वैचारिक व व्यवहारिक बदलाव लाकर स्थानीय जल प्रबंधन तकनीकों को प्रभावी तरीके से पूर्णजीवित व स्थापित करना है और
2- स्थानीय जल प्रबन्धन द्वारा पीने योग्य, अन्य घरेलू कार्यों और खेती के उपयोग के लिए बढ़ते पानी की मांग को पूरा करने हेतु प्रभावित लोगों को नये उपायों से जोड़ना व प्रेरित करना है
मेघ पाइन अभियान अपने पहले चरण में स्थानीय व गतिशील उपायों के मदद से, वर्षाजल संग्रहण करने के तरीके को व्यापक स्तर पर फैलाऐगा, और बाढ़ के कारण बेघर हुए अस्थाई घरों में रह रहे व नदी के बीच फंसे लोगों को स्वच्छ व सुनिश्चित पीने का पानी मुहैया कराने में मदद करेगा। यह अभियान उत्तर बिहार के चार जिलों - खगड़िया, सहरसा, सुपौल, मधुबनी के सिर्फ एक पंचायत में क्रियान्यवित किया जायेगा। और इसका लक्ष्य, वर्षाजल संग्रहण तकनीक को लोगों के रोजमर्रा की जिन्दगी व सामाजिक क्रियाकलापों का एक अंग बनाना होगा।
अभियान की संकल्पना व प्रबंधन में सहयोग
एकलव्य प्रसाद
विकास कार्यकर्ता, प्राकृतिक एवं सामाजिक संसाधन प्रबंधन
ई-मेल: graminunatti@gmail.com
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