Source
जनसत्ता, 06 जून 2014
सिलवानी तहसील अंतर्गत ग्राम सनाईढार के पास बन रहे नगपुरा नगझिरी बांध का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस ने बुधवार को आंसू गैस के गोले छोड़े और हल्का लाठीचार्ज किया, जिसमें लगभग डेढ़ दर्जन प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं। इनमें एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जाती है।
आदिवासी प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे मनोहर लाल आदिवासी ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने ग्रामीणों की इजाजत के बिना उनके खेतों का अधिग्रहण कर लिया और नगपुरा नगझिरी बांध को बनाने का काम शुरू कर दिया।
लाल ने कहा कि इस बांध को बनाने से सनाईढार गांव में रहने वाले आदिवासियों की 200 हेक्टेयर कृषि भूमि डूब क्षेत्र में आएगी और उनके पास रहने के लिए केवल घर ही बचे रहेंगे। इस कारण अपनी आजीविका चलाने के लिए उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसी के मद्देनजर वे इस बांध का विरोध कर रहे हैं ।
सनाईढार गांव की कुल आबादी 500 के आसपास है और यह रायसेन से करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने आरोप लगया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बुधवार को आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया, जिसमें लगभग डेढ़ दर्जन आदिवासी घायल हुए हैं। इनमें से संतराम आदिवासी (19) की हालत गंभीर बनी हुई है। प्रदर्शनकारियों की संख्या लगभग 300 थी, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे।
वहीं पुलिस अधीक्षक केबी शर्मा ने बताया कि जब मौके पर मौजूद सरकारी अधिकारियों ने नारेबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों को सरकारी काम में बाधा न डालने के लिए का, तो उन्होंने पथराव किया और जेसीबी शीनों एवं डंपरों में तोड़फोड़ की।
उन्होंने कहा कि इस कारण पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और बाद में हल्का बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटाया। शर्मा ने बताया कि आदिवासियों की यह मांग थी कि पहले सरकार उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा दे और फिर बांध का काम शुरू करे। इसी बात को लेकर वे विरोध कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।
शर्मा ने कहा कि जिस घटना के बाद ठेकेदार ने बांध निर्माण का काम बंद कर दिया है और वहां से सभी मशीनें हटा दी गई हैं। उन्होंने बताया कि स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन अब पूरी तरह से नियंत्रण में है।
अनुविभागीय अधिकारी आरके चौकीकर ने बताया, सभी किसानों की भूमि का अधिग्रहण उनकी सहमति से किया गया है कि। जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है उनको मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है। चौकीकर ने कहा कि बांध का काम इसलिए जल्द किया जा रहा था, क्योंकि सिंचाई विभाग और ठेकेदार की मंशा थी कि बारिश का मौसम आने से पहले इसे कर लिया जाए।
आदिवासी प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे मनोहर लाल आदिवासी ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने ग्रामीणों की इजाजत के बिना उनके खेतों का अधिग्रहण कर लिया और नगपुरा नगझिरी बांध को बनाने का काम शुरू कर दिया।
लाल ने कहा कि इस बांध को बनाने से सनाईढार गांव में रहने वाले आदिवासियों की 200 हेक्टेयर कृषि भूमि डूब क्षेत्र में आएगी और उनके पास रहने के लिए केवल घर ही बचे रहेंगे। इस कारण अपनी आजीविका चलाने के लिए उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसी के मद्देनजर वे इस बांध का विरोध कर रहे हैं ।
सनाईढार गांव की कुल आबादी 500 के आसपास है और यह रायसेन से करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने आरोप लगया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बुधवार को आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया, जिसमें लगभग डेढ़ दर्जन आदिवासी घायल हुए हैं। इनमें से संतराम आदिवासी (19) की हालत गंभीर बनी हुई है। प्रदर्शनकारियों की संख्या लगभग 300 थी, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे।
वहीं पुलिस अधीक्षक केबी शर्मा ने बताया कि जब मौके पर मौजूद सरकारी अधिकारियों ने नारेबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों को सरकारी काम में बाधा न डालने के लिए का, तो उन्होंने पथराव किया और जेसीबी शीनों एवं डंपरों में तोड़फोड़ की।
उन्होंने कहा कि इस कारण पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और बाद में हल्का बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटाया। शर्मा ने बताया कि आदिवासियों की यह मांग थी कि पहले सरकार उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा दे और फिर बांध का काम शुरू करे। इसी बात को लेकर वे विरोध कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।
शर्मा ने कहा कि जिस घटना के बाद ठेकेदार ने बांध निर्माण का काम बंद कर दिया है और वहां से सभी मशीनें हटा दी गई हैं। उन्होंने बताया कि स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन अब पूरी तरह से नियंत्रण में है।
अनुविभागीय अधिकारी आरके चौकीकर ने बताया, सभी किसानों की भूमि का अधिग्रहण उनकी सहमति से किया गया है कि। जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है उनको मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है। चौकीकर ने कहा कि बांध का काम इसलिए जल्द किया जा रहा था, क्योंकि सिंचाई विभाग और ठेकेदार की मंशा थी कि बारिश का मौसम आने से पहले इसे कर लिया जाए।