Source
जनसत्ता, 07 जनवरी 2014
जनसत्ता ब्यूरो, नई दिल्ली, 06 जनवरी। जल संकट से जूझ रहे दिल्ली के उपनगर द्वारका को मंगलवार को उस समय राहत मिली जब हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह मुनक नहर को जल आपूर्ति करने सम्बन्धी हाईकोर्ट के आदेश का पालन करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाले खण्डपीठ के समक्ष हरियाणा के वकील ने कहा- हमने इस सम्बन्ध में दिल्ली हाईकोर्ट में आश्वासन दिया है। वकील ने इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
हरियाणा ने इस याचिका में आरोप लगाया था कि हाईकोर्ट के आदेश से उसकी व्यवस्था को नुकसान पहुँचेगा और इससे गुड़गाँव के निवासियों की जल आपूर्ति बाधित होगी। याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट का आदेश संविधान और अन्तरराज्यीय जल विवाद कानून के प्रावधान के भी खिलाफ है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उसे जल संकट से जूझ रहे द्वारका के लिए मुनक नहर को जल आपूर्ति करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट में दिए गए आदेश का पालन करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने कहा था कि जहाँ तक हरियाणा द्वारा आठ नम्बर के नाले को बन्द करने और उसकी दिशा मोड़ने और वजीराबाद जल शोधन संयन्त्र को आपूर्ति का सम्बन्ध है तो हम हाईकोर्ट के न्यायाधीशों से अनुरोध करते हैं कि वे दोनों पक्षों को सुनें और फिर इस मामले में सकारात्मक निर्णय लें।
हाईकोर्ट इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अदालत को दिल्ली जल बोर्ड ने सूचित किया था कि मुनक नहर तैयार हो गई है लेकिन उसे चालू नहीं किया गया है और हरियाणा, दिल्ली को ‘कच्ची नहर’ के जरिए पानी दे रहा है। जिसकी वजह से 50 फीसद जल रिसाव के कारण बर्बाद हो जाता है।
जल बोर्ड ने कहा था कि यदि उचित तरीके से पानी की आपूर्ति की जाए तो प्रतिदिन एक करोड़ 80 लाख गैलन जल की बचत हो सकती है। दिल्ली और हरियाणा के बीच जल बँटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। अदालत ने ऐसी स्थिति में मुनक नहर को जल की आपूर्ति करने से इनकार किए जाने पर हरियाणा से सफाई माँगी थी और कहा था कि वह पानी की और अधिक बर्बादी नहीं होने देगी। हरियाणा ने इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अदालत में 102 किलोमीटर लम्बी मुनक नहर चालू करने के लिए जनहित याचिका दायर की गई थी। हरियाणा सरकार ने दिल्ली सरकार से मिली सशर्त 400 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता से इस नहर का निर्माण किया था। शर्त यह थी कि इससे दिल्ली को प्रतिदिन एक करोड़ 80 लाख गैलन जल की आपूर्ति की जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाले खण्डपीठ के समक्ष हरियाणा के वकील ने कहा- हमने इस सम्बन्ध में दिल्ली हाईकोर्ट में आश्वासन दिया है। वकील ने इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
हरियाणा ने इस याचिका में आरोप लगाया था कि हाईकोर्ट के आदेश से उसकी व्यवस्था को नुकसान पहुँचेगा और इससे गुड़गाँव के निवासियों की जल आपूर्ति बाधित होगी। याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट का आदेश संविधान और अन्तरराज्यीय जल विवाद कानून के प्रावधान के भी खिलाफ है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उसे जल संकट से जूझ रहे द्वारका के लिए मुनक नहर को जल आपूर्ति करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट में दिए गए आदेश का पालन करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने कहा था कि जहाँ तक हरियाणा द्वारा आठ नम्बर के नाले को बन्द करने और उसकी दिशा मोड़ने और वजीराबाद जल शोधन संयन्त्र को आपूर्ति का सम्बन्ध है तो हम हाईकोर्ट के न्यायाधीशों से अनुरोध करते हैं कि वे दोनों पक्षों को सुनें और फिर इस मामले में सकारात्मक निर्णय लें।
हाईकोर्ट इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अदालत को दिल्ली जल बोर्ड ने सूचित किया था कि मुनक नहर तैयार हो गई है लेकिन उसे चालू नहीं किया गया है और हरियाणा, दिल्ली को ‘कच्ची नहर’ के जरिए पानी दे रहा है। जिसकी वजह से 50 फीसद जल रिसाव के कारण बर्बाद हो जाता है।
जल बोर्ड ने कहा था कि यदि उचित तरीके से पानी की आपूर्ति की जाए तो प्रतिदिन एक करोड़ 80 लाख गैलन जल की बचत हो सकती है। दिल्ली और हरियाणा के बीच जल बँटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। अदालत ने ऐसी स्थिति में मुनक नहर को जल की आपूर्ति करने से इनकार किए जाने पर हरियाणा से सफाई माँगी थी और कहा था कि वह पानी की और अधिक बर्बादी नहीं होने देगी। हरियाणा ने इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अदालत में 102 किलोमीटर लम्बी मुनक नहर चालू करने के लिए जनहित याचिका दायर की गई थी। हरियाणा सरकार ने दिल्ली सरकार से मिली सशर्त 400 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता से इस नहर का निर्माण किया था। शर्त यह थी कि इससे दिल्ली को प्रतिदिन एक करोड़ 80 लाख गैलन जल की आपूर्ति की जाएगी।