बांध के पानी की लगाम किसान भूरा के हाथ होती तो शायद ..........

Submitted by pankajbagwan on Sun, 01/12/2014 - 23:17
12 जनवरी 2014 बुन्देलखण्ड / के महोबा जिले में सूपा गांव के किसान भूरा पुत्र नथुवा कहने को तो बृहद किसानों की श्रेणी में आते है। ये अच्छी किश्म की मिट्टी वाले खेत के भूस्वामी भी है। हां इनके खेत तक कभी कभार पचपहरा बांध से आने वाले माइनर से पानी भी मिल जाता है। इस पानी के मिलने से फसल उत्पादन का बढ़ना लाजिमी बात है। पर यह अवसर स्थाई नहीं मिलता । जिससे लाभ- हानि बराबर हो जाती है। बांध के इस पानी की लगाम किसान भूरा के हाथ में होती तो शायद हर साल फायदे की फसल काटते ।

किसान ने अपनी खेती के आसरे एक दशक पहले ट्रैक्टर भी कर्ज लेकर लिया था। वह अपने चार पुत्र मुन्ना,सन्तोष,गनेशी और जग्गू को अपने ही गांव में रोटी- रोजगार के लिए ट्रैक्टर को सहयोगी के रूप में देख रहा था। अपने तीन बड़े लडकों की शादी भी कर दी । पर सन्तोष,गनेशी, जग्गू को बहुत दिनों तक नहीं रोक सका। आखिर इन तीनों को अपना गांव छोड़कर दो बहुओं सहित दिल्ली की राह पकड़नी पड़ी । इनकी वापसी का दूर-दूर तक कोई आसान रास्ता नहीं दिखाई पड़ रहा भूरा को । वह समझता है परदेश में रहने का दर्द । पांच छैः साल आये सूखा वर्ष में परदेश गये परिवार के आने का जरिया बनाने की उन-बुन पर चलती रहती है। उधेडबुन।

ये किश्मत का ही खेल कहें कि नहीं दे पा रहा तो सिर्फ प्यासे खेत की जरूरत का पानी


किसान भूरा को हमेशा इस बात का मलाल बना रहा कि अच्छी जमीन होते हुये भी अपने हाथ का पानी नहीं होने से चाहकर भी मनचाही फसल नहीं ले पा रहा । कोई यह कहे कि भूरा अपने खेती में परिश्रम नहीं करता या अच्छे बीज नहीं बोता जरूरत की उर्वरक नहीं खेतों को देता। यह कतई सही नहीं है। किसान भूरा पूरी सिद्दत के साथ अपनी धरती माता की पूरे साल सेवा सुसूका करता है। कई-कई जुताई खरपतवार की निराई,अच्छे बीज और जरूरत की देशी-विदेशी उर्वरक सभी कुछ वह समय-समय पर देता है। खेत की जरूरत के लिए तो कर्ज लेकर भी पूरा करने को तैयार रहता है।

किसान भूरा पर इसे किस्मत का ही खेल कहे कि अगर नहीं दे पा रहा तो अपने प्यासे खेत को जरूरत के समय पानी। पानी की कमी से न तो उत्पादन का सही फायदा मिल पाता । और न ही किसान की मेहनत,मशक्कत,लागत के एवज भरी फसल ।

किसान के पास पांच एकड़ से कुछ डिसमिल जमीन के अधिक होने पर वह बृहद किसान की श्रेणी में आता है। जिसे सरकार द्वारा प्रदत्त विभिन्न लाभकारी योजनाओं का लाभ मिल पाना सम्भव नहीं होता। पर भूरा के लिए यह बृहद श्रेणी सरकारी,गैरसरकारी योजनाओं पर लागू नहीं होती। क्योंकि भूरा बृहद श्रेणी के किसान होने के बावजूद भी अनुसूचित वर्ग की श्रेणी में आता है।

बेजान-बोझिल योजनाएं भी प्राणवान होकर लिख रहीं - खुशहाली की नई इबारत


जिले में अपना तालाब अभियान समिति के मार्गदर्शक श्री अनुज कुमार झा आइ.ए.एस.जिलाधिकारी महोबा ने किसानों की गहराती जा रही समस्याओं के मूल में पानी को पहचान कर समाधान की पहल को सहज बनाया। इसके लिए सभी विभागों के अधिकारी,कर्मचारियों को एक साथ बैठाकर चर्चायें-संवाद कराने और अपने तालाबों से होने वाले फायदों के साक्षात्कार की साझी पहल की । जिले में विभाग वार संचालित योजनाओं की समीक्षा कर सम्भावनायें पहचानी,सभी की सहमति बनायी विभाग,क्षेत्रवार लक्ष्य निर्धारित किया। इसी प्रयास भरी पानी पुनरूत्थान की साझी पहल का परिणाम ही है। कि बेजान और बोझिल योजनाएं भी प्राणवान होकर मृत होती जा रही किसानी और बदहाल हो गये किसानों के जीवन में खुशहाली की इबारत लिखने लगी।

प्रतिकूल परिस्थितियां भी नहीं बनी -बाधक


सूपा गांव के किसान भूरा के लिए भी अपना तालाब अभियान की पहल मनरेगा के माध्यम से उसके खेत तक पहुंची। आखिर किसान के अन्दर अपने जीवन भर का जड़वत होता अपने हाथ में पानी की लगाम नहीं होने का मलाल का पटाक्षेप उस वक्त होता दिखा जब भूरा अपने परिवार और पडो़सी श्रमिकों के साथ अपने खेत के एक कोने में पहला फावड़ा चला कर अपना तालाब निर्माण की शुरूवात की । इस मुहिम को गांव की जमीन पर बडी ही सिद्दत और हौसले के साथ ले जाने वाले सरकारी अधिकारी संगठनों से जुडे़ सम्पादकों में से एक विकासखण्ड चरखारी के सूपा गांव में तैनात ग्राम विकास अधिकारी ओम तिवारी भी है। जो तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों को दर किनार कर किसानों की जमीन पर किसानी की उन्नति का काम कर रहे हैं। प्रकृति और पर्यावरण को तरजीह दे रहे हैं।

किसान भूरा ने अपनी जोत के अनुरूप जरूरत का तालाब बनाने का पूरा ख्याल रखा। और 45×25×3 मीटर के तालाब निर्माण की योजना बनाई जो चरणब़द्ध आगे बढ़ रही है। उसे भरोसा है कि इस आकार के तालाब में एकत्र होने वाले वर्षा जल भण्डारण से अपनी पूरी खेती की फसल को पानी दे पाऊँगा। इतना ही नहीं आगे की होने वाली तालाब के पानी से फसलों में गुणात्मक वृद्धि की सम्भावना पर वह अश्वस्त है। अश्वस्त होने की वजह यह भी है कि कर्ज मुक्त पानी का प्रबन्ध होता नजर आ रहा है। किसान भूरा और उसके परिवार को इस तालाब के पानी से होने वाले फायदे का अनुमान कर पड़ोसी मेड़ वाले किसान के मन में भी अपने खेत में पानी होने की हिलकोरों भरी चाहत पैदा हो रही है।

किसान- भूरा पुत्र श्री नथुवा
ग्राम-सूपा
विकासखण्ड-चरखारी
जनपद-महोबा बुन्देलखण्ड (उ.प्र.)