बेतवा किनारे – 1

Submitted by admin on Tue, 08/27/2013 - 12:37
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काव्य संचय- (कविता नदी)
बदली के बाद खिल पड़ी धूप
बेतवा किनारे
सलोनी सर्दी का निखरा है रूप
बेतवा किनारे
रग-रग में धड़कन, वाणी है चूप
बेतवा किनारे
सब कुछ भरा-भरा, रंक है भूप
बेतवा किनारे
बदली के बाद खिल पड़ी धूप
बेतवा किनारे।

सन् 1979