हर घर पानी की योजना अब लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पीएचइडी के हाथ से निकल गया है। पीएचइडी का काम अब सिर्फ राज्य के आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानी वाले 21 हजार टोलों में पीएचइडी शुद्ध पानी पहुँचाना है। पाइप से घर-घर पानी की सप्लाई होगी। इसके लिये ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी को शुद्ध कर घरों तक ले जाने की योजना है। इसके लिये पीएचइडी विभाग दूषित पानी प्रभावित इलाके को अब फोकस कर पानी पहुँचाने का डीपीआर तैयार करने में लगा है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 21 हजार टोलों में दूषित पानी की समस्या है। जहाँ आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन युक्त पानी पीने के लिये लोग मजबूर हैं। ऐसे टोले में घर-घर शुद्ध पानी पहुँचाने की व्यवस्था ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर होगा। राज्य में 33 जिले के लगभग 250 ब्लॉकों में दूषित पानी की समस्या है। जहाँ पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन की अधिकांश मात्रा पाई जाती है।
पाँच जिले में बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर व कटिहार के कुछ ब्लॉक में अलग-अलग टोले के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड व आयरन की मात्रा मिलती है।
13 जिले में आर्सेनिक, 11 जिले में फ्लोराइड व नौ जिले में आयरन की मात्रा अधिक पाई जाती है।
आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या वाले जिले
आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या वाले जिलों में सारण, वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, बक्सर, भोजपुर, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार शामिल हैं।
कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, शेखपुरा, जमुई, बाँका, मुंगेर, भागलपुर व नवादा आदि जिलों में फ्लोराइड युक्त पानी मिलता है।
आयरन युक्त पानी की समस्या सुपौल, अररिया, किशनगंज, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, बेगूसराय व खगड़िया में है। सबसे अधिक आयरन प्रभावित लगभग 16 हजार टोले हैं। आर्सेनिक प्रभावित 2000 व फ्लोराइड प्रभावित 4000 टोले हैं।
बिहार विकास मिशन की बैठक में पीएचइडी का काम तय होने के बाद कार्य शुरू हो गया है। विभाग अब दूषित पानी से ग्रस्त इलाके के हजारों टोले में घर-घर पाइप से शुद्ध पानी पहुँचाने की दिशा में काम करने का मन बना लिया है। ऐसे विभाग द्वारा पहले से दूषित पानी से ग्रसित टोलों का सर्वेक्षण कराया जा रहा है।
हर घर पानी की योजना अब लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग पीएचइडी के हाथ से निकल गया है। पीएचइडी का काम अब सिर्फ राज्य के आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानी वाले 21 हजार टोलों में पीएचइडी शुद्ध पानी पहुँचाना है। पाइप से घर-घर पानी की सप्लाई होगी। इसके लिये ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी को शुद्ध कर घरों तक ले जाने की योजना है। इसके लिये पीएचइडी विभाग दूषित पानी प्रभावित इलाके को अब फोकस कर पानी पहुँचाने का डीपीआर तैयार करने में लगा है।
विभाग अब दूषित पानी प्रभावित इलाके 21 हजार टोले में घर-घर पाइप से शुद्ध पानी पहुँचाने की दिशा में काम करेगा। ऐसे विभाग द्वारा पहले से दूषित पानी से प्रभावित टोले का सर्वेक्षण कराया जा रहा है। विभाग द्वारा पहले साल में लगभग दो हजार टोले में शुद्ध पानी पहुँचाने पर काम करना शुरू किया है। विभाग द्वारा ऐसे इलाके का सर्वे कराया जा रहा है। इसमें पाँच सौ टोले का सर्वे काम पूरा कर पाइप से पानी पहुँचाने के लिये काम की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जानकारों के अनुसार सर्वे हो चुके पाँच सौ टोले में सितम्बर से काम शुरू होगा। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दूषित पानी से प्रभावित टोले में पाइप से घर-घर शुद्ध पानी पहुँचाने पर लगभग 7400 करोड़ खर्च होगा।
लगेगा ट्रीटमेंट प्लांट
दूषित पानी से प्रभावित टोले में ट्रीटमेंट प्लांट लगा कर पानी को शुद्ध कर घरों में पाइप से पानी पहुँचाया जाएगा। पीने के पानी का मानक 6.5 से 8.5 पीएच (पावर ऑफ हाइड्रोजन) है। दूषित पानी पीने से चेहरे पर दाग, हथेली का चमड़ा उड़ना, दाँत काला होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी आदि की शिकायत होती है।
तो दूसरी तरफ बिहार में शुद्ध पेयजल को लेकर सरकार गम्भीर है। इसके लिये मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत पीने के पानी के लिये लगभग 70 हजार चापाकल लगाए जाएँगे। अगले साल मार्च तक सभी चापाकल लग जाने की उम्मीद है।
चापाकल लगाने पर लगभग 350 करोड़ खर्च किये जाएँगे। फिलहाल सरकार ने चापाकल लगाने के लिये सौ करोड़ जारी कर दिया है। सरकार से राशि जारी होने के बाद पीएचइडी विभाग ने चापाकल लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाई है। विभाग ने इंजीनियरों को स्वीकृत चापाकल को लगाने का निर्देश जारी किया है।
मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत वर्ष 2014-15 व 2015-16 में शेष बचे हुए चापाकल के लगाने में तेजी आएगी। दोनों वित्तीय साल के स्वीकृत चापाकलों में लगभग 65 हजार पाँच सौ चापाकल शेष बच गए हैं। पाँच सौ चापाकल तकनीकी खराबी की वजह से बन्द है। उसे भी मरम्मत कर चालू करने का काम शुरू हो चुका है। अब हर घर नल का जल पहुँचाने पर काम होना है।