भारतीय धर्म महोत्सवों का जल संसाधनों पर प्रभाव – एक अध्ययन

Submitted by Hindi on Tue, 05/15/2012 - 11:14
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राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
प्रस्तुत अध्ययन अर्ध कुम्भ मेला 2007 के आयोजन के दौरान जल गुणवत्ता में आये परिवर्तन पर प्रकाश डालता है। कुम्भ मेले के आयोजन के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं के इलाहाबाद में गंगा, यमुना एवं संगम पर स्नान करने के कारण उन घाट के जल का गुणवत्ता के स्तर बदल जाते हैं। हम इस अध्ययन में जल के इस गुणवत्ता परिवर्तन का विश्लेषण कर, इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस प्रकार के आयोजन के लिए एक ठोस रणनीति की आवश्यकता है, जिसकी मदद से जल गुणवत्ता स्तर को उसके पूर्व निर्धारित स्तर पर रखा जा सके।

आदिकाल से ही भारतवर्ष ने अपनी पहचान एक गहरी धार्मिक आस्थावान देश के रूप में बना रखी है, जिसके कारण वह सदैव अन्य देशवासियों के लिए सदैव आकर्षण केंद्र बना रहता है क्योंकि इसी देश में आकर वह धर्म का जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है, इस बात को समझ पाते हैं।

धर्म प्रत्येक भारतीय के जीवन में अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है और साथ ही धर्म से जुड़े सभी महोत्सव भी। यह महोत्स्व भी विश्व भर में उसी प्रकार से विख्यात है जैसे भारतवर्ष की प्राचीन धरोहरे एवं विरासते। कुम्भ महोत्सव इस परम्परा में सर्वोच्च स्थान रखता है। यह भारत का एक ऐसा महोत्सव है जिसमें विश्व के किसी भी अन्य महोत्सव से ज्यादा लोग भाग लेते हैं। इस प्रकार हम कल्पना कर सकते हैं कि इतने ज्यादा मात्रा में लोगों के स्नान से जल गुणवत्ता में कितना परिवर्तन आ जाता होगा, हमारा प्रस्तुत अध्ययन इसी दिशा में एक कोशिश मात्र है।

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