जल प्रबंधन में कल्पित जल के सिद्धांत की भूमिका व महत्व

Submitted by Hindi on Tue, 05/15/2012 - 15:49
Source
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
कल्पित जल (Virtual Water) किसी उत्पाद या विशिष्ट सेवा के लिए आवश्यक जल की मात्रा है। खाद्यान्न, सब्जी, मांस, डेयरी उत्पादों, इस्पात, पैट्रोल, कागज इत्यादि के उत्पादन हेतु जल की आवश्यकता होती है। यह जल कल्पित है, क्योंकि प्रत्यक्षतः यह उत्पादों में विधमान नहीं रहता है। उदाहरणार्थ भारतवर्ष में एक किग्रा गेहूं के उत्पादन के लिए 1654 लीटर एवं एक किग्रा मक्का के उत्पादन हेतु 1937 लीटर जल की आवश्यकता होती है।

जब उत्पादों एवं सेवाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान किया जाता है तब इसे कल्पित जल व्यापार तथा उपयोग किये जाने वाले जल को कल्पित जल का जाता है। कल्पित जल व्यापार पृथ्वी पर विशिष्टतः जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण घटक है।

विभिन्न देशों के मध्य कल्पित जलांश के आंकलन एवं कल्पित जल व्यापार हेतु अनेकों अध्ययन किये गये हैं। 1997-2001 की अवधि के दौरान भारतवर्ष की गणना विश्व के पंद्रह शीर्ष सकल जल निर्यातकों एवं दस शुद्ध कल्पित जल निर्यातकों में की गई है।

प्रस्तुत प्रपत्र का उद्देश्य कल्पित जल विषय का परिचय प्रदान करना है। यह प्रपत्र भारतवर्ष के लिए आंकलित विभिन्न उत्पादों के कल्पित जलांश एवं भारतवर्ष के द्वारा किये जाने वाले कल्पित जल व्यापार की समीक्षा भी करेगा।

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