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राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
भूजल हमारे देश का अत्यंत बहुमूल्य प्राकृति संसाधन है। सुचारु प्रबंधन तथा बचाव के बिना, भूजल संसाधन में गिरावट आती जा रही है। हर वर्ष जल की आवश्यकता भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए बढ़ती जा रही है जिससे जल की कमी होती जा रही है। जल प्रदूषण की समस्या के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। राजस्थान प्रदेश का कुल भूजल संसाधन वहां बढ़ती हुई घरेलू एवं औद्योगिक जरूरतों की पूर्ति करने में अपर्याप्त है। प्रदेश के भूजल स्तर में जगह-जगह पर काफी परिवर्तन है। प्रस्तुत अध्ययन में जयपुर जिले की भूजल गुणवत्ता का मानसून पूर्व तथा पश्च मौसमों में विशेषतया फ्लोराइड प्रदूषण की दृष्टि से आंकलन किया गया है। जिले में फ्लोराइड वितरण से यह पता चलता है कि फ्लोराइड वाले क्षेत्रों में प्लोराइड का मुख्य कारण वहां की मृदा में फ्लोराइड युक्त खनिज और उनकी घुलनशीलता तथा अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियां हैं पी.एच. तथा क्षारकता फ्लोराइड की सांद्रता को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले अवयव हैं। पश्च मानसून मौसम में लगभग सभी जलगुणता प्राचलों की सांद्रताओं का कम होना यह दर्शाता है कि उथले जलदायी कुओं में वर्षा जल के चक्रीय प्रवाह से भूजल फ्लोराइड मुक्त हो जाता है। गहरे कुएं उथले कुओं की अपेक्षा अधिक प्लोराइड प्रदूषण से ग्रस्त पाये गए जिसका मुख्य कारण पुनःभरण की प्रक्रिया है तथा इससे यह निष्कर्ष भी निकलता है कि फ्लोराइड सांद्रता सम्पर्क अवधि तथा प्रवाह मार्ग पर भी निर्भर करती है।
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