Source
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
शहरी क्षेत्रों में जल की आपूर्ति हेतु मुख्यतः भू-जल का उपयोग किया जाता है। घनी आबादी की वजह से सीमित क्षेत्र में भू-जल की अत्यधिक निकासी करनी पड़ती है। साथ ही शहरी क्षेत्रों में निर्माण/विकास कार्य (भवन/सड़क) की अधिकता की वजह से परवियस क्षेत्र में कमी बनी रहती है। परिणामतः वर्षा भू-जल में पुनः चक्रीत न होकर लगभग पूर्ण रुप से अपवाह में परिवर्ति हो जाती है। इस तरह भू-जल का स्तर लगातार नीचे की ओर गिरता जाता है। ऐसे क्षेत्रों में वर्षा जल संचय एक बहुत ही कम लागत वाला सरल एवं प्रभावशाली तरीका है। शहरों में वर्षा जल संचयन पक्के और कच्चे दोनों प्रकार के स्थानों में किया जा सकता है। पक्के क्षेत्रों में टेरिस, छत या घर के बाहर के स्थानों एवं कच्चे क्षेत्रों में लॉन, किचन, बगीचे आदि शामिल है। वर्षा जल को इन क्षेत्रों में पाइप या नाली के द्वारा इकट्ठा कर भूमिगत टेंकों में भंडारित किया जात है। मानसून के शुरुआत में वर्षा में प्रदुषण का स्तर प्रायः अधिक होता है अतः इसका संचयन नहीं करते हैं। भूमिगत टैंक की क्षमता शहर की भौगोलिक स्थिति, वर्षा की मात्रा एवं पानी की आवश्यकता के अनुरुप निर्धारित करते हैं। इस पत्र में शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचय की संभावनाओं का विश्लेषण किया गया है। साथ ही साथ इसके संचयन एवं उसके संरक्षण के लाभों का वर्णन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्षा, जल संचयन से मृदा में नमी की मात्रा पहले से अधिक पायी गई एवं भू-जल के स्तर में सुधार देखा गया है।
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें