बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में आकाशीय बिजली गिरने की अलग-अलग घटनाओं से हुई 112 लोगों की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया। 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 88 मौत बिहार में हुई। गोपालगंज सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, यहां 13 लोगों की मौत हुई, जबकि मधुबनी और नवादा में आठ-आठ लोग मारे गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राहुल गांधी और देश के तमाम नेताओं ने ट्वीट कर संवेदनाएं व्यक्त की। हालांकि बिजली गिरने की ये पहली घटना नहीं है और न ही शायद अंतिम।
नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक आकाशीय बिजली गिरने से हर साल भारत में लगभग 2 हजार लोगों की मौत होती है। ये किसी भी आपदा से होने वाली मौतों से कईं ज्यादा अधिक है। इंडिया लाइटनिंग रिपोर्ट अर्थ नेटवर्क के मुताबिक वर्ष 2019 में एक जनवरी से 30 अगस्त के बीच आकाशीय बिजली गिरने देश में दो करोड़ 89 हजार 806 बिजली की घटनाएं हुई। बिजली भी दो प्रकार से गिरती है - बादलों से बादलों में और बादलों से जमीन पर। इनमें से 1 करोड़ 45 लाख 79 हजार 247 बिजली की घटनाएं बादलों से बादलों में ही हुई। देश में सबसे ज्यादा घटनाएं ओडिशा में हुई थी। पिछले साल ओडिशा में बिजली गिरने की 29,58,602 मामले सामने आए थे, जबकि पश्चिम बंगाल में 22,99,911 बार आकाशीय बिजली गिरी थी। झारखंड में 1844485, आंध्र प्रदेश में 1673235, मध्य प्रदेश में 1352248, बिहार में 12,54,251 बार और उत्तर प्रदेश में 12,29,594 घटनाएं बिजली गिरने की हुई थीं। सबसे कम बिजली लक्षद्वीप तथा दमन और दीव में गिरी थी। लक्षद्वीप में 25 तथा दमन और दीव में 29 बार बिजली गिरी थी। नीचे टेबल में राज्यवार बिजली गिरने की घटनाओं को आंकड़ों में बताया गया है।
पिछले साल के शुरूआती 8 महीनों में अर्थ नेटवर्क द्वारा खतरनाक वज्रपात के 13994 नेतावनियां जारी की थी। इनमें से पश्चिम बंगाल में 2638, ओडिशा में 2334, झारखंड में 1742, आंध्र प्रदेश में 1073 और बिहार में 1073 चेतावनियां जारी की गई थी। खतरनाक वज्रपात अलर्ट (डीटीए) की सबसे ज्यादा घटनाएं भी अप्रैल, मई और जून के महीने में ही हुई थी, यानी कि प्री-मानसून के दौरान। इनमें जनवरी में 2, फरवरी में 180, मार्च में 2382, मई में 3651, जून में 3990, जुलाई में 1440 और अगस्त में 1424 खतरनाक वज्रपात दर्ज किए गए थे। नीचे वाले टेबल में देश में 2019 खतरनाक वज्रपात अलर्ट (डीटीए) की जानकारी की दी गई है।
बिजली गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं भारत में जून के महीने में होती है। ये प्री-मानसून का महीना होता है और कुछ समय में ही मानसून दस्तक देने वाला होता है। मानसून की दस्तक के साथ ही आंधी-तूफान भी अधिक संख्या में बनने लगते हैं। अमर उजाला में अमेरिका की साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक शोध का हवाला देते हुए प्रकाशित खबर में बताया गया है कि तापमान बढ़ने के साथ ही आंधी-तूफान ज्यादा जाएंगे। बिजली गिरने की घटनाओं में भी इजाफा होगा। रिपोर्ट के अनुसार ‘यदि तापमान एक डिग्री बढ़ता है, तो बिजली गिरने की घटनाओं में 12 प्रतिशत का इजाफा होगा।
हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 1951 से 2015 के बीच जलवायु परिवर्तन के कारण वार्षिक औसत से अधिकतम तापमान में 0.15 डिग्री, जबकि न्यूनमत तापमान में 0.13 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है। दरअसल स्थानीय स्तर पर मौसम गर्म हो जाता है, जिसके चलते चलते कनवेक्टिव बादल बनते हैं। इन बादलों मे आकाशीय बिजली होते हैं। ये बादल जब बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमीयुक्त हवाओं के संपर्क में आते हैं, तो बारिश होती और बिजलियां गिरती हैं। ऐसे समय में अब हमारे लिए जलवायु परिवर्तन रोकने के प्रयासों को गंभीरता से करना बेहद जरूरी होगा गया है।
हिमांशु भट्ट (8057170025)