भूकंप (भाग १) – पैरों तले ज़मीन खिसक जाए

Submitted by Hindi on Sat, 07/23/2011 - 16:04
इन्द्रनील भट्टाचार्जी

(तीन भागों में मैं आप सबको प्रकृति के एक ऐसे भयानक रूप से रूबरू कराने जा रहा हूँ जिसे आज भी मानव ठीक तरह से समझ नहीं पाया है। लेख के साथ दिए गए चित्र विभिन्न वेबसाइट से लिया गया है ।)

दक्षिण न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर में 22 फरवरी को आए भूकंप के चलते इमारतों के ढ़हने के साथ-साथ बिजली एवं टेलीफोन की लाइनें भी प्रभावित हो गईं। न्यूज पेपर के मुताबिक क्राइस्टचर्च में मंगलवार को आए भूकंप की वजह से डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। खबरों के अनुसार भूकंप से कई इमारतें और मकान ढ़ह गए। लोगों के लापता होने और मकानों के मलबों के अंदर कई लोगों के दबे होने की खबरें हैं। मुख्य सड़कों से सटी इमारतें पूरी तरह ढ़ह गई हैं। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (यूएसजीएस) ने रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.3 नापी है। अभी तक भूकंप से हुए नुकसान का पूरा जायजा नहीं लिया जा सका है। भूकंप का केन्द्र क्राइस्टचर्च से पांच किलोमीटर उत्तर-उत्तरपश्चिम में चार किलोमीटर की गहराई में था। कुछ खबरें बताती हैं कि मंगलवार के भूकंप को पिछले साल चार सितंबर को आए 7.1 तीव्रता के भूकंप के बाद का सबसे जोरदार झटका समझा जाना चाहिए।

न्यूजीलैंड प्रशांत महासागर के भूकंप संभावित क्षेत्र में पड़ता है जो दक्षिण अमेरिका में चिली से लेकर दक्षिण प्रशांत क्षेत्र तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में एक साल में 14 हजार से ज्यादा भूकंप आते हैं लेकिन नागरिकों को केवल 150 के झटके महसूस होते हैं। इनमें से 10 से भी कम जान-माल का नुकसान पहुंचाते हैं।

आखिर ये भूकंप है क्या ? ये क्यूँ होता है ? कहाँ होता है ? इसे कैसे नापा जाता है ? क्या इससे बचा जा सकता है ? आइये इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं ।

पृथ्वी की बाह्य परत (crust) में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणामस्वरूप भूकंप आता है । यह उर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें (seismic wave) उत्पन्न करता है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट होता है । भूगर्भ में भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु को केन्द्र (focus) या हाईपो सेंटर (hypocenter) कहा जाता है । हाईपो सेंटर के ठीक ऊपर ज़मीन के सतह पर जो बिंदु है उसे अधिकेन्द्र (epicenter) कहा जाता है ।

भूकंपी तरंगें मूलतः तीन प्रकार के होते हैं । प्राइमरी तरंग (P wave), सेकंडरी तरंग (S wave) और सतही तरंगें (surface waves) । इनमें से सबसे खतरनाक और क्षतिकारक सतही तरंगें ही होते हैं ।

भूकंप का रिकार्ड एक सीस्मोमीटर (seismometer) के साथ रखा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है । एक भूकंप का परिमाण (magnitude) पारंपरिक रूप से मापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर (Richter) परिमाण लिया जाता है । ३ या उससे कम परिमाण की रिक्टर तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है और ७ रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है । झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने (Mercalli scale) पर किया जाता है।

भूकंप की उत्पत्ति के बारे में समझने के लिए ज़रूरी है पृथ्वी के अंदरूनी संरचना के बारे में समझना । धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों। उपरी सतह से लेकर अन्तर्भाग तक, पृथ्वी, कई परतों में बनी हुई है । पृथ्वी की बाहरी सतह (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेट में विभाजित है जो क्रमशः कई लाख सालों की अवधी में पूरे सतह से विस्थापित होती है । पृथ्वी का आतंरिक सतह एक अपेक्षाकृत ठोस भूपटल (mantle) की मोटी परत से बनी हुई है और सबसे अन्दर होता है एक कोर, जो एक तरल बाहरी कोर और एक ठोस लोहा का आतंरिक कोर (inner core) से बनी हुई है । बाहरी सतह के जो विवर्तनिक प्लेट हैं वो बहुत धीरे धीरे गतिमान हैं । यह प्लेट आपस में टकराते भी हैं और एक दुसरे से अलग भी होते हैं । ऐसी स्थिति में घर्षण के कारण भूखंड या पत्थरों में अचानक दरारें फुट सकती हैं । इस अचानक तेज हलचल के कारण जो शक्ति (energy) उत्सर्जित होती है, वही भूकंप के रूप में तबाही मचाती है ।

भूकंप के कारण


चलिए देखते हैं कि किन कारणों से भूकंप हो सकता है । भूकंप प्राकृतिक घटना (phenomenon) या मानवजनित कारणों से हो सकता है । अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं । भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं ।

प्लेट सीमाएं तीन प्रकार के होते हैं । रूपांतरित (transform), अपसारी (divergent) या अभिकेंद्रित (convergent) । ज्यादातर भूकंप रूपांतरित या फिर अभिकेंद्रित सीमाओं पर होती है । रूपांतरित सीमाओं पर दो प्लेट एक दुसरे से घिसकर जाते हैं । इस घर्षण के कारण दो प्लेट के सीमा पर तनाव उत्पन्न होता है । यह तनाव बढते बढते ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब भूगर्भीय पत्थर इस तनाव को झेल न पाने के कारण अकस्मात टूटते हैं । तनाव उर्जा का यह अचानक बाहर आना ही भूकंप को जन्म देता है । अभिकेंद्रित प्लेट सीमाओं में एक प्लेट दुसरे प्लेट से टकराता है । ऐसे में या तो एक प्लेट दुसरे प्लेट के नीचे सरक जाता है (जो महाद्वीपीय और समुद्रीय किनारे के टकराव में होता है) या फिर पर्वत-श्रंखला का जन्म होता है (जो दो महाद्वीपीय किनारों के टकराव में होता है) । दोनों ही स्थिति में प्लेट सीमाओं पर भयानक तनाव उत्पन्न होता है जिसके अचानक निष्कासन से भूकंप होता है । ज्यादातर गहरे केन्द्र वाले भूकंप अभिकेंद्रित सीमा पर होता है । 70 किलोमीटर से कम की गहराई पर उत्पन्न होने वाले भूकंप 'छिछले-केन्द्र' के भूकंप कहलाते हैं, जबकि 70-300 किलोमीटर के बीच की गहराई से उत्पन्न होने वाले भूकंप 'मध्य -केन्द्रीय' भूकंप कहलाते हैं । subduction क्षेत्र (subduction zones) में जहाँ पुरानी और ठंडी समुद्री परत (oceanic crust) अन्य टेक्टोनिक प्लेट के नीचे खिसक जाती है, गहरे केंद्रित भूकंप (deep-focus earthquake) अधिक गहराई पर ( 300 से लेकर 700 किलोमीटर तक ) आ सकते हैं । सीस्मिक रूप से subduction के ये सक्रीय क्षेत्र Wadati - Benioff क्षेत्र (Wadati-Benioff zone) कहलाते हैं । नीचे दिए गए चित्र में आप दुनिया भर में सबसे ज्यादा भूकंप होने वाले जगह देख सकते हैं । अपसारी प्लेट सीमाओं पर भी ज्वालामुखिओं के कारण भूकंप होते रहते हैं । जहाँ प्लेट सीमायें महाद्वीपीय स्थलमंडल में उत्पन्न होती हैं, विरूपण प्लेट की सीमा से बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है । महाद्वीपीय विरूपण सान अन्द्रिअस दोष (San Andreas fault) के मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं।

सभी टेक्टोनिक प्लेट्स में आंतरिक दबाव क्षेत्र होते हैं जो अपनी पड़ोसी प्लेटों के साथ अंतर्क्रिया के कारण या तलछटी लदान या उतराई के कारण होते हैं । ये तनाव उपस्थित दोष सतहों के किनारे विफलता का पर्याप्त कारण हो सकते हैं, ये अन्तःप्लेट भूकंप (intraplate earthquake) को जन्म देते हैं ।

भूकंप अक्सर अन्तःप्लेट क्षेत्रों में भी ज्वालामुखी के कारण उत्पन्न होते हैं । यहाँ इनके दो कारण होते हैं, टेक्टोनिक दोष तथा ज्वालामुखी में लावा (magma) की गतिविधि । ऐसे भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट की पूर्व चेतावनी भी हो सकते हैं ।

एक क्रम में होने वाले अधिकांश भूकंप, स्थान और समय के संदर्भ में एक दूसरे से सम्बंधित हो सकते हैं । मुख्य झटके से पूर्व या बाद भी झटके आ सकते हैं । इन्हें foreshocks या aftershocks कहते हैं ।

भूकंप के प्रभाव


भूकंप के मुख्य प्रभावों में झटके और भूमि का फटना शामिल हैं, जिससे इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं (जैसे कि बांध, पुल, नाभिकीय उर्जा केंद्र इत्यादि) को कमोबेश नुक्सान पहुँचती है लेकिन ये प्रभाव यहाँ तक ही सीमित नहीं हैं । भूकंप, भूस्खलन (landslide) और हिम स्खलन पैदा कर सकता है, जो पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है । भूकंप के कारण, किसी विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है । भूकंप के कारण मिट्टी द्रवीकरण (Soil liquefaction) हो सकता है जिससे इमारतों और पुलों को नुक्सान पहुँच सकता है । समुद्र के भीतर भूकंप से सुनामी आ सकता है । भूकंप से क्षतिग्रस्त बाँध के कारण बाढ़ आ सकती है ।

भूकंप से जीवन की हानि, सम्पत्ति की क्षति, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग इत्यादि होता है । अगले भाग में मैं आप सबको ऐतिहासिक समय में होने वाले सबसे बड़े और मुख्य भूकंपों के बारे में बताऊँगा ।

अन्य स्रोतों से




बाहरी कड़ियाँ
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
हिन्दी में -

शब्द रोमन में






संदर्भ