विश्व भू-जल दिवस आज
भू-जल का अत्यधिक दोहन व पानी बचाने के प्रति जागरूकता के अभाव के कारण जिले का भू-जल स्तर रसातल में जा चुका है। स्थिति ये है कि भू-जल स्तर के लगातार गिरने से पीने योग्य पानी रासायनिक गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है। बरसात के पानी की बूंद-बूंद नहीं बचाई गई तो वो दिन दूर नहीं जब जिलेवासी पीने के पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो जाएंगे।
चूरू, 9 जून 08
पानी के अंधाधुंध दोहन के चलते जिले में भू-जल स्तर में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है जिससे कुओं की जल देय क्षमता पर विपरीत असर पड़ा है। भू-जल विभाग के सर्वे के मुताबिक जिले में भू-जल दोहन में राजगढ़ तहसील की स्थिति सबसे खतरनाक है। भू-जल दोहन में चूरू, सरदारशहर व रतनगढ़ तहसील की स्थिति वर्ष 2006 में वर्षा पूर्व हुए सर्वे के मुताबिक तो संतोषजनक है। पानी के संरक्षण व अनावश्यक दोहन के प्रति जागरूकता नहीं आई तो जिले में पानी एक दिन कहानी बनकर रह जाएगा।
कारण
- बढ़ती जनसंख्या
- अनियंत्रित दोहन
- बारिश कम होना
- जल की अधिक खपत वाली फसलों का उत्पादन
- परम्परात जल स्रोत पर ध्यान नहीं
समस्याएं
- भू-जल स्तर रसातल में जाएगा
- भू-जल संसाधनों में कमी
- सूख जाएंगे कुएं-बावड़ी
- भू-जल की गुणवत्ता में गिरावट
- भू-जल दोहन के लिए ऊर्जा की अधिक खपत
उपाय
- जल संरक्षण के परम्परागत स्रोतों की सुध लें
- बारिश के पानी की बूंद-बूंद बचाएं
- पानी का व्यर्थ उपयोग न हो
- सिंचाई में आधुनिक तकनीक का उपयोग
- कम पानी में होने वाली फसलों को बढ़ावा
ऐसे घटा भू-जल स्तर
तहसील -पुनर्भरण---उपलब्धता--- दोहन
राजगढ़ -6.4------5.7------ 25.2
सुजानगढ़ -37.16---33.44---- 32.56
रतनगढ़ -26.93----24.90---- 14.57
सरदारशहर-62.26---56.04---- 16.18
चूरू--------9.79-----8.81-----7.82
(आंकड़े भू-जल सम्भावित क्षेत्रों में वार्षिक पुनर्भरण और दोहन से संबंधित हैं। सभी आंकड़े एमसीएम इकाई में हैं)
गांवों में स्थिति खतरनाक
जिले की प्रत्येक तहसील में कुछ गांवों में भू-जल स्तर गिरने की स्थिति खतरनाक है। भू-जल स्तर में अधिक गिरावट वाले गांवों में कुओं की जलदेय क्षमता भी कम होती जा रही है।
तहसील---गांव----स्तर गिरा
चूरू-----41-----0.33 मीटर
राजगढ़---38----1.06 मीटर
सुजानगढ़--21----2.36 मीटर
रतनगढ़--35-----0.42 मीटर
सरदारशहर--06---1.42 मीटर
(आंकड़े 2005 से 2006 की अवधि में ऐसे गांवों के हैं जिनमें सबसे अधिक मीटर भू-जल स्तर गिरा है। )
कहां-कितनी गिरावट
वर्ष 1984 से 2006 की अवधि में चूरू तहसील के भू-जल स्तर में 0.13 मीटर, सुजानगढ़ तहसील में 4.08, राजगढ़ तहसील में 4.18 व रतनगढ़ में 2.10 मीटर औसत गिरावट दर्ज की गई है। इस अवधि में तारानगर तहसील में भू-जल स्तर बढ़ा है। तारानगर तहसील का अधिकांश भू-जल लवणीय होने के कारण दोहन की दर लगभग शून्य है।
इनका कहना...
निश्चित रूप से जिले में भू-जल स्तर की स्थिति चिंताजनक है। हर साल जिले में भू-जल स्तर गिरता जा रहा है। पानी के संरक्षण को बढ़ावा नहीं दिया गया तो कुछ सालों में स्थिति ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
- लक्ष्मण सिंह राठौड़, भू-जल वैज्ञानिक, चूरू
---विश्वनाथ सैनी
विश्वनाथ सैनी जी का ईमेल -Vishwanathsaini(at)gmail.com
विश्वनाथ सैनी अपने बारे में - खाने से ज्यादा पीने का शौक है... पढने से दोगुना लिखता हू....13 जुलाई 2006 को द MINDPOOL स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म (जयपुर) में दाखिला... 13 फ़रवरी 2007 को राजस्थान पत्रिका के सीकर संस्करण में... एक माह बाद 13 मार्च 2007 को राजस्थान पत्रिका के बंगलोर संस्करण में... 13 अगस्त 2007 तक.... और फिर अगला पडाव राजस्थान पत्रिका के ब्यूरो चूरू में...
विश्वनाथ सैनी का ब्लॉग
ख़ुद पर है यकीन छू लेंगे आसमां
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भू-जल का अत्यधिक दोहन व पानी बचाने के प्रति जागरूकता के अभाव के कारण जिले का भू-जल स्तर रसातल में जा चुका है। स्थिति ये है कि भू-जल स्तर के लगातार गिरने से पीने योग्य पानी रासायनिक गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है। बरसात के पानी की बूंद-बूंद नहीं बचाई गई तो वो दिन दूर नहीं जब जिलेवासी पीने के पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो जाएंगे।
चूरू, 9 जून 08
पानी के अंधाधुंध दोहन के चलते जिले में भू-जल स्तर में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है जिससे कुओं की जल देय क्षमता पर विपरीत असर पड़ा है। भू-जल विभाग के सर्वे के मुताबिक जिले में भू-जल दोहन में राजगढ़ तहसील की स्थिति सबसे खतरनाक है। भू-जल दोहन में चूरू, सरदारशहर व रतनगढ़ तहसील की स्थिति वर्ष 2006 में वर्षा पूर्व हुए सर्वे के मुताबिक तो संतोषजनक है। पानी के संरक्षण व अनावश्यक दोहन के प्रति जागरूकता नहीं आई तो जिले में पानी एक दिन कहानी बनकर रह जाएगा।
कारण
- बढ़ती जनसंख्या
- अनियंत्रित दोहन
- बारिश कम होना
- जल की अधिक खपत वाली फसलों का उत्पादन
- परम्परात जल स्रोत पर ध्यान नहीं
समस्याएं
- भू-जल स्तर रसातल में जाएगा
- भू-जल संसाधनों में कमी
- सूख जाएंगे कुएं-बावड़ी
- भू-जल की गुणवत्ता में गिरावट
- भू-जल दोहन के लिए ऊर्जा की अधिक खपत
उपाय
- जल संरक्षण के परम्परागत स्रोतों की सुध लें
- बारिश के पानी की बूंद-बूंद बचाएं
- पानी का व्यर्थ उपयोग न हो
- सिंचाई में आधुनिक तकनीक का उपयोग
- कम पानी में होने वाली फसलों को बढ़ावा
ऐसे घटा भू-जल स्तर
तहसील -पुनर्भरण---उपलब्धता--- दोहन
राजगढ़ -6.4------5.7------ 25.2
सुजानगढ़ -37.16---33.44---- 32.56
रतनगढ़ -26.93----24.90---- 14.57
सरदारशहर-62.26---56.04---- 16.18
चूरू--------9.79-----8.81-----7.82
(आंकड़े भू-जल सम्भावित क्षेत्रों में वार्षिक पुनर्भरण और दोहन से संबंधित हैं। सभी आंकड़े एमसीएम इकाई में हैं)
गांवों में स्थिति खतरनाक
जिले की प्रत्येक तहसील में कुछ गांवों में भू-जल स्तर गिरने की स्थिति खतरनाक है। भू-जल स्तर में अधिक गिरावट वाले गांवों में कुओं की जलदेय क्षमता भी कम होती जा रही है।
तहसील---गांव----स्तर गिरा
चूरू-----41-----0.33 मीटर
राजगढ़---38----1.06 मीटर
सुजानगढ़--21----2.36 मीटर
रतनगढ़--35-----0.42 मीटर
सरदारशहर--06---1.42 मीटर
(आंकड़े 2005 से 2006 की अवधि में ऐसे गांवों के हैं जिनमें सबसे अधिक मीटर भू-जल स्तर गिरा है। )
कहां-कितनी गिरावट
वर्ष 1984 से 2006 की अवधि में चूरू तहसील के भू-जल स्तर में 0.13 मीटर, सुजानगढ़ तहसील में 4.08, राजगढ़ तहसील में 4.18 व रतनगढ़ में 2.10 मीटर औसत गिरावट दर्ज की गई है। इस अवधि में तारानगर तहसील में भू-जल स्तर बढ़ा है। तारानगर तहसील का अधिकांश भू-जल लवणीय होने के कारण दोहन की दर लगभग शून्य है।
इनका कहना...
निश्चित रूप से जिले में भू-जल स्तर की स्थिति चिंताजनक है। हर साल जिले में भू-जल स्तर गिरता जा रहा है। पानी के संरक्षण को बढ़ावा नहीं दिया गया तो कुछ सालों में स्थिति ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
- लक्ष्मण सिंह राठौड़, भू-जल वैज्ञानिक, चूरू
---विश्वनाथ सैनी
विश्वनाथ सैनी जी का ईमेल -Vishwanathsaini(at)gmail.com
विश्वनाथ सैनी अपने बारे में - खाने से ज्यादा पीने का शौक है... पढने से दोगुना लिखता हू....13 जुलाई 2006 को द MINDPOOL स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म (जयपुर) में दाखिला... 13 फ़रवरी 2007 को राजस्थान पत्रिका के सीकर संस्करण में... एक माह बाद 13 मार्च 2007 को राजस्थान पत्रिका के बंगलोर संस्करण में... 13 अगस्त 2007 तक.... और फिर अगला पडाव राजस्थान पत्रिका के ब्यूरो चूरू में...
विश्वनाथ सैनी का ब्लॉग
ख़ुद पर है यकीन छू लेंगे आसमां
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