यूँ तो हिंदी ब्लॉगिंग सहित ब्लॉग आधारित विशुद्ध पत्रकारिता प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है । उसे हम डॉट कॉम और ओआरजी जैसे व्यवसायिक पोर्टलों के मुकाबले आज खड़े नहीं कर सकते । क्योंकि उपलब्ध ब्लॉग में वह सारी सुविधाएं भी नहीं है जो एक वेब पोर्टल में सामान्यतः होती हैं । वेब पोर्टल का सौदंर्यशास्त्र भी इन ब्लॉगों को कुछ पल के लिए कमजोर साबित कर सकता है किन्तु जिन्हें समाचार, विचार और सूचना मात्र पर विश्वास होगा वे इन ब्लॉगों पर प्रदत्त सुविधाओं से मूँह नहीं मोड़ सकते । ब्लॉगरों की दुनिया का विश्लेषण करें और खास तौर पर समाचार लेखन की भाषा पर विचार करें तो अभी वहाँ पत्रकारिता का कॉमन आचरण संहिता का दबाब नज़र नहीं आता जो वेब पत्रकारिता के लिए भी अपरिहार्य होगी । भविष्य में उच्छृंखल भाषा से इन ब्लॉग लेखक-पत्रकारों स्वयं को बचाना होगा । अच्छा होगा कि वे स्वयं ही आत्मानुशासन का नया शास्त्र तैयार करें जो भविष्य में ब्लॉग आधारित पत्रकारिता के साथ-साथ समकालीन अन्य ब्लॉग लेखकों को भी अनुशासित होने के लिए प्रेरित और बाध्य कर सके । जहाँ तक समाचार और विचार चयन का प्रश्न है वहाँ भी चौंथे स्तम्भ की मर्यादाओं का अनुपालन स्वतः स्फूर्त आवश्यक है ताकि प्रजातांत्रिक मूल्यों और संस्कारों को कहीं से खरोंच न लगे । आज जबकि बड़ों घरानों के समाचार पोर्टल दनदनाते हुए अंतरजाल पर नित-प्रतिदिन कोने कगरे से समाचार परोस रहे हैं से टक्कर लेने में और उनके बरक्स अपनी पठनीयता और विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए ब्लॉग पत्रकारों को जरूरी है कि वे समाचार संकलन की सर्वसुलभ प्रविधियों से हटकर उन जगहों पर समाचार तलाशें जहाँ एक प्रोफेशनल पत्रकार लगभग नहीं जाता या उसे वहाँ जाने बिना भी पगार मिल जाया करता है या उसे वहाँ समाचार जैसा कुछ दिखाई नहीं देता । इस दृष्टि से ब्लॉग आधारित पत्रकारिता उपेक्षित विषयों पर लेखन के लिए पतित पावनी गंगा सिद्ध हो सकती है । इसे हम बाजारवादी और उपभोक्तावादी पत्रकारिता के विरूद्ध एक कारगर अस्त्र के रूप में भी देखें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जिस तरह से समकालीन भारतीय परिस्थितियाँ गवाही दे रही हैं, उसे परीक्षित कर कहा जा सकता है कि भविष्य में वंचित, शोषित, पीड़ित और उपेक्षित मनुष्यता की चीखों, पुकारों, आवाज़ों को नज़रअंदाज करने वाली विद्रपताओं के विरूद्ध एक शसक्त विकल्प के रूप में भी इन ब्लॉगों को कारगर बनाया जा सकता है । तब ये ब्लॉग-पत्र सबसे ताकतवर मीडिया के रूप में जानी पहचानी जा सकेंगी । सिर्फ़ इतना ही नहीं इस माध्यम से भाषायी पत्रकारिता की दिशा में भी काफी कुछ किया जा सकेगा ।
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