संपर्क व्यक्ति
बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
ईमेल
l.balasubramaniam@gmail.com
फोन न.
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डाक पता/ Postal Address
अहमदाबाद, गुजरात
बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण की जुबानी उनकी कहानी
मुझे आमतौर पर बाला ही कहते हैं, आप जान गए होंगे कि क्यों। परिवार में और दक्षिण भारतीयों में मेरे नाम का सक्षेपण बालू होता है। पेशे से हिंदी अनुवादक और अहमदाबाद का निवासी हूं। वैसे मैं केरल का तमिल हूं। मेरा जन्म वर्ष 1962 में केरल के पोन्नानी नाम के समुद्र-तटीय गावं में हुआ था। केरल में ही, चिट्टूर और नूरणी नामक स्थानों में मेरी प्राथमिक शिक्षा मलयालम भाषा में हुई (मुझे याद है कि मैं कुछ महीने नूरणी हिंदू हाई स्कूल में भी पढ़ा हूं)। पर मैं केरल में अधिक समय के लिए नहीं रहा। जब मैं सात या आठ साल का था, हम लखनऊ चले गए, जहां मेरी स्कूली पढ़ाई सेंट फ्रांसेस कालेज में पूरी हुई। बीएससी दिल्ली के हंसराज कालेज से की। हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए भी किया। तत्पश्चात इग्नू से एमसीए (मास्टर ओफ कंप्यूटर एप्लिकेशेन्स) की डिग्री भी हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद मुझे अहमदाबाद स्थित एक पर्यावरण शिक्षण संस्था में लेखक-अनुवादक की नौकरी मिली। यह 1985 की बात है। तब से मैं अहमदाबाद में ही हूं। वर्ष 2007 में मैंने नौकरी छोड़कर अनुवाद और स्वतंत्र लेखन को ही पूरा समय देना शुरू कर दिया। मैं हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल और मलयालम भाषाएं जानता हूं, और इनमें से प्रथम दो भाषाओं में खूब लिखता और अनुवाद करता हूं।
मुझे आमतौर पर बाला ही कहते हैं, आप जान गए होंगे कि क्यों। परिवार में और दक्षिण भारतीयों में मेरे नाम का सक्षेपण बालू होता है। पेशे से हिंदी अनुवादक और अहमदाबाद का निवासी हूं। वैसे मैं केरल का तमिल हूं। मेरा जन्म वर्ष 1962 में केरल के पोन्नानी नाम के समुद्र-तटीय गावं में हुआ था। केरल में ही, चिट्टूर और नूरणी नामक स्थानों में मेरी प्राथमिक शिक्षा मलयालम भाषा में हुई (मुझे याद है कि मैं कुछ महीने नूरणी हिंदू हाई स्कूल में भी पढ़ा हूं)। पर मैं केरल में अधिक समय के लिए नहीं रहा। जब मैं सात या आठ साल का था, हम लखनऊ चले गए, जहां मेरी स्कूली पढ़ाई सेंट फ्रांसेस कालेज में पूरी हुई। बीएससी दिल्ली के हंसराज कालेज से की। हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए भी किया। तत्पश्चात इग्नू से एमसीए (मास्टर ओफ कंप्यूटर एप्लिकेशेन्स) की डिग्री भी हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद मुझे अहमदाबाद स्थित एक पर्यावरण शिक्षण संस्था में लेखक-अनुवादक की नौकरी मिली। यह 1985 की बात है। तब से मैं अहमदाबाद में ही हूं। वर्ष 2007 में मैंने नौकरी छोड़कर अनुवाद और स्वतंत्र लेखन को ही पूरा समय देना शुरू कर दिया। मैं हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल और मलयालम भाषाएं जानता हूं, और इनमें से प्रथम दो भाषाओं में खूब लिखता और अनुवाद करता हूं।