कोलः
किसी पर्वत कटक के आर-पार एक दर्रानुमा अन्तराल जो कटक के विपरीत पार्श्वों पर स्थित दो सर्कों (हिमजगह्लरों) के विवर्धन के फलस्वरूप बन जाता हैं।
(1) पर्वतों अथवा पहाड़ियों का किसी श्रृंखला में एक सापेक्षतः निचला भाग, जिसके परिणामस्वरूप साधारणतः ऋंखला में एक अंतराल बन जाता है, इसे दर्रा (pass) या सैडिल भी कहते हैं। इसकी रचना उस समय होती है जब कि दो सर्कों का विकास क्रमशः एक-दूसरे के पीछे होता रहता है या जल-विभाजकों के दोनों पार्श्वों पर नदियां आमने-सामने या एक-दूसरे की ओर अपरदन करके जल-विभाजक को नीचा करती रहती हैं।
(2) मौसम विज्ञान में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द, जिसका अर्थ है- लगभग एकसमान दाब का क्षेत्र, जो उच्चदाब या प्रतिचक्रवातों के दो कटकों के मध्य पाया जाता है।
अन्य स्रोतों से
1. किसी पर्वत श्रेणी में ऊँचाई पर स्थित अनुप्रस्थ घाटी जिसके दोनों ओर तीव्रढाल युक्त भूमि होती है। पहाड़ी का यह निचला भाग दर्रा (pass) के रूप में होता है जिससे होकर मार्ग जाते हैं। इसका निर्माण अपरदन के विभिन्न कारकों द्वारा कई प्रकार से होता है। अनुवर्ती नदियों के शीर्ष अपरदन द्वारा जल विभाजक के कटाव से काल का निर्माण होता है। किसी कटक या पहाड़ी के विपरीत ढालों पर स्थित दो सर्कों के बीच की भूमि (अरेत) के क्रमिक अपरदन द्वारा भी काल निर्मित होता है।
2. समीप स्थित दो अवदाबों अथवा दो प्रतिचक्रवातों के बीच स्थित लगभग समान वायुदाब वाला क्षेत्र। दो अवदाबों के मध्य स्थित काल में वायुदाब अपेक्षाकृत् अधिक पाया जाता है जबकि दो प्रतिचक्रवातों के मध्य स्थित काल में वायुदाब अपेक्षाकृत् कम होता है। काल के किनारों तथा प्रतिचक्रवातों एवं अवदाबों के चारों ओर हवाएँ विभिन्न दिशाओं में चलती हैं किन्तु काल के भीतर पवनें मन्द और भिन्न होती हैं। ग्रीष्मकालीन काल से सम्बन्ध मौसम प्रायः अच्छा होता है किन्तु कभी-कभी तड़ित झंझा के विकास की भी प्रवृत्ति पायी जाती है। शीतकाल में काल से सम्बद्ध दशाएं मन्द अथवा कुहरामय होती हैं।
2. समीप स्थित दो अवदाबों अथवा दो प्रतिचक्रवातों के बीच स्थित लगभग समान वायुदाब वाला क्षेत्र। दो अवदाबों के मध्य स्थित काल में वायुदाब अपेक्षाकृत् अधिक पाया जाता है जबकि दो प्रतिचक्रवातों के मध्य स्थित काल में वायुदाब अपेक्षाकृत् कम होता है। काल के किनारों तथा प्रतिचक्रवातों एवं अवदाबों के चारों ओर हवाएँ विभिन्न दिशाओं में चलती हैं किन्तु काल के भीतर पवनें मन्द और भिन्न होती हैं। ग्रीष्मकालीन काल से सम्बन्ध मौसम प्रायः अच्छा होता है किन्तु कभी-कभी तड़ित झंझा के विकास की भी प्रवृत्ति पायी जाती है। शीतकाल में काल से सम्बद्ध दशाएं मन्द अथवा कुहरामय होती हैं।