भारत सरकार के कोयला एवं ऊर्जा मन्त्री पीयूष गोयल ने दामोदर वैली कारपोरेशन तथा कोल इण्डिया की कम्पनियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि तीन माह के भीतर वे सुनिश्चित करें कि उनकी गतिविधियों से दामोदर नदी एवं इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण नहीं होगा। उन्होंने आदेश दिया कि छाई और स्लरी युक्त पानी की एक बूँद भी दामोदर में नहीं गिरे बल्कि इसे बन्द परिपथ में रखकर इसका विविध उपयोग किया जाये।
केन्द्रीय मन्त्री ने कहा कि 3 माह बाद वे केन्द्रीय उपक्रमों द्वारा दामोदर नदी को प्रदूषण से बचाने के लिये किये गए उपायों की समीक्षा करेंगे। उन्होने आदेश दिया कि इस बीच होने वाली प्रगति से कम्पनियाँ उन्हें और झारखण्ड सरकार के मन्त्री सरयू राय को अवगत कराती रहेंगी। केन्द्रीय मन्त्री ने दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के विषय पर एक बैठक नई दिल्ली के श्रमशक्ति भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में की।
बैठक का आयोजन दामोदर बचाओ आन्दोलन के अध्यक्ष एवं झारखण्ड सरकार में मन्त्री सरयू राय के अनुरोध पर किया गया। बैठक में श्री गोयल और श्री राय के अतिरिक्त कोयला एवं ऊर्जा मन्त्रालयों के संयुक्त सचिव, सीसीएल और डीवीसी के सीएमडी एवं अन्य अधिकारी, कोल इण्डिया के अधिकारी, केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और झारखण्ड प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के अधिकारी सहित करीब डेढ़ दर्जन अन्य सहायक अधिकारी शामिल थे।
दामोदर एक नदी है जो लोहरदगा ज़िला केकुडु तथा लातेहार ज़िला के चंदवा प्रखण्ड की सीमा पर स्थित बोदा पहाड़ से निकलती है और गंगा सागर के पहले गंगा नदी की शाखा हुगली में मिल जाती है। कोल इण्डिया की सहायक कम्पनियों - सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल, डीवीसी की इकाइयाँ - बोकारो थर्मल, चंद्रपुरा थर्मल एवं दुर्गापुर थर्मल पावर प्लांट, बोकारो स्टील प्लांट और झारखण्ड सरकार की कम्पनियाँ पतरातु थर्मल एवं चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट द्वारा दामोदर का भीषण प्रदूषण हो रहा है।
डीवीसी के सीएमडी ने एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन द्वारा उनकी कम्पनियों द्वारा हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए किये जा रहे उपायों को बताया और कहा कि छाईयुक्त पानी को बन्द परिपथ मे रखा जायेगा और नदी में नहीं डाला जायेगा। सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने भी इस बारे मे किये जा रहे उपायों पर प्रकाश डाला और आश्वस्त किया कि आगे से किसी भी वाशरी अथवा खदान का स्लरी युक्त गन्दा पानी सीधे दामोदर में नहीं गिरेगा।
सरयू राय मन्त्री को एक स्मार पत्र दिया और 2004 से अब तक दामोदर बचाओ आन्दोलन द्वारा दामोदर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये हुये जनान्दोलन का सचित्र विवरण सभी के सामने प्रस्तुत किया। उन्होने 'देवनद दामोदर की व्यथा' नामक अपनी एक लघु पुस्तिका भी मन्त्री एवं अधिकारियों को दी जिसमें दामोदर के प्रदूषण का विवरण मौजूद है। उन्होंने चंदवा के चोरी साइडिंग, खलारी, अशोकों प्रोजेक्ट, गिद्दी वाशरी, पतरातु थर्मल पावर, रामगढ़ नगर, रजरप्पा वाशरी, तेनुघाट विद्युत निगम, बोकारो और चंद्रपुरा थर्मल, बोकारो स्टील, तेलमच्चो, मुनीडीह, सुदामडीह, पारडीह और संथालडीह के प्रदूषण से मन्त्री को अवगत कराया।
जगह-जगह पर ओवरबर्डेन, स्लरी पहाड़ आदि के कारण नद के अतिक्रमण और बिना ढके हो रहे छाई एवं कोयले के ट्रांसपोर्टेशन से हो रहे प्रदूषण और कोयलांचल में हो रहे प्रदूषित पेयजल आपूर्ति का विस्तृत एवं सचित्र विवरण केन्द्रीय मन्त्री के सामने प्रस्तुत किया और केन्द्रीय लोक उपक्रमों का संचालन करने वाले मेधावी मस्तिष्क वाले अधिकारियों से प्रदूषण मुक्त उत्पादन करने, पर्यावरण को ठीक रखने तथा उनके प्रतिष्ठानों मे कार्यरत कर्मियों एवं मज़दूरों के साथ ही कोयलांचल की जनता के हितों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। अन्त मे सरयू राय ने केन्द्रीय मन्त्री श्री पीयूष गोयल के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने दामोदर नदी प्रदूषण के गम्भीर संकट को दूर करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई।