धनबाद। पश्चिम बंगाल के जाने-माने नदी वैज्ञानिक सुप्रतीम कर्मकार ने कहा कि नदियों के सन्दर्भ में योजना वहाँ की भौगोलिक परिस्थिति को समझकर करना चाहिए। वे आज धनबाद के गाँधी सेवा सदन में छोटानागपुर किसान विकास संघ के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। दामोदर और उनकी सहायक नदियों को बचाने को लेकर संगोष्ठी थी। उन्होंने कहा कि नदी को कैसे बचाएँ, इसके संरक्षण के लिये कोई विभाग नहीं है, जबकि भारत नदी प्रधान देश है। हमारे देश में योजना पश्चिमी देशों के नकल के तर्ज पर क्रियान्वित की जाती है। यूरोप से सिर्फ अलग नहीं बल्कि एक राज्य से दूसरे राज्य का भूमि वैशिष्ट अलग है।
समारोह में अपरिहार्य कारणों से गंगा मुक्ति आन्दोलन के प्रमुख अनिल प्रकाश उपस्थित नहीं हो पाये, लेकिन उन्होंने अपना संदेश संगोष्ठी में फोन के माध्यम से दिया। अपने सन्देश में उन्होंने कहा कि दामोदर के सवाल पर हो रहे आन्दोलन को देशव्यापी बनाए जाने की आवश्यकता है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए अशोक भारत ने कहा कि पूरे देश में पानी और नदी के सवाल पर आन्दोलन हो रहे हैं। उन्होंने घनबाद के समीप के खुदिया नदी के अस्तित्व पर गहराते संकट की चर्चा की। साथ ही दामोदर से जुड़े आन्दोलनकारियों को सुझाव दिया कि वे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगे कि 10.22 करोड़ रुपए की उस राशि का क्या हुआ जो दामोदर नदी की सफाई के लिये मिले थे।
पश्चिम बंगाल से आये पर्यावरणकर्मी तापस दास ने कहा कि जीवन बचाना है तो नदी बचाना है। नदी सिर्फ पानी का बहाव नहीं है पूरा-का-पूरा मामला जैवविविधता से जुड़ा है। वहीं विजय सरकार ने नदी जोड़ने की योजना का विरोध करते हुए कहा कि ये परियोजना नदी के लिए विनाशकारी होगा। वहीं दिगन्त पथ के सम्पादक शैलेन्द्र ने कहा कि यह गाँधी विनोबा की धरती है। विकास का माॅडल प्रकृति आधारित होनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन कुमार कृष्णन ने किया। बंगाल से आए त्रिलोकेश कुंडू ने पर्यावरण के सवाल पर किये जा रहे आन्दोलन में महिलाओं की सशक्त भागीदारी की आवश्यकता बताई। छोटानागपुर किसान विकास संघ के केन्द्रीय अध्यक्ष रामचंद्र रवानी ने दामोदर बचाओ आन्दोलन के सफर को विस्तार से रेखांकित किया और कहा कि यह संगोष्ठी नए तरीके से निर्णायक लड़ाई का एक अंग है। वही किशोर जायसवाल ने पानी के व्यवसायीकरण और पानी पर आम लोगोें के हक का सवाल उठाया। इस मौके पर दामोदर आन्दोलन के दौरान 1999 में हुए जलसमाधि में भाग लेने वाले सत्याग्रहियों को सम्मानित किया गया, इनमें तीन महिलाएँ भी थीं।
इस अवसर रामपूजन, रामरतन राम, संजय कुमार, काकुली राय, भागीरथ महतो, डाॅ विश्वनाथ आजाद, नवीन मोहन, धनश्याम मिश्र, उमेश उषा, नवनीत, संतोष विकराल, त्रिभुवन, उपेन्द्र सिंह सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आये नदी पर्यावरण के सवाल पर काम करने वाले कई संगठनों के लोगों ने हिस्सा लिया।