भूमिगत जल में आर्सेनिक की समस्या को लेकर ट्रीटमेंट के लिए बनाई जाएगी योजना
राँची। भारत सरकार झारखण्ड के नदियों को जोड़ने एवं उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए कृत संकल्पित है। केन्द्रीय जलसंसाधन मन्त्री उमा भारती ने इस बावत् आज मुख्यमन्त्री रघुवर दास के साथ आज प्रोजेक्ट भवन स्थित सभा कक्ष में राज्य में चल रही स्वर्णरेखा परियोजना, गंगा सफाई परियोजना, पेयजल समस्याओं सहित जलसंसाधन के विभिन्न पहलुओं पर केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक की।
बैठक के उपरान्त केन्द्रीय मन्त्री जल संसाधन ने कहा कि केन्द्र राज्य के हर सम्भव सहयोग को तैयार है। उन्होंने कहा कि राज्य की इन समस्याओं के निदान के लिए राशि की कमी नहीं है। केन्द्र एवं राज्य दोनों मिलकर राज्य का विकास करेंगे। उन्होंने कहा कि यद्यपि झारखण्ड को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया है, फिर भी 22 जिले नक्सल प्रभावित हैं, अतः झारखण्ड स्वतः विशेष राज्य की श्रेणी में आता है। इसके विकास के लिए वित्त सम्बन्धित वे सभी सुविधाएँ दी जाएगी जो विशेष राज्य की श्रेणी के राज्यों को प्राप्त है।
केन्द्रीय मन्त्री सुश्री भारती ने कहा कि झारखण्ड को गंगा के लिए माॅडल स्टेट बनाया जाएगा। यहाँ गंगा मोक्ष के साथ रोटी भी देगी। गंगा को प्रदूषण मुक्त, डिसिल्टेशन कर गंगा के किनारे बसे गाँवों में आॅर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। गंगा में मछली उत्पादन को विकसित किया जाएगा।
केन्द्रीय मन्त्री ने कहा कि राज्य में चल रही स्वर्णरेखा परियोजना को निश्चित ही पूरा किया जाएगा। इसे पूर्ण करने में जो भी कठिनाईयाँ थी उसे दूर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी राज्यों के प्रस्ताव की जानकारी के लिए गंगा मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी सम्बन्धित राज्यों के प्रतिनिधि भी भाग लिए थे।
गंगा मंथन में विभिन्न राज्यों से प्राप्त प्रस्तावों एवं सुझावों को गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना में शामिल किया जा रहा है। झारखण्ड में दामोदर नदी पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के साथ-साथ दामोदर को प्रदूषण मुक्त करना अनिवार्य है। दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहयोग हेतु इसके किनारे बने उद्योगों एवं कोल इण्डिया के अधिकारियों को निदेशित किया जा रहा है।
सुश्री भारती ने कहा कि नदियों में गाद की समस्या है, जिसके निराकरण के लिए भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की एक समिति बनाई जाएगी जो गंगा में गाद की समस्या का अध्ययन करेगी तथा इसके निराकरण हेतु सुझाव देगी। उन्होंने कहा कि भूमिगत जल में आर्सेनिक की समस्या है जो पेयजल को प्रदूषित कर रही है। इसके ट्रीटमेंट के लिए भी योजना बनाई जाएगी ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल दिया जा सके। आॅर्गेनिक खेती पर भी विचार किया जाएगा।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि केन्द्रीय मन्त्री के साथ हुई बैठक से सरकार आश्वस्त है कि राज्य की जल संसाधन सम्बन्धित योजनाओं के लिए केन्द्र हर सम्भव सहयोग करेगा। कुछ क्षेत्रों में भूमिगत जल में आर्सेनिक पाए जाने के कारण हो रही समस्याओं से अवगत कराया गया है एवं इसके निदान हेतु अनुरोध किया गया है। मुख्यमन्त्री ने कहा कि स्वर्णरेखा परियोजना पर बैठक में विस्तृत चर्चा हुई।
वित्तीय वर्ष 13-14 एवं 14-15 में केन्द्र द्वारा इस बहुउद्देश्यीय परियोजना के लिए कोई भी राशि नहीं दिए जाने के विषय पर केन्द्रीय मन्त्री का ध्यान आकृष्ट कराया गया। इस परियोजना को पूर्ण करने के लिए राशि के विमुक्ति हेतु अनुरोध किया गया है। अभी तक इस योजना केन्द्र एवं राज्य का 75:25 का अनुपात रहता था परन्तु इसे 90:10 का अनुपात करने हेतु भी अनुरोध किया गया है। मुख्यमन्त्री ने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य के प्रस्ताव पर गौर से विचार करेगा, ऐसी अपेक्षा है।
बैठक में राज्य में चल रही जलसंसाधन सम्बन्धित परियोजनाएँ, गंगा नदी से जुड़े विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। गंगा नदी झारखण्ड में साहेबगंज एवं राजमहल जिले से गुजरती है। वहाँ के पेयजलापूर्ति, सिवेज-ड्रेनेज सिस्टम, साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट इत्यादि पर चर्चा हुई। इन जिलों के साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट एवं सिवेज-ड्रेनेज हेतु सुरक्षित प्रक्रिया अपनाए जाने पर विचार किया गया। तत्काल गंगा नदी में इनके प्रवाह को रोकने, उपयोग किए गए जल के वैकल्पिक उपयोग के लिए उपाय किए जाने पर बल दिया गया। प्रदूषण को रोकने के लिए सर्वप्रथम मूलभूत उपाय किए जाने का निदेश दिया गया। साॅलिड वेस्ट का उपयोग कृषि कार्य में खाद के रूप में किया जा सकता है, लिक्विड वेस्ट का निदान ज्यादा कठिन है परन्तु नए तरीके से इसका निदान भी सम्भव है। दामोदर नदी के प्रदूषण के कारणों, ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय एवं पेयजल की वर्तमान स्थिति, प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबन्ध, पूजन सामग्रियों के विसर्जन, साहेबगंज जिले में चल रही मेगा रूरल पाईप वाटर सप्लाई स्कीम इत्यादि पर विस्तृत विचार किया गया।
बैठक में केन्द्रीय सचिव जल संसाधन श्री ए.के. विस्नोई, मुख्य सचिव श्री राजीव गाॅबा, अतिरिक्त सचिव श्री अमरजीत सिंह, मुख्यमन्त्री के प्रधान सचिव श्री संजय कुमार, प्रधान सचिव जलसंसाधन श्री सुखदेव सिंह, सचिव ग्रामीण विकास श्री ए.पी.सिंह, सचिव नगर विकास श्री अजय कुमार सिंह, संयुक्त सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद समेत केन्द्र एवं राज्य के वरीय अधिकारीगण उपस्थित थे।