हमारा देश पानी के भयावह संकट से गुजर रहा है। चेन्नई से लेकर बुंदेलखंड तक लोग पानी-पानी को मोहताज हैं। 23 मई 2019 तक देश के प्रमुख 91 जलाशयों में 35.99 बीसीएम जल संग्रह हुआ। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 21 प्रतिशत है। उसके एक हफ्ते पहले 16 मई 2019 तक जल संग्रह 24 प्रतिशत था। पिछले वर्ष जल संग्रहण का 114 प्रतिशत और पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 104 प्रतिशत है।
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है। जो समग्र रूप से देश के अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली लाभ देते हैं।
इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 6.38 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 12 प्रतिशत है। पिछले वर्ष जलाशयों की संग्रहण की स्थिति 12 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 15 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इस अवधि में हुए संग्रहण के बराबर है। लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इस अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।
क्षेत्रवार संग्रहण स्थितिः उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 7.93 बीसीएम है, जो इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 7.93 बीसीएम है। जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 44 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 15 प्रतिशत थी पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में इस साल संग्रहण बेहतर है। यह पिछले दस वर्षों की अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।
पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 4.56 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 28 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 22 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है। लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इस अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।
पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 3.75 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 12 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 16 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 21 प्रतिशत थी। इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जल संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इस अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत है। पिछले वर्ष इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 24 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 22 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जल संग्रहण बेहतर है। ये पिछले दस वर्षों में सबसे अच्छा जल संग्रहण है।
दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो सयुंक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीबीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 6.38 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 12 प्रतिशत है। पिछले वर्ष जलाशयों की संग्रहण की स्थिति 12 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 15 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इस अवधि में हुए संग्रहण के बराबर है। लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इस अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, एपी और टीजी ( दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जिन राज्यों में जल संग्रहण समान स्तर पर हुआ है। वे राज्य हैं, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, ओडिसा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल शामिल हैं।