ड्रिप सिंचाई प्रणाली

Submitted by Hindi on Sat, 12/11/2010 - 10:44
Source
इंडिया डेवलपमेंट गेटवे
ड्रिप सिंचाई प्रणाली फसल को मुख्यश पंक्ति, उप पंक्ति तथा पार्श्व पंक्ति के तंत्र के उनकी लंबाईयों के अंतराल के साथ उत्सर्जन बिन्दु का उपयोग करके पानी वितरित करती है। प्रत्येक ड्रिपर/उत्सार्जक, मुहाना संयत, पानी व पोषक तत्वों तथा अन्यक वृद्धि के लिये आवश्यहक पद्धार्थों की विधिपूर्वक नियंत्रित कर एक समान निर्धारित मात्रा, सीधे पौधे की जड़ों में आपूर्ति करता है।

पानी और पोषक तत्व उत्सbर्जक से, पौधों की जड़ क्षेत्र में से चलते हुए गुरुत्वाकर्षण और केशिका के संयुक्त बलों के माध्यम से मिट्टी में जाते हैं। इस प्रकार, पौधों की नमी और पोषक तत्वों की कमी को तुरंत ही पुन: प्राप्तज किया जा सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि पौधे में पानी की कमी नहीं होगी, इस प्रकार गुणवत्ता, उसके इष्टतम विकास की क्षमता तथा उच्च पैदावार को बढ़ाता है।

मॉडल ड्रिप सिंचाई प्रणाली का डिजाइन


ड्रिप सिंचाई आज की जरूरत है, क्योंकि प्रकृति की ओर से मानव जाति को उपहार के रूप में मिली जल असीमित एवं मुफ्त रूप से उपलब्ध नहीं है। विश्व जल संसाधनो में तेजी से ह्रास हो रहा है।

ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लाभ


• पैदावार में 150 प्रतिशत तक वृद्धि
• बाढ़ सिंचाई की तुलना में 70 प्रतिशत तक पानी की बचत। अधिक भूमि को इस तरह बचाये गये पानी के साथ सिंचित किया जा सकता है।
• फसल लगातार,स्वस्थ रूप से बढ़ती है और जल्दी परिपक्व होती है।
• शीघ्र परिपक्वता से उच्च और तेजी से निवेश की वापसी प्राप्त् होती है।
• उर्वरक उपयोग की क्षमता 30 प्रतिशत बढ़ जाती है।
• उर्वरक, अंतर संवर्धन और श्रम का मूल्य कम हो जाता है।
• उर्वरक लघु सिंचाई प्रणाली के माध्यम से और रसायन उपचार दिया जा सकता है।
• बंजर क्षेत्र,नमकीन, रेतीली एवं पहाड़ी भूमि भी उपजाऊ खेती के अधीन लाया जा सकता है।
स्रोत- जैन सिंचाई प्रणाली लिमिटेड