दूर देश में नदी, भाग-2

Submitted by admin on Sat, 10/05/2013 - 14:56
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काव्य संचय- (कविता नदी)
रात से पहले
पेड़ों की छायाएँ
किनारे पर
खिड़की पर मैं।

उतरेगी रात।
मिट जाएँगी छायाएँ।
नहीं दिखेंगी पगडंडी भी
इधर के पेड़ों तक जाती हुई।

सुबह होगी
फिर दिखेगी पगडंडी
फिर दिखेगी नदी
छायाएँ बस चुकी होंगी
स्मृति के कोटर में

स्मृति के कोटर
के साथ
मैं जाऊँगा नदी किनारे
तब मुझे नदी और ज्यादा
पहचानेगी!