अर्द्ध शुष्क प्रदेशों में की जाने वाली कृषि जिसके अंतर्गत उपलब्ध सीमित नमी को संचित करके बिना सिंचाई के ही फसलें उगायी जाती हैं। वर्षा की कमी के कारण मिट्टी की नमी को बनाये रखने तथा उसे बढ़ाने का निरन्तर प्रयास किया जाता है। इसके लिए गहरी जुताई की जाती है और वाष्पीकरण को रोकने का प्रयत्न किया जाता है। इसके अंतर्गत अल्प नमी में तथा कम समय में उत्पन्न होने वाली फसलें उत्पन्न की जाती हैं। इस प्रकार की खेती विशेष रूप से भूमध्य सागरीय प्रदेशों तथा अमेरिका के कोलम्बिया पठार पर की जाती है।
शुष्क या अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के बिना खेती करने की विधि।
- किसी अर्धशुष्क क्षेत्र में बगैर सिंचाई के कृषि करना। इसमें भूमि की नमी को बनाए रखने के लिए मल्च बनाते हैं, और प्रायः एक फसल के लिए दो साल की वर्षा का उपयोग करते हैं।
शुष्क या अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के बिना खेती करने की विधि।
- किसी अर्धशुष्क क्षेत्र में बगैर सिंचाई के कृषि करना। इसमें भूमि की नमी को बनाए रखने के लिए मल्च बनाते हैं, और प्रायः एक फसल के लिए दो साल की वर्षा का उपयोग करते हैं।
शब्द रोमन में
Varshadhin kheti, Barani kheti