Earth Charter Initiative A Brief History in Hindi

Submitted by Hindi on Mon, 08/01/2011 - 17:24
Earth Charter वैश्विक उत्तरदायित्व और आपसी साझेदारी पर आधारित जनता का घोषणा पत्र है जो एक न्यायपूर्ण, चिरस्थाई और शांतिपूर्ण विश्व के लिए आधारभूत सिद्धांतों की स्थापना करता है। यह इक्कीसवीं सदी में मानवीयता के समक्ष खड़ी चुनौतियों और विकल्पों की पहचान करने का प्रयास करता है। इसके सिद्धांत ऐसे सामान्य मानक हैं जिनके द्वारा सभी व्यक्तियों, संस्थाओं, व्यवसायों, सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को निर्देशित व मूल्यांकित किया जा सकता है। Earth Charter सामूहिक लक्ष्यों व मूल्यों पर विश्व भर की विविध संस्कृतियों के बीच दशकों तक हुए संवाद का सुपरिणाम है। Earth Charter की रचना प्रक्रिया भागीदारी से परिपूर्ण व अपने आप में समग्र है। यह प्रक्रिया एक नैतिक निर्देशक के तौर पर इसकी वैधता का मुख्य स्त्रोत है।

I. Earth Charter :आरम्भ


Our Common Future (1987) के अंतर्गत स्थित वर्ल्ड कमीशन ऑन एंवॉयरमेंट एंड डेवलपमेंट (World Commission on Environment and Development (WCED)) की रिपोर्ट एक “नए चार्टर” के रूप में पर्यावरण की सुरक्षा और चिरस्थाई विकास से सम्बंधित एक वैश्विक घोषणा पत्र (“Universal Declaration on Environmental Protection and Sustainable Development”) के निर्माण की प्रेरणा है जिसके सिद्धांत चिरस्थाई विकास की ओर बढ़ने में राष्ट्रों का मार्गनिर्देशन करते हैं। 1992 पृथ्वी शिखर सम्मेलन (यूएन कॉन्फेरेंस ऑन एंवॉयरमेंट एंड डेवलपमेंट) के महासचिव (secretary general) मॉरिस एफ. स्ट्रॉंग ने इस सिलसिले में 1990 में सम्मिट ड्राफ्ट का प्रस्ताव पेश किया और The Earth Charter को अपनाया। रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन की प्रारम्भिक प्रक्रिया के दौरान Earth Charter से सम्बन्धित अंतर्सरकारी परामर्श किए गए परंतु Earth Charter के सिद्धांतों पर अंतर्सरकारी समझौता नहीं हो पाया। शिखर सम्मेलन द्वारा जारी किए गए रिओ घोषणा पत्र में वैसे तो कई महत्वपूर्ण सिद्धांत शामिल थे परंतु इसमें उन नैतिक उद्देश्यों की कमी थी जिसकी Earth Charter में होने की उम्मीद लोगों ने की थी।

अत: 1994 में एक नए Earth Charter का आरम्भ करने के लिए Earth परिषद के चेयरमैन के तौर पर मौरिस स्ट्रॉंग और ग्रीन क्रॉस इंटरनेशनल के अध्यक्ष के तौर पर मिख़ाइल गोर्बाचॉव एक साथ आए। इन दोनों को एक साथ लाने वाले थे – डबल्यूसीईडी के महासचिव जिम मैकनिल, रानी बीट्रिक्स और नीदरलैंड के प्रधानमंत्री रूड लबर्स। डच प्रशासन ने शुरुआत में इसे आर्थिक सहायता प्रदान की। इस प्रोजेक्ट को नागरिक समाज के पहल के तौर पर संचालित करने की योजना थी। इसके साथ ही एक ऐसे चार्टर की रूपरेखा तैयार करने की योजना थी जिसमें एक सुरक्षित भविष्य के लिए कुछ मूल्यों व सिद्धांतों पर समाज में बनती सहमति की सूचना हो।

अल्जीरिया के राजदूत मोहम्मद सहनाउन ने 1995 के दौरान Earth Charter प्रोजेक्ट के पहले कार्यकारी निदेशक के तौर पर कार्य किया। अंतर्राष्ट्रीय कानून, चिरस्थाई विकास और पर्यावरणिक नीतियों के क्षेत्र में शोध और एक नई अंतर्राष्ट्रीय परामर्श प्रक्रिया शुरु हुई। Earth परिषद के कार्यकारी निदेशक मैक्सिमो कलाव (फिलिपींस) के संचालन में कोस्टा रिका की Earth परिषद में एक Earth Charter सचिवालय की स्थापना हुई। 1996 में मिरियन विलेला (ब्राजील ) को Earth परिषद में Earth Charter गतिविधियों के संयोजक (coordinator) के तौर पर नियुक्त किया गया। 1996 के अंत तक ड्राफ्टिंग प्रक्रिया के निरीक्षण के लिए एक Earth Charter आयोग का निर्माण हो चुका था। इसकी सह अध्यक्षता स्ट्रॉंग तथा गोर्बाचॉव ने की तथा इसमें विश्व के प्रमुख क्षेत्रों के तेईस प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह ने भी भागीदारी निभाई। इस आयोग ने अमरीका के धर्म और नीतिशास्त्र के प्रोफेसर स्टीवन सी. रॉकेफेलर को एक अंतर्राष्ट्रीय ड्राफ्टिंग समिति का निर्माण करने तथा उसकी अध्यक्षता करने का आमंत्रण दिया। 1997 के जनवरी महीने में शुरु हुई ड्राफ्टिंग प्रक्रिया को एक अंतर्राष्ट्रीय ड्राफ्टिंग समिति बनाने के लिए तीन वर्षों की आवश्यकता थी।

Earth Charter के निर्माण में हज़ारों लोगों व सैंकड़ों संस्थाओं ने भाग लिया। पैंतालीस Earth Charter राष्ट्रीय समिति का निर्माण हुआ। Earth Charter की बातों को पूरे विश्व मंि प्रसारित किया गया, इंटरनेट पर इसे ऑन-लाइन लाया गया। साथ ही, एशिया, अफ्रीका, मध्य और दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में कई इससे सम्बन्धित प्रमुख क्षेत्रीय सम्मेलन किए गए। Earth Charter के मूल्य व विचार कई बौद्धिक स्त्रोतों व सामाजिक आन्दोलनों से प्रभावित हैं। इसमें विश्व की महान दार्शनिक परम्पराओं और धर्मों की प्रज्ञता (wisdom) तथा परिस्थितिविज्ञान (Ecology), ब्रह्माण्डविज्ञान और अन्य विषयों द्वारा बन रही एक नई वैज्ञानिक दृष्टि भी शामिल है। Earth Charter को वैश्विक नीति आन्दोलन के ऐसे परिणाम के तौर पर देखा जाना चाहिए जिसने मानव अधिकारों की वैश्विक घोषणा की प्रेरणा दी। इसे 1990 में बड़े स्तर पर सहयोग भी प्राप्त हुआ। ड्राफ्टिंग समिति ने ‘वर्ल्ड कन्ज़र्वेशन यूनियन कमीशन ऑन एंवॉयरमेंटल लॉ’ के साथ बहुत करीब से काम किया है और उसने सभी प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के घोषणा पत्रों, संधियों और 200 से अधिक नागरिक समाज घोषणा पत्रों तथा जनता की संधियों की बहुत ही ध्यान से समीक्षा की है। Earth Charter अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणिक और चिरस्थाई विकास से सम्बन्धित कानून का निर्माण करता है और इसका विस्तार भी करता है। यह पर्यावरण, मानव अधिकार, जनसंख्या, बच्चों, महिलाओं, शहर और सामाजिक विकास पर 1990 के दौरान हुए सात यूएन शिखर सम्मेलनों में व्यक्त की गई दिलचस्पियों और आकांक्षाओं को दर्शाता है। साथ ही, मानव विकास और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक भागीदारी वाले एक विचारशील लोकतंत्र के महत्व की भी व्याख्या करता है।

Earth Charter के अंतिम पाठ्यांश को वर्ष 2000 के मार्च महीने में पेरिस के यूनेस्को हेडक्वार्टर में Earth Charter आयोग की मीटिंग में स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस पाठ्यांश में एक भूमिका, 16 मुख्य सिद्धांत, 61 सह सिद्धांत और “आगे की राह” नामक एक निष्कर्ष शामिल है। भूमिका में यह बताने का प्रयास किया गया है कि हम एक मानव परिवार हैं और हम सबकी नियति एक ही है। Earth Charter पृथ्वी पर एक बेहतर जीवन के लिए और पूरे मानव परिवार व भविष्य की पीढ़ियों के हित के लिए हर व्यक्ति को अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार अपने साझा उत्तरदायित्व को पहचानने को प्रोत्साहित करता है। Earth Charter के नैतिक निर्देशों में मानवीयता के पर्यावरणिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं के साथ आपसी संबंध को ध्यान में रखा गया है। सिद्धांतों को जिन चार खंडों में बाँटा गया है, उनका शीर्षक इसके उद्देश्य को दर्शाता है: I. जीव जगत के प्रति सम्मान की भावना; II. प्रकृति के साथ सामंजस्य; III. सामाजिक और आर्थिक न्याय और IV. लोकतंत्र, अहिंसा और शांति।

Earth Charter उन आध्यात्मिक दृष्टिकोण तथा मूल्यों की पहचान करता है जो इसके नैतिक सिद्धांतों को मजबूती प्रदान करते हैं।

II. The Earth Charter Initiative, 2000 – 2005


Earth Charter initiative के द्वितीय अध्याय की शुरुआत जून 2000 में द हेग के पीस पैलेस में Earth Charter के औपचारिक प्रारम्भ से हुई। इसके बाद Earth Charter आयोग ने Earth Charter Initiative के निरीक्षण और धन जुटाने का उत्तरदायित्व नई स्थापित संचालन समिति को सौंपा। इस संचालन समिति में Earth Charter आयोग के कई सदस्य भी शामिल हैं। आयोग ने Earth Charter के पाठ्यांश पर अधिकार बनाए रखा तथा और इसके सदस्य व्यक्तिगत तौर पर इस पहल के लिए परामर्श व सहयोग उपलब्ध कराते रहे। 2000 में, यूनिवर्सिटी फॉर पीस में मिरिअन विलेला को Earth Charter सचिवालय के निर्देशक के तौर पर नियुक्त किया गया। अगले पाँच वर्षों में Earth Charter का अनुवाद चालीस भाषाओं में हो चुका था और इसे दो हज़ार पाँच सौ से अधिक संस्थाओं का समर्थन प्राप्त हो चुका था। समर्थन देने वाली संस्थाओं में यूनेस्को, वर्ल्ड कंज़र्वेशन यूनियन (आईयूसीएन), इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ लोकल एंवॉयरमेंटल इनिशिएटिव्स (आईसीएलईआई) और यूएस कॉंफेरेंसेस ऑफ मेयर्स शामिल हैं। Earth Charter चिरस्थाई विकास के लिए आवश्यक तत्वों की एक बेहतरीन समीक्षा उपलब्ध कराता है। स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों तथा अनौपचारिक शिक्षा के कार्यक्रमों में भी इसका प्रयोग एक शिक्षण संसाधन के तौर पर होता आया है।

2002 में जोहांसबर्ग में चिरस्थाई विकास पर हुए विश्व शिखर सम्मेलन में Earth Charter को एक औपचारिक पहचान दिलाने का एक प्रमुख प्रयास किया गया। इस सम्मेलन के दौरान विश्व के कई नेताओं, राज्य के प्रमुखों व गैर सरकारी संस्थाओं ने Earth Charter के समर्थन में जनता के वक्तव्य जारी किए। जोहांसबर्ग घोषणा पत्र के अंतिम रूप में Earth Charter का स्पष्ट ज़िक्र नहीं था परंतु Earth Charter का मुख्य उद्देश्य इसमें शामिल था जो हम सबके प्रति हमारे उत्तरदायित्व की घोषणा की सूचना देता है। संयुक्त राष्ट्र की जेनरल असेम्बली से Earth Charter को एक औपचारिक पहचान दिलाने का प्रयास जारी रहा।

2005 तक Earth Charter तथा इसके चिरस्थाई विकास के सिद्धांतों व इसके उद्देश्य को एक व्यापक पहचान मिल गई थी। वैश्विक मानकों के विकास तथा नैतिकता के कोड में इस डॉक्यूमेंट का सन्दर्भ लिया जाने लगा। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग शांति वार्ताओं के आधार रूप में, प्रशासनिक व विधान-संबंधी प्रक्रियाओं में संसाधन के रूप में, सामुदायिक विकास के उपकरण के रूप में और चिरस्थाई विकास के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों के एक ढ़ाँचे के तौर पर किया जाने लगा। ‘यूएन डिकेड ऑफ एजुकेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के ‘प्लान ऑफ इम्प्लिमेंटेशन’ पर भी चार्टर का काफी प्रभाव था। इस डिकेड के प्रोत्साहन में ECI ने यूनेस्को का साथ दिया।

2005 में संचालन समिति ने Earth Charter Initiative की प्रगति, सामर्थ्य व इसकी कमज़ोरी की समीक्षा की। इस समीक्षा में आंतरिक व बाह्य दोनों प्रकार का मूल्यांकन शामिल था। बाह्य समीक्षा ऐलेन ऐटकिसन द्वारा की गई जो चिरस्थाई विकास के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार हैं। इस मूल्यांकन प्रक्रिया से यह निष्कर्ष निकला कि Earth Charter Initiative का भविष्य सम्भावनाओं से परिपूर्ण है और इसे हमें आगे बढ़ाना है। परंतु इसके लिए इसकी प्रबन्धन संरचना और दीर्घकालिक योजनाओं में बदलाव की आवश्यकता है। इस समीक्षा प्रक्रिया का अंत नीडरलैंड में हुए Earth Charter सम्मेलन से हुआ जिसकी मेज़बानी ‘इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (एनसीडीओ) की ‘डच नेशनल कमिटी’ ने की। इसमें 400 से अधिक Earth Charter नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस सम्मेलन में संचालन समिति ने ऐलेन ऐटकिसन को Earth Charter सचिवालय के नए कार्यकारी निदेशक बनाने के अपने निर्णय की घोषणा की।

नीडरलैंड में हुए सम्मेलन के दौरान ऐम्सटर्डम के KIT प्रकाशक ने पीटर ब्लेज़ कॉर्कोरन, मिरिअन विलेला तथा एलाइड रोरिंक द्वारा सम्पादित ‘The Earth Charter In Action: Toward A Sustainable World’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में Earth Charter के विश्व भर के नेताओं व कार्यकर्ताओं के साठ निबन्ध प्रकाशित हैं। साथ ही, यह पुस्तक Earth Charter और इसकी गतिविधियों के महत्व की समीक्षा भी उपलब्ध कराती है।

III. The Earth Charter Initiative, वर्ष 2006 से अब तक


वर्ष 2006 में Earth Charter सचिवालय का Earth Charter International (ECI) के तौर पर पुनर्गठन हुआ। ECI के प्रमुख कार्यक्रमों और निचले स्तर के इसके कार्यकर्ताओं के निरीक्षण के लिए संचालन समिति के स्थान पर तेईस सदस्यों वाली एक नई Earth Charter International परिषद का निर्माण किया गया। नव निर्मित ECI परिषद के सह अध्यक्ष के तौर पर साउथ अफ्रीका के स्टीवन रॉकफेलर, रज़वीना वेईट तथा इंडोनेशिया की एर्ना विटोएलर को नियुक्त किया गया। स्टॉकहोम, स्वीडन में एक ‘अर्थ चार्टर सेंटर फॉर कम्यूनिकेशंस एंड स्ट्रैटेजिक प्लानिंग’ (Earth Charter Center for Communications and Strategic Planning) की स्थापना हुई। यूनिवर्सिटी ऑफ पीस में पहले से स्थित Earth Charter सचिवालय को ‘अर्थ चार्टर सेंटर फॉर एजुकेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (Earth Charter Center for Education for Sustainable Development) में बदल दिया गया। ECI परिषद ने एक नया मिशन अपनाया और तीसरे चरण के लिए नई योजनाएँ व नीतियाँ बनानी शुरु कीं।

राष्ट्रीय प्रशासनों ने Earth Charter के प्रति अधिक गम्भीरतापूर्ण व औपचारिक प्रतिबद्धता दिखानी शुरु की। ब्राज़ील के पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment) ने Earth Charter को ब्राजील के प्रत्येक सामाजिक क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए ECI सचिवालय और लियोनार्डो बॉफ तथा मर्सिया मिरांडा द्वारा निर्मित ‘सेंटर फॉर द डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑफ पेट्रोपॉलिस’ के साथ एक औपचारिक अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किया। Earth Day 2007 को राष्ट्रपति उत्सव के दौरान मेक्सिको के शिक्षा मंत्रालय तथा पर्यावरण मंत्रालय ने मेक्सिको के स्कूलों में Earth Charter को शैक्षणिक उपकरण के तौर पर प्रयोग में लाने की सार्वजनिक प्रतिबद्धता ज़ाहिर की। अन्य राज्य व शहरी प्रशासनों ने भी Earth Charter के ग्रहण, प्रयोग व कार्यांवयन के प्रति सार्वजनिक प्रतिबद्धता ज़ाहिर की। इनमें स्टेट ऑफ क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया), द रिपब्लिक ऑफ टाटार्स्टन इन रशियन फेडरेशन सहित कुछ शहर जैसे कलगैरी (कनाडा), म्यूनिख (जर्मनी), नई दिल्ली (भारत), ओस्लो (नॉर्वे) और साओ पाउलो (ब्राज़ील) शामिल हैं।

वर्ष 2006 तथा 2007 के दौरान Earth Charter को समर्थन देने वाली संस्थाओं की संख्या 4,600 तक पहुँच गई और इसके वेबसाइट पर विज़िट करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर प्रति माह करीब 100,000 हो गई। धर्म और व्यवसाय के क्षेत्र में नए कार्यक्रमों की शुरुआत की गई। Earth Charter Youth Initiative का भी विस्तार होता रहा और अब तक यह तेईस देशों में कार्यरत था। Earth Charter को अब तक अट्ठावन देशों के सत्तानबे सहयोगी प्राप्त हो चुके थे। और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं के सामने आने पर जब हमें वैश्विक साझेदारी तथा संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता महसूस हुई तब Earth Charter की नीतियों को एक नई प्रासंगिकता प्राप्त हुई। ECI को यूएन जेनरल असेम्बली के अध्यक्ष द्वारा आयोजित ‘इंटरकल्चरल एंड इंटररेलिजियस कोऑपरेशन फॉर पीस’ (Intercultural and Interreligious Cooperation for Peace) नामक एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण मिला।

वर्ष 2007 में ब्राज़ील के साओ पाउलो के ‘अमाना की’ में दीर्घकालिक सामरिक योजनाओं पर एक तीन-दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन हुआ जिसका नेतृत्व ऑस्कर मोटोमुरा ने किया। इस वर्कशॉप में लिए गए निर्णयों के आधार पर ECI परिषद ने केन्द्रीय प्रशासन के विस्तार के बिना Initiative में सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के लिए विकेन्द्रीकृत सशक्तिकरण (‘Decentralized Empowerment for Scaling Up’) की एक नई योजना बनाई। विकेन्द्रीकृत सशक्तिकरण को एक रूपरेखा उपलब्ध कराने और इसकी गतिविधियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक नई ‘कार्य योजना’ जारी की गई। इसका उद्देश्य Earth Charter को प्रोत्साहित करना और इसके सिद्धांतों को अमल में लाना था।

दो वर्षों तक ECI के कार्यकारी निदेशक के तौर पर कार्य करने के बाद ऐलेन ऐटकिसन ने 2007 के अंत में इस पद से इस्तीफा दे दिया ताकि वे सलाह से जुड़े अपने व्यवसाय तथा सम्बन्धित अन्य प्रोजेक्ट को अधिक समय दे सकें। ECI के सलाहकार के रूप में वे अभी भी कार्यरत हैं। मिरियन विलेला ECI की नई कार्यकारी निदेशक बनीं और ECI सचिवालय का मुख्यालय ‘अर्थ चार्टर सेंटर फॉर एजुकेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (Earth Charter Centre for Education for Sustainable Development) के साथ एक बार फिर कोस्टा रिका की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ पीस’ को बनाया गया। 2007 में एर्ना विटोएलर ने सह अध्यक्ष के पद से त्यागपत्र दे दिया तथा उनका स्थान ब्रेंडन मैके ने लिया।

Earth Charter अपने आप को एक अंतर्राष्ट्रीय सॉफ्ट लॉ डॉक्यूमेंट, कार्य करने की प्रेरणा और एक शैक्षणिक ढ़ाँचे के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करता रहेगा। साथ ही नीति विकास, विधि निर्माण और अंतर्राष्ट्रीय मानकों व अनुबन्धों के लिए एक सन्दर्भ डॉक्यूमेंट के तौर पर भी वह स्वयं को उभारता रहेगा।

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का संक्षिप्त इतिहास


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