लेखक
धरती पर बढ़ रहा तापमान
एक दिन सोख लेगा
सारी बर्फ, झरने,झील, नदियाँ
झुलस जाएँगे जंगल-पहाड़
खेत-खलिहान
दिशाएँ दिखेंगी मुँहझौंसी
अपने ही पानी में
उबल पड़ेगी हमारी देह
और बिना रात के ही
दिनमान आँखों में बैठ जाएगी रतौंधी
जिनकी करतूतों से भूमण्डल का पारा हो रहा है गर्म
घोर कलयुग! कि कोपेनहेगन में
खूब बहाया उन ने घड़ियाली आँसू
ग्लोबल वार्मिंग कि जबरा देश लबरा बयान दे रहे हैं
अमरीकी बघनखा का आतंक है...
वैसे भी कितने वर्षों से
बीमार चल रही है बारिश
दिनोंदिन धरती पर बढ़ रही है
कार्बनडाइऑक्साइड गैस
और तेजी से बिगड़ता जा रहा है
प्राकृतिक-संतुलन
पृथ्वी के नाड़ी-वैद्य
चीख-चीख कर कह रहे हैं
कि बढ़ता तापमान
चेतावनी है-कि धरती को घेरने वाली है अब
बेमियादी बुखार!!
एक दिन सोख लेगा
सारी बर्फ, झरने,झील, नदियाँ
झुलस जाएँगे जंगल-पहाड़
खेत-खलिहान
दिशाएँ दिखेंगी मुँहझौंसी
अपने ही पानी में
उबल पड़ेगी हमारी देह
और बिना रात के ही
दिनमान आँखों में बैठ जाएगी रतौंधी
जिनकी करतूतों से भूमण्डल का पारा हो रहा है गर्म
घोर कलयुग! कि कोपेनहेगन में
खूब बहाया उन ने घड़ियाली आँसू
ग्लोबल वार्मिंग कि जबरा देश लबरा बयान दे रहे हैं
अमरीकी बघनखा का आतंक है...
वैसे भी कितने वर्षों से
बीमार चल रही है बारिश
दिनोंदिन धरती पर बढ़ रही है
कार्बनडाइऑक्साइड गैस
और तेजी से बिगड़ता जा रहा है
प्राकृतिक-संतुलन
पृथ्वी के नाड़ी-वैद्य
चीख-चीख कर कह रहे हैं
कि बढ़ता तापमान
चेतावनी है-कि धरती को घेरने वाली है अब
बेमियादी बुखार!!