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भूमिका संदेश, 15 सितम्बर 2015
दिल्ली। मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर गैर सरकारी संगठन और पानी विशेषज्ञ मिलकर दिल्लीवासियों के लिए नई जल नीति तैयार कर रहे हैं। यह जल नीति जल्दी ही मुख्यमन्त्री को सौंपी जाएगी और फिर उसमें जो कमियाँ होंगी उनका निराकरण कर जल बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड कर जनता से आपत्तियाँ और सुझाव मांगे जाएँगे। सुझाव की समीक्षा भी होगी और जो जनहित में सुझाव होंगे उन्हें जलनीति में समायोजित कर दिया जाएगा। राजधानी के गैर सरकारी संगठन, पानी के विशेषज्ञ तथा जल बोर्ड के सेवानिवृत्त अधिकारी मिलकर नई जलनीति तैयार कर रहे हैं।
जल नीति का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। अभी यह खाका 9 बिन्दुओं पर तैयार किया गया है। जल नीति तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सिटीजन ‘फ्रंट फॉर वाटर डेमोक्रेसी’ के संयोजक एसए नकवी ने बताया कि जल नीति के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी जिन विषयों पर जलनिति बनाई जा रही है उनमें पानी का अधिकार, पानी की गुणवत्ता, पानी की दरें, यमुना का शुद्धीकरण और घाटों का सौंदर्यीकरण, पानी का पुनर्चक्रण, पानी का संरक्षण, भूजल गुणवत्ता और भूजल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग), पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिक जल प्रयोग को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्षों के जल को यमुना खादर में रोकने की योजना और उस पानी को पीने के लिए उपयोग में लाने की योजना को अमली जामा पहनाने की जरूरत है। इस विषय को भी जल नीति में जोड़ा जाएगा। श्री नकवी ने कहा कि उन देशों में जहाँ पानी वितरण निजी हाथों में दिया गया, उसके दुष्परिणामों को सामने रखकर पूरी जल नीति बनाई जा रही है।
उन्होंने बताया कि पानी उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन पानी की बर्बादी रोकना आम आदमी की जिम्मेदारी है। जल नीति में आम आदमी और सरकार दोनों को अपने-अपने क्षेत्र में नई जल नीति में जिम्मेदार बनाया जाएगा। गौरतलब है नई जल नीति बनाने में ‘सिटीजन फ्रंट फॉर वाटर डेमोक्रेसी’ के अलावा वाटर वर्क्स एलाइंस, एनपीए ड्ब्ल्यूपी के अलावा पानी विशेषज्ञ मिलकर दिल्ली की जल नीति तैयार कर रहे हैं। वाटर वर्क्स एलाइंस के अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि जल विशेषज्ञों के साथ मिलकर पूरी जल नीति तैयार की जा रही है। इसे जल्द ही मुख्यमन्त्री को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद जो सुझाव आएँगे उन्हें बाद में जोड़ा जाएगा, ताकि दिल्ली वासियों के अनुरूप जल नीति बन सके।