ईको-फ्रेंडली इंडक्शन चूल्हा

Submitted by Hindi on Thu, 05/03/2012 - 08:46
Source
नवभारत टाइम्स, 01 मई 2012
अगर एलपीजी गैस ना हो तो इंडक्शन चूल्हा बहुत ही उपयोगी है। इस इंडक्शन चूल्हा से ना ही धुआं और न ही आग निकलता है इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो सकता है और आपके पैसों की बचत भी करता है। इसी इंडक्शन चूल्हा के बारे में बताते अरविंद्र मिश्रा।

इंडक्शन चूल्हाइंडक्शन चूल्हाआम भारतीय रसोईघरों में एलपीजी गैस कनेक्शन के बाद तेजी से एक नया निर्धूम चूल्हा जगह घेरने लगा है -यह है इंडक्शन चूल्हा। खाना पकाने का एक और नया सुभीतेवाला 'कूल' तरीका। यह ज्यादा पर्यावरण फ्रेंडली है और उन घरों में जहाँ जगह कम है, रसोईघर के अलावा भी कहीं भी रखा जा सकता है बस एक प्लग पॉइंट की दरकार है। लपटें नहीं धुंआ नहीं कई मामलों में तो यह माइक्रोकूकर अवन से भी बढ़कर है और चूल्हे की लागत अन्य खाना पकाने के उपकरणों से बेहद कम।

बस डेढ़ हजार से दो हजार के बीच हां कई कम्पनियां इसकी लोकप्रियता के चलते अपने ब्रांड थोड़ा महंगे दामों में भी बाजारों में उतार चुकी हैं, मगर सस्ते इंडक्शन चूल्हों की भी बाजारों में भरमार है। कोई भी चुन लें!

यह चूल्हा चुम्बकीय फील्ड क्रियेट करती है और खाना उसी में पकता है। दरअसल यह चूल्हा भौतिकी के उस प्रदर्शन पर आधारित है जिसमें किसी क्वायल में बिजली के करंट के प्रवाह से आस-पास एक चुम्बकीय क्षेत्र तैयार हो जाता है। अब ऐसी ही एक जुगत इस इंडक्शन टाप/स्टोप/हाब (इसके कई नाम हैं) के भीतर है और उसके ऊपर एक न गरम होने वाली प्लेट लगी है।

जहां खाना बनाने के बर्तन-भगौना, कुकर, फ्राईंग पैन, तवा, कड़ाही को रखा जाता है- चुम्बकीय क्षेत्र उससे आकर टकराता है और बर्तन की पेंदी के प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) के चलते वह गरम होने लगता है। कोई हल्का फुल्का ताप नहीं, काफी ज्यादा ताप, जिसमें खाना मिनटों में बनकर तैयार हो जाता है। आश्चर्य की बात यह खाने का बर्तन गरम होता है मगर स्टोव नहीं। बिना आग के भी खाना पक सकता है। यह है वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी का कमाल। मगर कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं- इंडक्शन स्टोव पर केवल लोहे और स्टील के बर्तन ही इस्तेमाल में लाए जाते हैं, ऐल्म्यूनियम के नहीं - ऐल्म्यूनियम के बर्तन पिघल सकते हैं। इसलिए अब बाजारों में इंडक्शन कूकिंग वेयर की भी बहुतायत हो चली है- हर खाना पकाने के काम आने वाले बरतन का इंडक्शन रेंज अलग है, जिसमें उनकी पेंदी को इस लिहाज से सुधारा गया है। अगर आपको एलपीजी गैस मिलने में समस्या है या एक ही एलपीजी गैस सिलिंडर होने से उसके रिफिलिंग के दौरान खाना बनाने की समस्या है तो इस इंडक्शन स्टोव को आजमा सकते हैं- बिजली की खपत भी काफी कम है।

तो आप भी चाहें तो इंडक्शन स्टोव लेकर लेटेस्ट तकनीक लोकप्रियता की धाक लोगों पर जमा सकते हैं! साथ ही ईंधन बचत के प्रबंध में भी एक कदम आगे ले जा सकते है, तो इंडक्शन कूकिंग के लिए अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं, जो लोग इसका पहले से इस्तेमाल कर रहे हैं वे अपने अनुभव भी साझा करें तो दूसरों का हित होगा।