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दैनिक जागरण, 21 अप्रैल 2015
भारत सरकार राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मन्त्रालय
राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय निर्माताओं/ प्रोद्योगिकी प्रदाताओं/सेवा प्रदाताओं/संस्थापन हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं/संचालित म्यूनिसिपल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट/इंडस्ट्रियल एफ्लूेएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट/ टर्न की आधार पर कॉमन वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट /डिजाइन-बिल्ड-ऑपरेट एवं ट्रान्सफर (डीबीओटी) आधारित या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) आधारित/गंगा नदी की मुख्य धारा के साथ कस्बों/अन्य क्षेत्रों में प्रतिष्ठापन, संचालन एवं रख-रखाव सहित विशेष उद्देश्य वाहन आधारित के लिए ‘मार्केट कॉन्फ्रेंस 28 अप्रैल, 2015’
हमारी सोच उपयुक्त अपशिष्ट जल संयन्त्र सुविधा द्वारा छोटे प्रयासों से गंगा के तटों को सुरक्षित बनाने और प्रत्येक प्रयास (नालों सहित प्रदूषण के सभी प्रकार के उत्सर्जन सहित) में प्रदूषण के स्तर को कम करने की है। ऐसा करते समय, जहाँ भी आवश्यक हो, वर्तमान सुविधाओं का पुनर्वास शुरू किया जाएगा। मुख्य चर्चा विषयों में से एक बेहतर जल गुणवत्ता के मानकों को हासिल करना भी है।
मौजूदा एसटीपी, सीईटीपी, एवं सम्बन्धित आधारभूत संरचना के पुनर्वास सहित पाँच गंगा बेसिन राज्यों अर्थात उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल में गंगा नदी में सीधे गिरने वाले विभिन्न नालों के अपशिष्ट जल के बहाव का ट्रीटमेंट अवरोधक एवं पथांतरण (आई एंड डी) के साथ कई कार्य किये जायेंगे। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एनएमसीजी इन पाँच राज्यों के राज्य कार्क्रम प्रबन्धन समूह (एसपीएमजी) के साथ कार्य कर रहा है।
गंगा नदी में प्रदूषण स्तर को कम करने हेतु इसके ट्रीटमेंट के लिए नाले का अवरोधन एवं पथांतरण (आई एंड डी) सहित विभिन्न प्रकार के परम्परागत, नये प्रगतिशील प्रौद्योगिकियों, प्रीफेबिकेटेड ट्रीटमेंट संयन्त्र को पूरा करने के लिए उपलब्ध विभिन्न सम्भावित विकल्पों का पता लगाना।
अपशिष्ट जल ट्रीटमेंट के सम्बन्ध में बेंचमार्क कैपिटल लागत, ओ एंड एम लागत तथा टेक्नो-इकॉनोमिक सम्भावनाओं का पता लगाना।
विभिन्न सम्बन्धित विकल्पों जैसे कि परम्परागत / मल्टीस्टोरिड /कैस्केड/मॉडयूलर/कॉम्पेक्ट एसटीपी/डीसैंट्रलाइज्ड एसटीपी/इंडस्ट्रियल एफ्लूएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट का पता लगना।
एसटीपी/एसपीएस/ईटीपी इकाइयों के संचालन के लिए अन्तिम परिणाम अर्थात विद्युत उत्पादन, पुनः उपयोग एवं उपचारित उत्सर्जन का पुनः चक्रण, जैविक-खाद के तौर पर स्लज का उपयोग तथा सौर फोटो वॉल्टिक ऊर्जा के माध्यम से कैपिटल लागत उगाही की सम्भावना का पता लगाना।
सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) का सम्भावनाओं का पता लगाना।
सभी सम्बन्धित राष्ट्रिय एवं अन्तरराष्ट्रीय निर्माताओं/प्रौद्योगिकी प्रदाताओं/सेवा प्रदाताओं/संस्थापन हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं/संचालित म्यूनिसिपल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट/इंडसट्रियल एफ्लूएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट/टर्न की आधार पर कॉमन वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट/डिजाइन-बिल्ड-ऑपरेट एवं ट्रांसफर (डीबीओटीः) आधारित या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) आधारित/विशेष उद्देश्य वाहन आधारित से सम्बन्धित दस्तावेज के साथ कॉन्फ्रेंस में शामिल होने का अनुरोध किया जाता है।
कॉन्फ्रेंस में उपस्थिति की पुष्टि के लिए कृपया 24 अप्रैल, 2015 तक सम्पर्क करेंः श्री जितेन्द्र शर्मा/श्री आलोक सुमन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन,
दूरभाष - 011-24367985, फैक्स : 011-24367988,
ई-मेल : jpsharma@nmcg.nic.in/aloksuman@nmcg.nic.in
स्थान- इंडिया हेबिटेट सेन्टर, दिनांक 28 अप्रैल, 2015 (प्रातः 10:00 बजे)
अधिक जानकारी/पंजीकरण के लिए कृपया देखें : www.nmcg.nic.in
राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय निर्माताओं/ प्रोद्योगिकी प्रदाताओं/सेवा प्रदाताओं/संस्थापन हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं/संचालित म्यूनिसिपल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट/इंडस्ट्रियल एफ्लूेएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट/ टर्न की आधार पर कॉमन वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट /डिजाइन-बिल्ड-ऑपरेट एवं ट्रान्सफर (डीबीओटी) आधारित या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) आधारित/गंगा नदी की मुख्य धारा के साथ कस्बों/अन्य क्षेत्रों में प्रतिष्ठापन, संचालन एवं रख-रखाव सहित विशेष उद्देश्य वाहन आधारित के लिए ‘मार्केट कॉन्फ्रेंस 28 अप्रैल, 2015’
हमारी सोच उपयुक्त अपशिष्ट जल संयन्त्र सुविधा द्वारा छोटे प्रयासों से गंगा के तटों को सुरक्षित बनाने और प्रत्येक प्रयास (नालों सहित प्रदूषण के सभी प्रकार के उत्सर्जन सहित) में प्रदूषण के स्तर को कम करने की है। ऐसा करते समय, जहाँ भी आवश्यक हो, वर्तमान सुविधाओं का पुनर्वास शुरू किया जाएगा। मुख्य चर्चा विषयों में से एक बेहतर जल गुणवत्ता के मानकों को हासिल करना भी है।
मौजूदा एसटीपी, सीईटीपी, एवं सम्बन्धित आधारभूत संरचना के पुनर्वास सहित पाँच गंगा बेसिन राज्यों अर्थात उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल में गंगा नदी में सीधे गिरने वाले विभिन्न नालों के अपशिष्ट जल के बहाव का ट्रीटमेंट अवरोधक एवं पथांतरण (आई एंड डी) के साथ कई कार्य किये जायेंगे। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एनएमसीजी इन पाँच राज्यों के राज्य कार्क्रम प्रबन्धन समूह (एसपीएमजी) के साथ कार्य कर रहा है।
मार्केट कॉन्फ्रेंस में निम्न कार्य किए जायेंगे :
गंगा नदी में प्रदूषण स्तर को कम करने हेतु इसके ट्रीटमेंट के लिए नाले का अवरोधन एवं पथांतरण (आई एंड डी) सहित विभिन्न प्रकार के परम्परागत, नये प्रगतिशील प्रौद्योगिकियों, प्रीफेबिकेटेड ट्रीटमेंट संयन्त्र को पूरा करने के लिए उपलब्ध विभिन्न सम्भावित विकल्पों का पता लगाना।
अपशिष्ट जल ट्रीटमेंट के सम्बन्ध में बेंचमार्क कैपिटल लागत, ओ एंड एम लागत तथा टेक्नो-इकॉनोमिक सम्भावनाओं का पता लगाना।
विभिन्न सम्बन्धित विकल्पों जैसे कि परम्परागत / मल्टीस्टोरिड /कैस्केड/मॉडयूलर/कॉम्पेक्ट एसटीपी/डीसैंट्रलाइज्ड एसटीपी/इंडस्ट्रियल एफ्लूएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट का पता लगना।
एसटीपी/एसपीएस/ईटीपी इकाइयों के संचालन के लिए अन्तिम परिणाम अर्थात विद्युत उत्पादन, पुनः उपयोग एवं उपचारित उत्सर्जन का पुनः चक्रण, जैविक-खाद के तौर पर स्लज का उपयोग तथा सौर फोटो वॉल्टिक ऊर्जा के माध्यम से कैपिटल लागत उगाही की सम्भावना का पता लगाना।
सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) का सम्भावनाओं का पता लगाना।
सभी सम्बन्धित राष्ट्रिय एवं अन्तरराष्ट्रीय निर्माताओं/प्रौद्योगिकी प्रदाताओं/सेवा प्रदाताओं/संस्थापन हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं/संचालित म्यूनिसिपल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट/इंडसट्रियल एफ्लूएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट/टर्न की आधार पर कॉमन वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट/डिजाइन-बिल्ड-ऑपरेट एवं ट्रांसफर (डीबीओटीः) आधारित या सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) आधारित/विशेष उद्देश्य वाहन आधारित से सम्बन्धित दस्तावेज के साथ कॉन्फ्रेंस में शामिल होने का अनुरोध किया जाता है।
कॉन्फ्रेंस में उपस्थिति की पुष्टि के लिए कृपया 24 अप्रैल, 2015 तक सम्पर्क करेंः श्री जितेन्द्र शर्मा/श्री आलोक सुमन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन,
दूरभाष - 011-24367985, फैक्स : 011-24367988,
ई-मेल : jpsharma@nmcg.nic.in/aloksuman@nmcg.nic.in
स्थान- इंडिया हेबिटेट सेन्टर, दिनांक 28 अप्रैल, 2015 (प्रातः 10:00 बजे)
अधिक जानकारी/पंजीकरण के लिए कृपया देखें : www.nmcg.nic.in