अग्रगभीरः
(क) एक लम्बा, संकीर्ण अन्तःसमुद्री अवनमन (गर्त) जो महासागर की तली के अधोवलन या अधोभ्रंशन के फलस्वरूप बनता है। इस प्रकार के अधिकांश अग्रगभीर ज्वालामुखी द्वीप-चापों के उत्तल पार्श्व के निकट स्थित होते हैं।
(ख) अल्पतः भिन्न अर्थ में इस शब्द का अभिप्राय एक लम्बे, तथा संकरे विवर्तनिक गर्त से भी है जो एक ऐसी पट्टी (belt) के साथ संलग्न रहता है जहाँ पर्वत-निर्माण का प्रक्रम चलता रहता है। इस अर्थ में अग्रगभीर का तात्पर्य यह होता है कि वह अपने निकट उठ रहे पर्वतों की तलछटों से बड़ी तेजी से भरा जा रहा है और सदा तो नहीं पर सामान्यतः पानी से ढका रहता है।
अन्य स्रोतों से
- महासागरी तली पर एक गहरी व लंबी द्रोणी जो किसी द्वीप-चाप या स्थलीय पर्वत क्षेत्र के निकट एवं समानांतर होती है। यह विशेषतः प्रशांत महासागर में पाई जाती है।