गांवों में रोजगार का सुलभ साधन मनरेगा

Submitted by birendrakrgupta on Sun, 08/24/2014 - 22:59
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कुरुक्षेत्र, फरवरी 2013
गांवों में व्याप्त मौसमी, अदृश्य, अकुशल बेरोजगारी दूर करने, गांवों से शहरों की ओर पलायन रोकने तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप विकास कार्यों में रोजगार देकर ग्रामीण विकास करने की महत्वाकांक्षी, व्यापक वित्तीय योजना ‘मनरेगा’ 2 फरवरी 2006 से भारत के 200 जिलों में प्रारंभ की गई। वर्तमान में यह भारत के सभी 600 जिलों में क्रियान्वित है। यह योजना गांवों में रोजगार प्रदान कर निर्धन ग्रामीणों की आय में वृद्धि तो कर ही रही है। साथ ही, गांव में स्थाई परिसम्पत्तियों का निर्माण कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ढांचा मजबूत कर, भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊर्जात्मक विकास का आधार स्तम्भ बन रही है।भुखमरी की शिकार दुनिया की कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा भारत में है तथा 24 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे गुजारा कर रहे हैं। बेरोजगारी की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है। 1993-94 में 2.70 करोड़ बेरोजगार थे जो 2006-07 में बढ़कर 3.67 करोड़ हो गए हैं। शहरी क्षेत्र में जहां शिक्षित तथा औद्योगिक बेरोजगारी पाई जाती है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में मौसमी प्रछन्न तथा सामान्य स्थिति बेरोजगारी पाई जाती है। एक अनुमान के अनुसार कृषि कार्य में लगी कुल श्रम-शक्ति का लगभग 17 प्रतिशत भाग प्रछन्न बेरोजगारों का है। इसके अतिरिक्त कुल श्रम-शक्ति का 1.9 प्रतिशत भाग सामान्य स्थिति बेरोजगारी का है।

हालांकि अभी तक कई योजनाएं जैसे समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, ग्रामीण भूमिहीन रोजगार कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना, स्वर्णजयंती रोजगार योजना इत्यादि क्रियान्वित की गई। लेकिन पहली बार रोजगार गारंटी को कानूनी रूप महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में दिया गया है।

भारत एक कल्याणकारी राज्य है, जो सामान्य रूप से अपने सभी नागरिकों और विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के प्रति वचनबद्ध है। यही कारण है कि सरकार देश के सभी वर्गों व सभी क्षेत्रों विशेष रूप से निर्धन एवं ग्रामीण क्षेत्रों, गंदी बस्तियों एवं पिछड़े क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के आर्थिक उत्थान के लिए योजनाओं का निर्माण कर उन्हें क्रियान्वित करती है। ‘मनरेगा’ उनमें एक बड़ी वित्तीय एवं महत्वाकांक्षी योजना है। यह अपने लक्ष्यों एवं उद्देश्यों में कितनी सफल रही है? क्या उनका अपेक्षित प्रभाव हुआ है? उनके क्रियान्वयन में क्या बाधाएं आ रही हैं? उनमें क्या सुधार किए जाने चाहिए? यह शोध का विषय है।

इस लेख में मध्य प्रदेश तथा इन्दौर जिले में मनरेगा के अंतर्गत हुई प्रगति एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति की स्थिति का अध्ययन किया गया है। अध्ययन की अवधि योजना 2006 से 2011 तक की ली गई है। आंकड़े मुख्यतः पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, जिला पंचायत, जनपद पंचायत एवं मध्य प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण, पत्रिकाओं तथा मनरेगा की वेबसाईट द्वारा एकत्रित किए गए हैं।

मनरेगा के मुख्य बिन्दु


मनरेगा अधिनियम 2005 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्य को जो अकुशल श्रम करने का इच्छुक है की आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी दी गई है।मनरेगा अधिनियम 2005 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्य को जो अकुशल श्रम करने का इच्छुक है की आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी दी गई है। इसके अंतर्गत पंजीकृत परिवार का वयस्क सदस्य अकुशल मानव श्रम हेतु आवेदन करने का पात्र है। जॉबकार्ड प्राप्त होने पर रोजगार हेतु आवेदन ग्राम पंचायत में प्रस्तुत किया जाता है। मजदूरी श्रम आयुक्त द्वारा कृषि श्रमिकों के लिए निर्धारित दर से अथवा केंद्र सरकार द्वारा इस अधिनियम के लिए निर्धारित दर से दी जाएगी। रोजगार की मांग की तारीख से 15 दिनों में रोजगार उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है अन्यथा आवेदक को बेरोजगारी भत्ते की पात्रता है जिसके व्यय का वहन राज्य सरकार को करना होता है। योजना के क्रियान्वयन में ठेकेदारी प्रथा प्रतिबंधित है। मानव श्रम के स्थान पर कार्य करने वाली मशीनों का प्रयोग प्रतिबंधित है। कार्यस्थल पर तात्कालिक उपचार सुविधा, पेयजल, छांव हेतु शेड, झूलाघर आदि उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। योजनांतर्गत कार्यरत व्यक्ति की मृत्यु या स्थाई अपंगता की स्थिति में 25000 रुपए बतौर मुआवजे के तौर पर दिए जाने का प्रावधान है। योजना में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सहभागिता अनिवार्य है। इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए किसी प्रकार के आरक्षण की व्यवस्था नहीं है।

मनरेगा में वित्तीय प्रबंध


मनरेगा में वित्तीय प्रबंधन के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा योजना के अधीन अकुशल मजदूरी के लिए दी जाने वाली मजदूरी की संपूर्ण राशि, सामग्री की लागत की तीन-चैथाई राशि तथा प्रशासनिक खर्चों के लिए कुल लागत का तय किया गया प्रतिशत उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। राज्य सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता, सामग्री लागत की एक-चैथाई राशि तथा राज्य परिषद का प्रशासकीय खर्च उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

भारत में मनरेगा की प्रगति


मनरेगा एक मांग आधारित योजना है जिसके अधीन जल संरक्षण, सूखाग्रस्त क्षेत्रों का उद्धार, वानिकी, वृक्षारोपण, भूमि विकास, बाढ़ नियंत्रण/सरंक्षण, सड़कों का निर्माण इत्यादि कार्यक्रम अपनाए जाने की व्यवस्था है। विभिन्न वर्षों में मनरेगा की प्रगति को तालिका-1 द्वारा दर्शाया गया है।

तालिका-1 : भारत में मनरेगा की प्रगति


वर्ष

जॉबकार्ड प्राप्त परिवारों की संख्या

कार्य की मांग करने वाले परिवार की संख्या

रोजगार उपलब्ध कराए गए परिवार की संख्या

कुल सृजित मानव दिवस (लाख में)

अनुसूचित जाति मानव दिवस (लाख में)

कुल में अनु. जाति का प्रतिशत

2006-07

37850390

21188894

21016099

9050.54

2295.23

25.36

2007-08

64740595

34326563

33909132

14367.95

3942.34

27.44

2008-09

100145950

45518907

45115358

21632.86

6336.18

29.29

2009-10

112548976

52920154

52585999

28359.57

8644.83

30.48

2010-11

119824438

55763244

54954225

25715.25

7875.65

30.62

2011-12

121268914

38294824

37855866

12087.19

2750.18

22.75

वर्ष

अनुसूचित जनजाति मानव दिवस (लाख में)

कुल में अनु. जनजाति का प्रतिशत

महिलाएं मानव दिवस (लाख में)

कुल में महिलाऔं का प्रतिशत

अन्य


2006-07

3298.73

36.44

3679.01

40.64

3456.59


2007-08

4205.60

29.27

6109.10

42.51

6219.98


2008-09

5501.64

25.43

10357.32

47.87

9795.06


2009-10

5874.39

20.71

13640.51

48.91

3840.34


2010-11

5361.80

20.85

12274.23

47.73

12477.81


2011-12

2068.68

17.11

5962.98

49.33

7268.36


स्रोत : www.narega.nic.in, 2 फरवरी 2012



तालिका-1 से स्पष्ट है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत भारत में सन 2006-07 में जॉबकार्ड प्राप्त परिवारों की संख्या 3,78,50,390 थी जो सन् 2011-12 में बढ़कर 12,12,68,914 हो गई जो लगभग चार गुना है। इसी अवधि में कार्य की मांग करने वाले परिवारों की संख्या में लगभग तीन गुना तथा रोजगार उपलब्ध कराए गए परिवारों की संख्या में भी लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। रोजगार की मांग करने वाले लगभग सभी परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। कुल सृजित मानव दिवसों में भी 2006-07 की तुलना में 2011-12 में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। लेकिन महत्वपूर्ण है कि 2009-10 की तुलना में 2010-11 में कुल सृजित मानव रोजगार दिवस में कमी आई है जो 9.32 प्रतिशत है।

कुल सृजित रोजगार मानव दिवस में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की स्थिति में महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। वर्ष 2006-07 से 2009-10 तक लगातार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सृजित रोजगार मानव दिवस में वृद्धि हुई है लेकिन 2009-10 की तुलना में 2010-11 में सृजित रोजगार मानव दिवस में कमी आई है जो 8.9 प्रतिशत है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि कुल सृजित रोजगार मानव दिवस में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की स्थिति को देखें तो दोनों में विरोधाभास है, जहां अनुसूचित जाति के प्रतिशत हिस्से में 2006-07 से 2010-11 तक लगातार वृद्धि हुई है। जिसमें अनुसूचित जाति का प्रतिशत 2006-07 के 25 प्रतिशत से लगातार बढ़कर 2010-11 में 30 प्रतिशत हो गया, वहीं अनुसूचित जनजाति के प्रतिशत हिस्से में लगातार कमी आई है, जो वर्ष 2006-07 के 36.44 प्रतिशत हिस्से से लगातार कम होकर 2010-11 में 20.85 प्रतिशत हो गया। यह स्पष्ट करता है कि योजना में अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए निर्धारित प्रतिशत आरक्षण न रखना भी इसके क्रियान्वयन को प्रभावित कर रहा है। कुल में महिलाओं का प्रतिशत बढ़कर 2011-12 में 49.33 प्रतिशत हो गया है।

भारत में मनरेगा में वित्तीय प्रदर्शन एवं कार्य निष्पादन स्थिति


यह योजना इतनी व्यापक एवं महत्वाकांक्षी है कि इसके द्वारा बड़े पैमाने पर वित्तीय अंतर्वेशन हुआ है। लाखों परिवारों का बैंक में खाता खुला है। योजना के प्रारंभ से अब तक एक कराेड़ 50 लाख रुपए व्यय हो चुका है। व्यय की राशि में 2006-07 से 2010-11 तक लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन वृद्धि दर के प्रतिशत में कमी आई है। तालिका-2 इसे स्पष्ट दर्शाती है।

तालिका-2 भारत में मनरेगा के अंतर्त वित्तीय स्थिति का विवरण

वर्ष

उपलब्ध कुल राशि (लाख रु. में)

केन्द्र द्वारा स्वीकृत राशि (लाख रु. में)

कुल व्यय (लाख रु. में)

कुल व्यय में प्रतिशत वृद्धि

2006-07

1207362.72

418432.42

882335.55

-

2007-08

1927877.71

1229592.4

1585844.15

79.73

2008-09

3630045.57

2994544.33

2725068.7

71.84

2009-10

4568551.32

1178076.46

3790522.78

39.09

2010-11

5264889.48

1038287.82

3937727.03

3.88

2011-12*

3715426.88

790071.73

2090242.93

-46.92

स्रोत: भारत का आर्थिक सर्वेक्षण 2010-11, पृष्ठ क्र. 300, 301

www.narega.nic.in, *2 फरवरी 2012



महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना न केवल रोजगार उपलब्ध कराती है बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में विकास आधारित कार्य जैसे सड़कों का निर्माण, वृक्षारोपण, जल संरक्षण, भूमि विकास इत्यादि चलाए जा रहे हैं जिनकी निष्पादन स्थिति को तालिका-3 में दर्शाया गया है:

तालिका-3 : भारत में मनरेगा में कार्य निष्पादन स्थिति का विवरण

वर्ष

प्रतिरत कार्य

पूर्ण कार्य

कुल कार्य

वृद्धि दर प्रतिशत में

2006-07

444806

396782

841588

-

2007-08

961280

820168

1781448

111.67

2008-09

1560485

1214139

2774624

55.75

2009-10

2357423

2259444

4616867

104.33

2010-11

2496763

2585824

5082587

96.56

2011-12

5668673

598794

6267467

23.31

स्रोत : www.narega.nic.in, 2 फरवरी 2012



तालिका-3 से स्पष्ट है कि 2006-07 में मनरेगा के अंतर्गत कुल 841588 कार्य किए गए जो 2011-12 में बढ़कर 6267467 हो गए अर्थात् 644 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वृद्धि दर में अंतर रहा है जो अधिकतम 111.67% (2007-08 में) न्यूनतम 55.75% (2008-09) रही है। वर्ष 2011-12 में 2 फरवरी तक की प्रगति है। 2011-12 में कुल कार्य में पूर्ण कार्य की संख्या 598794 जो कुल का 9.5 प्रतिशत है। प्रगतिरत कार्य की संख्या 2011-12 में 5668673 है जो कुल का 91.5 प्रतिशत है। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि मनरेगा में व्यापक पैमाने पर कार्य चल रहे हैं, जिसने गांव में विकास की स्थिति को परिवर्तित किया है।

मध्य प्रदेश में मनरेगा की प्रगति


मध्य प्रदेश में 2006-07 में 18 जिलों में यह योजना शुरू की गई थी जो 2008-09 में 31 जिलों में तथा 2010-11 से सभी 50 जिलों में लागू हो गई है। मध्य प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत प्रगति एवं अनुसूचित जाति/जनजाति की स्थिति को तालिका-4 में दर्शाया गया है।

तालिका–4 : मध्य प्रदेश में मनरेगा की प्रति

वर्ष

जॉबकार्ड प्राप्त संख्या (करोड़ में)

कार्य की मांग करने वाले परिवार की संख्या

रोजगार उपलब्ध करा परिवार की संख्या

कुल सृजित मानव दिवस (लाख में)

अनुसूचित जाति मानव दिवस (लाख में)

कुल में अनुजाति का प्रतिशत

2008-09

1.12

5207862

5207665

2946.97

525.07

17.82

2009-10

1.12

4714916

4714591

2624.03

485.04

18.48

2010-11

1.13

4445781

4407643

2198.16

425.18

19.34

2011-12

1.87

2739760

2718841

892.341

183.55

20.56

वर्ष

अनुसूचित जनजाति मानव दिवस (लाख में)

कुल में अनु. जनजाति का प्रतिशत

महिलाएं मानव दिवस (लाख में)

कुल में महिलाओं का प्रतिशत

अन्य


2008-09

1379.55

46.81

1275.39

43.28

1042.35


2009-10

1189.84

45.34

1160.55

44.23

949.15


2010-11

955.02

43.44

976.02

44.40

817.96


2011-12

241.09

27.01

378.96

42.46

467.69


स्रोत : www.narega.nic.in, 16 जनवरी 2012



यह योजना साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी देती हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में कुल रोजगार उपलब्ध कराए गए परिवार की संख्या में 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवार की संख्या बहुत कम है। 2008-09 में यह 18.8 प्रतिशत, 2009-10 में 14.4 प्रतिशत एवं 2010-11 में 10.6 प्रतिशत रही है।

मध्य प्रदेश में मनरेगा में वित्तीय प्रदर्शन एवं कार्य निष्पादन स्थिति


‘मनरेगा’ एक व्यापक महत्वाकांक्षी वित्तीय योजना है। मनरेगा में कुल उपलब्ध राशि की तुलना में कुल व्यय की राशि कम है। यह 2008-09 में 73.9 प्रतिशत, 2009-10 में 63.82 प्रतिशत तथा 2010-11 में 45.19 प्रतिशत व्यय हुई है।

वित्तीय अंतर्वेशन की दृष्टि से मनरेगा एक महत्वपूर्ण योजना है जिसने लाखों व्यक्तियों को बैंकिंग से जोड़ा है। वर्ष 2008-09 से क्रमशः खातों की संख्या में वृद्धि हुई है। 2008-09 में 55.64 लाख थी जो 2010-11 में बढ़कर 73.36 लाख हो गई। अर्थात 29.97 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

मध्य प्रदेश में मनरेगा में कार्य निष्पादन की स्थिति में भी वृद्धि हुई है। जहां 2008-09 में कुल कार्य संख्या 498521 थी वह बढ़कर 2010-11 में 776790 हो गई अर्थात 51.39 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यह स्थिति स्पष्ट करती है इस योजना से गांवों में सड़क निर्माण, जल संरक्षण, वृक्षारोपण, भूमि विकास इत्यादि कार्यों से गांवों का विकास हुआ है।

इन्दौर जिले में मनरेगा की प्रगति


इन्दौर जिले में मनरेगा योजना द्वितीय फेज में 2008-09 में प्रारंभ हुई। इन्दौर जिले में मनरेगा की प्रगति को तालिका-5 में दर्शाया गया है।

तालिका-5 : इन्दौर जिले में मनरेगा में रोजगार की स्थिति

वर्ष

जॉबकार्ड प्राप्त परिवारों की संख्या

अन्य

कुल

कार्य की मांग करने वाले परिवार की संख्या

रोजगार उपलब्ध कराए गए परिवार की संख्या

अनुसूचित

प्रतिशत

अनु. जनजाति

प्रतिशत

2008-09

36417

20.60

28077

15.88

112270

176764

33978

33525

2009-10

36448

20.65

28058

15.90

111949

176455

35214

35185

2010-11

36448

20.65

28058

15.90

111949

176455

18955

18862

2011-12

36438

20.51

28141

15.84

113041

177620

22038

22018

स्रोत : मध्य प्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण 2010-11, पृष्ठ संख्या 120. www.narega.nic.in, 14 फरवरी 2012



इन्दौर जिले में मनरेगा के अंतर्गत जॉबकार्ड प्राप्त परिवारों की तुलना में कार्य की मांग करने वाले परिवारों की संख्या लगभग एक-चैथाई से भी कम है। कार्य की मांग करने वाले लगभग सभी परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जॉबकार्ड प्राप्त करने वाले कुल परिवारों में अनुसूचित जाति का लगभग 20 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा है, जो बहुत ही कम है।

इन्दौर जिले में वर्ष 2008-09 से 2011-12 तक कुल 4878398 मानव दिवस रोजगार मनरेगा के अंतर्गत दिया गया जिसमें अनुसूचित जाति का औसतन 20 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति का भी औसतन 20 प्रतिशत हिस्सा रहा है। अनुसूचित जाति के प्रतिशत हिस्से में जहां 2008-09 की तुलना में लगातार कमी आई है, वहीं अनुसूचित जनजाति के प्रतिशत में उतार-चढ़ाव रहा है। वर्ष 2008-09 की तुलना में 2009-10 में 3.94 प्रतिशत की कमी, 2009-10 की तुलना में 2010-11 में 0.56 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि 2011-12 में 2010-11 की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इन्दौर जिले में कुल रोजगार उपलब्ध कराए गए परिवार में 100 दिन का रोजगार 2008-09 में मात्र 2.39 प्रतिशत परिवार को, 2009-10 में 4.87 प्रतिशत परिवार को, 2010-11 में 2.00 प्रतिशत परिवार को ही मिला है जो बहुत कम है। यह स्थिति योजना में वर्ष में 100 दिन के रोजगार गारंटी का परिहास कर रही है।

इन्दौर जिले में मनरेगा के अंतर्गत किए गए कार्यों में लगातार कमी आई है, 2010-11 में तो यह कमी 34.4 प्रतिशत की है। वर्ष 2008-09 से 2010-11 तक इन्दौर जिले में कुल 8719 कार्य निष्पादित किए गए हैं जिनमें 3207 कार्य पूर्ण हो चुके हैं जो कुल कार्य का 36.78 प्रतिशत है अर्थात अधिकांश कार्य अभी प्रगतिशील हैं।

निष्कर्ष एवं चुनौतियां


अदृश्य, मौसमी एवं ग्रामीण बेरोजगारी दूर करने, गरीबी दूर करने, ग्रामीण क्षेत्र का विकास करने की अद्भुत, महात्वाकांक्षी, व्यापक वित्तीय योजना ‘मनरेगा’ अपने उद्देश्य में सफल रही है जैसाकि संपूर्ण अध्ययन से ज्ञात होता है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए कोई निर्धारित प्रतिशत लाभ व्यवस्था नहीं होने के बावजूद उन्हें अच्छा लाभ मिला है। महिलाओं के लिए एक-तिहाई हिस्सा निर्धारित होने के बावजूद उससे अधिक महिलाओं की भागीदारी महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जहां भारत में इस योजना में उपलब्धियों का ग्राफ ऊपर की ओर गया है वहीं मध्य प्रदेश में उपलब्धियों का ग्राफ नीचे की ओर गया है। वास्तव में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं जैसे इसको लागू करने की लागत अत्यधिक होना (40000 करोड़ रुपये), स्फीतिकारी शक्तियों का बढ़ना, दोषपूर्ण कार्यान्वयन, भ्रष्टाचार, इत्यादि जिन्हें दूर करना होगा। योजना में पूर्ण पारदर्शिता एवं ईमानदारी रखनी होगी, तभी यह योजना अपने स्वर्णीम उद्देश्य को प्राप्त कर सकेगी। निश्चित ही यह योजना अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गरीबी एवं बेरोजगारी दूर कर उनका आर्थिक उत्थान कर सकेगी। इस संदर्भ में आरएस गोपाल का मत महत्वपूर्ण है कि-

‘‘सरकारी दावों के बावजूद यह एक ऐतिहासिक योजना है, इससे संभावित लाभों के बारे में संदेह है। यदि सही प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते तो ग्रामीण निर्धनों को इस कार्यक्रम से भी बहुत कम फायदा मिल पाएगा।’’

(लेखिका श्री अटल बिहारी वाजपेयी शा.क. एवं वा. महाविद्यालय, इन्दौर में स. प्राध्यापक अर्थशास्त्र हैं)