गंगा कूल 2

Submitted by Hindi on Mon, 08/26/2013 - 12:24
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काव्य संचय- (कविता नदी)
गंगा- कूल सिराने ओ लघु दीप-
मूक दूत से जाओ सिंधु समीप!

ढुलक-ढुलक! नयनों से आंसू धार!
कहां भाग्य ले उनके पांव पखार।

लाहौर : 1935