पानी बरसा

Submitted by Hindi on Sat, 10/04/2014 - 12:25
Source
साक्ष्य मैग्जीन 2002
.ओ पिया, पानी बरसा
घास रही हुलसानी
मानिक के झूमर-सी झूमी मधु-मालती
झर पड़े जीते पीत अमलतास
चातकी की वेदना बिरानी
बादलों का हाशिया है आसपास-
बीच लिखी पांत काली बिजली की-
कूंजों की डार, कि असाढ़ की निशानी
ओ पिया, पानी
मेरा जिया हरसा

खड़खड़ कर उठे पात, फड़क उठे गात
देखने को आंखें घेरने को बांहें
पुरानी कहानी
ओठ को ओठ, वक्ष को वक्ष
ओ पिया, पानी
मेरा हिया तरसा

ओ पिया, पानी बरसा