गंगासागर कलकत्ता से 90 मील दूर एक छोटा द्वीप जिसका क्षेत्रफल केवल 150 वर्गमील हैं। इस द्वीप में घने जंगल हैं इस कारण यह द्वीप जंगल है। लोकविश्वास के अनुसार गंगा यहीं आकर समुद्र में मिली हैं। वस्तुत: उनका मुहाना इस स्थान से कुछ हट कर समुद्र के उस पार ही है। यहाँ मकर संक्रांति को बहुत बड़ा मेला लगता है जिसमें सारे देश से यात्री आते हैं। यहाँ कपिल मुनि का एक मंदिर है किंतु इस द्वीप का अधिकांश जलमग्न रहता है इस कारण इस मंदिर की मूर्ति कलकत्ता में रखी रहती है और मेले से पूर्व किसी समय वहाँ से लाकर प्रतिष्ठित की जाती है और मेले के बाद पुन: हटा ली जाती है। यहाँ आने वाले यात्री मूँड़ मुड़ा कर स्नान और श्राद्ध करते हैं तदनंतर मंदिर में कपिल मुनि के दर्शनार्थ जाते हैं।
(परमेश्वरीलाल गुप्त)
(परमेश्वरीलाल गुप्त)