जागरण/पीलीभीत। गोमती नदी के प्रदूषण को लेकर जहां राज्य सरकार चिंतित है, वहीं इस पौराणिक नदी के उद्गम स्थल पर गंदा नाला डालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि मामले की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने फौरी तौर पर एक्शन लेने की हिदायत मातहत अफसरों को दी है। फिलहाल इस नदी की सफाई करने की पहल यहां भी किये जाने की जरूरत है।
पीलीभीत जनपद में गोमती नदी पूरनपुर तहसील क्षेत्र में स्थित ग्राम फुलहर से निकलकर ग्राम मजरा फुलहर व नवदिया टोडरपुर, नवदिया घनेश, अल्ली फाजिलपुर कटैइया से रेलवे लाइन क्रास करते हुए पचपेड़ा, प्रहलादपुर, बेगपुर, नवदिया सुल्तानपुर में आसाम रोड क्रास करती हुई खरौसा, मुकरंदपुर से होती हुई दिलीपपुर इटौरिया के नाले में जाती है। तत्पश्चात नाला व नदी का पानी रामपुर, घुंघचिहाई, रसूलपुर पचपुखरा होते हुए घाटमपुर में पूरनपुर से बंडा रोड क्रास करते हुए अमृतपुर होता हुआ पानी मदारपुर, गरीबपुर, अजीतपुर बिल्हा छूते हुए मंडनपुर इकोत्तरनाथ धार्मिक स्थल होते हुए पानी शाहजहांपुर जिले में जाता है।
माधोटांडा क्षेत्र में गोमती उद्गम स्थल स्थापित है, वहां भगवान शिवशंकर के मंदिर के अलावा यज्ञशाला भी है। हर साल दोनों गंगा स्नान के मौके पर यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। लेकिन यह सच है कि गोमती उद्गम स्थल की पौराणिकता के मद्देनजर यहां समुचित विकास की धारा अभी तक नहीं बही है। हालांकि गोमती उद्गम स्थल के विकास के लिए सरकारी स्तर पर योजनायें तो कई मर्तबा बनीं, लेकिन सरकारी फाइलों में ही दबकर रह गई। नतीजतन यह पौराणिक स्थल अभी भी विकास की किरणों से दूर है।गौरतलब है कि 13 जून को लखनऊ में आहूत उत्तर प्रदेश राज्य सलाहकार परिषद की बैठक में गोमती नदी के प्रदूषण का मुद्दा जोरशोर से उठा था। अब राज्य सरकार ने गोमती नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने की योजना बनाने की कवायद शुरू की है। इसी सिलसिले में 27 जून को उन सभी जिलों के डीएम व एसपी की लखनऊ में बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया, जहां होकर गोमती नदी बहती है। लेकिन ऐन मौके पर यह बैठक स्थगित कर दी गई है।
एक ओर गोमती नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने की राज्य स्तर पर कोशिश चल रही है, वहीं दूसरी तरफ पौराणिक नदी के उद्गम स्थल पर गंदे नाले को डालने की तैयारी भी की जा रही है। गुरुवार को पूरनपुर क्षेत्र के भाजपा नेता प्रणय वाजपेई ने लोकवाणी के जरिये इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी नवदीप रिनवा से की। शिकायत में कहा गया है कि माधोटांडा कस्बे में गंदे पानी के निकास के लिए एक नाला पूर्व से ही थाने के सामने से ही बहता है। मौजूदा समय कस्बे से दूसरे नाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दिशा में बनाया जा रहा है। नाला निर्माण का कार्य जारी है। नाले से गोमती नदी में गंदा पानी गिरने से प्रदूषण तो फैलेगा ही, वहीं लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचेगी। ऐसे में उक्त नाले का निर्माण तत्काल प्रभाव से रोका जाये।
साभार – जागरण – जून - 26, 2008