उत्तराखंड और यूपी के बीच अब देशी—विदेशी पर्यटकों से टूरिज्म का नाता जुड़ने जा रहा है। यूपी के मुजफ्फरनगर के हैदरपुर वैटलैंड में पहली बार 143 बारहसिंघा (स्वांप डियर) की गिनती ने यूपी के वन विभाग और पर्यटन विभाग की आंखों में चमक ला दी है। सबकुछ सही रहा तो पर्यटकों को महज 82 किमी. दूरी पर दो आरक्षित वन क्षेत्र मिल सकेंगे। इनमें वे वन्य जीवों, प्रवासी, देशी, स्थानीय परिंदों सहित कई दुर्लभ जीवों का दीदार कर सकेंगे।
सहारनपुर मंडल के कमिश्नर और सहारनपुर वन वृत के मुख्य वन संरक्षक ने इस ओर वैटलैंड रिजर्व यानि दलदली आरक्षित वन एरिया के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। 18 हजार एकड वन भूमि पर हैदरपुर वैटलैंड अंतर्गत रामसर साइट को भी विकसित करने का प्रस्ताव को लेकर तेजी से काम चल रहा है।
हरिद्वार जनपद के हरिद्वार वन प्रभाग अंतर्गत झिलमिल झील वन आरक्षित है। कुछ साल पहले उत्तराखंड में एकमात्र बारहसिंघा की मौजूदगी इस जंगल में होने की वजह से इसे कंजरवेशन रिजर्व के रूप में घोषित किया था। वन्य जीवों का गलियारा बाधित होने की वजह से हस्तिनापुर मेरठ से हरिद्वार तक विचरण करने वाले बारहसिंघा कुछ हिस्सों में कैद होकर रह गए। सहारनपुर वन वृत्त की ओर से कुछ सालों से मुजफ्फरनगर के हैदरपुर वैटलैंड को विकसित करने की ओर ध्यान दिया गया, तो वन्य जीवों के मूवमेंट, प्रवासी और देशी पक्षियों की चहचहाहट सहित अन्य वन्य जीवों की मौजूदगी ने चमक ला दी।
हैदरपुर वैटलैंड में बारहसिंघा की मौजूदगी का पुख्ता प्रमाण मिलने लगा तो इसकी गिनती की गई। इसमें 143 बारहसिंघा की मौजूदगी मिली, जो पहली बार इतनी बडी तादाद में दर्ज किए गए। रिकार्ड दर्ज होने के बाद इस ओर सहारनपुर के कमिश्नर संजय कुमार, सहारनपुर के वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक वीके जैन ने दिलचस्पी दिखाई। अब हैदरपुर वैटलैंड के एक हिस्से को बारहसिंघा के लिए कंजरवेशन रिजर्व बनाने के प्रस्ताव को यूपी सरकार को भेजा जा रहा है।
डबल्यूआईआई देहरादून की रहेगी निगरानी
डब्ल्यूआईआई देहरादून की एक टीम नावों और ड्रोन कैमरों की मदद से गंगा और सोलानी के बीच पूरे 18 हजार एकड़ वेटलैंड का अध्ययन करेगा। जिसमें डबल्यूआईआई देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विभाष पांडव अहम रोल निभाएंगे। कुछ महीनों तक ये जैव विविधता वाला क्षेत्र डब्लयूआईआई देहरादून की निगाह में रहेगा।
ये तथ्य भी गिनती के दौरान आया सामने
पहले यह कहा जाता था कि बारहसिंघा मानसून से पहले हरिद्वार वन प्रभाग के झिलमिलझील में चले जाते हैं और अक्टूबर के बाद लौटते हैं, पर अब ये बात सामने आई है कि उनका वास स्थल हैदरपुर वैट लैंड बनता जा रहा है। हालांकि अभी इस ओर और विस्तृत अध्ययन की अभी जरूरत है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सहारनपुर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक वीके जैन ने बताया कि उत्तराखंड में हरिद्वार का झिलमिलझील काफी महत्व रखता है। मुजफ्फरनगर के हैदरपुर वैटलैंड के छिपे हुए वन्य जीवों के बारे में हर दिन नई जानकारी उत्साहित कर रही है। दलदली आर्द्रभूमि की 18 हजार एकड़ जमीन पर पक्षियों की लगभग 290 प्रजातियों का बसेरा है। मुजफ्फरनगर जिले में बिजनौर बैराज के पास गंगा नदी के बगल में स्थित यह सबसे विशाल आर्द्रभूमि है। जिसमें जबरदस्त जैव विविधता है।सहारनपुर मंडल कमिश्नर संजय कुमार ने बताया कि दस, बीस और तीस के समूहों में बारहसिंघा की गिनती हुई है। पहली बार रिकार्ड के तौर पर बारहसिंघा नजर आएं हैं। जिससे सभी उत्साहित हैं। हैदरपुर वैटलैंड को और विकसित करने की योजना है। बारहसिंघा, बाघ की तरह वन्य जीवों की श्रेणी में शिडृयूल-1 का वन्यजीव है, जिसे संरक्षित करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। वैटलैंड घोषित करने के लिए प्रस्तावित बनाकर सरकार को भेजा जा रहा है।
हिमांशु भट्ट (8057170025)