हिम विदर (Crevasse)

Submitted by Hindi on Tue, 05/17/2011 - 13:20
हिमनद की सतह पर निर्मित गहरी दरार जो अनुप्रस्थ अनुदैर्घ्य अथवा तिर्यक किसी भी प्रकार की हो सकती है। इसका निर्माण हिमनद के विभिन्न भागों में हिम की गति में भिन्नता के कारण उत्पन्न तनाव के परिणामस्वरूप होता है। जब हिमनद के मार्ग में भूमि का ढाल तीव्र हो जाता है, हिमनद की सतह पर अधिक तनाव के कारण अनुप्रस्थ (transverse) दरारें उत्पन्न होती हैं। हिमनद घाटी के विस्तार के समय हिमनद का प्रसार दोनों पार्श्वों की ओर क्षैतिज रूप में होता है तब अनुदैर्घ्य (longitudinal) दरारों की उत्पत्ति होती है। घाटी पार्श्व से घर्षण के कारण हिमनद के किनारे वाले भागों में हिमप्रवाह की गति मध्यवर्ती भाग की तुलना में कम रहती है जिसके कारण हिमनद के सीमांत भागों में तिर्यक (oblique) दरारें निर्मित होती हैं। तीव्र ढाल से उतर कर जब हिमनद मंद ढाल से गुजरता है, हिमविदर पुनः बंद होने लगते हैं किन्तु विदर के दोनों पार्श्व प्रायः पहले जैसे नहीं मिल पाते हैं क्योंकि विदर की स्थिति में पार्श्वों पर हिमद्रवण भी होता है जिससे पार्श्वों का स्वरूप पूर्ववत नहीं रह पाता है।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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