हिमनद या हिमानी (Glacier)

Submitted by Hindi on Tue, 05/17/2011 - 12:56
एक सतत हिमराशि जो एक नियत मार्ग से गुरुत्व शक्ति के कारण भूमि के ढाल के सहारे ऊपर से नीचे की ओर अग्रसर होती है। इसका निर्माण अत्यधिक हिमराशि के संचय तथा सघन होने से होता है जिसका घनत्व जल से कम (औसत 0.90) होता है।

स्थिति के अनुसार हिमनद कई प्रकार के होते हैं जैसे हिमटोप, महाद्वीपीय हिमनद, पर्वत हिमनद या घाटी हिमनद, गिरिपद हिमनद, तटीय हिमनद आदि। हिमनद में गति उत्पन्न होने का प्रमुख कारण गुरुत्व होता है किन्तु इसके साथ ही जो अन्य कारक सहायक होते हैं उनमें हिमनद की मोटाई, स्थल की ढाल प्रवणता, तापमान आदि प्रमुख हैं। उच्चवर्ती भूमियों पर हिम के अधिक संचय से उसके भार में वृद्धि होती है जिससे वह निचले ढाल की ओर सरकने लगता है। ताप वृद्धि से हिमद्रवण आरंभ हो जाता है और हिमनद की तली तथा किनारों पर जल स्नेहन (lubrication) का कार्य करता है। हिमनद में मलवा की अधिकता तथा ढाल कम होने पर उसकी गति मंद रहती है। हिमरेखा (snowline) से नीचे की ओर बढ़ने पर हिमनद का अग्रभाग पिघलने लगता है और हिमनद पीछे लौटता हुआ प्रतीत होता है। जब हिमनद में कंकड़-पत्थर तथा शैल चूर्ण पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होते हैं, वह अपरदन का सक्रिय कारक होता है। इसके अपरदन तथा निक्षेपण क्रियाओं द्वारा अनेक प्रकार की भू-आकृतियां उत्पन्न होती हैं जिनमें यू-आकृति घाटी, निलंबी घाटी, सर्क, टार्न, अरेत गिरिऋंग, नुनाटक, ऋंग एवं पुच्छ, मेषशिलाएं, हिमसोपान, फियोर्ड, हिमोढ़, ड्रमलिन, एस्कर, केम, केटिल, हिमनद अपक्षेप आदि प्रमुख हैं।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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