हंता वायरस: स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण से ही बचाव संभव

Submitted by Shivendra on Fri, 03/27/2020 - 08:08

दुनियाभर में महामारी बने कोरोना वायरस के बाद हंता वायरस ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। चीन के लोग वायरस के कारण फिर से खौफ के साए में जी रहे हैं। उन्हें कोरोना की तरह हंता वायरस के भी महामारी बनने का डर सता रहा है, लेकिन यूं नए नए व खतरनाक वायरस का आना दुनिया में पर्यावरण के प्रति हमारी असंवेदनशीलता और स्वच्छता के अभाव को दर्शाता है। ऐसे में स्वच्छता के प्रति महात्मा गांधी के सिद्धांत याद आते हैं। वे कहते थे कि ‘‘राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी स्वच्छता है। यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है।’’ गांधी ये भी कहते थे कि शौचालय को अपने ड्राॅइंग रूम की तरह साफ रखना जरूरी है। साथ ही नदियों को साफ रखकर हम अपनी सभ्यता को जिंदा रख सकते हैं’’, लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत हो रहा है। दुनिया भर की तमाम नदियां प्रदूषित हैं। नदियों का जल पीने योग्य तो दूर, स्पर्श करने लायक भी नहीं है। विभिन्न जलस्रोतों को भी हमने प्रदूषित कर दिया है। सार्वजनिक स्थान और पानी के स्रोत मानव द्वारा उत्पन्न गंदगी से भरे पड़े हैं। अफ्रीका और एशिया के देशों में स्वच्छता न के बराबर है। यहां न तो साफ पानी पर्याप्त मात्रा में है और न ही करोड़ों लोगों के घरों में शौचालय है। इन देशों में घरों आदि से निकलने वाले कूड़ें के प्रबंधन की भी व्यवस्था नहीं है और न ही सीवर व उद्योगों से निकलने वाले कचरे के ट्रीटमेंट की व्यवस्था है। मानव की महत्वकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक जंगलों को बेतहाशा काटा जा रहा है। इन सबसे पृथ्वी का पारिस्थितकीय संतुलन बिगड़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप, डेंगू, स्वाइन फ्लू, कैंसर, कोरोना वायरस, हंता वायरस जैसी तमाम बीमारिया सामने आने लगी। फिलहाल तो दुनिया कोरोना से चिंतित है और हंता वायरस ने आकर चिंता को और ज्यादा बढ़ा दिया है। 

जनवरी 2019 में हंता वायरस से 60 लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आए थे, जिनमें से 50 लोगों को क्वारंटीन में रखा गया था, जबकि पेटागोनिया में इस वायरस के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, लेकिन हंता वायरस इस वर्ष आया भी तो कोरोना वायरस के खौफ के बीच। जिससे बीते 23 मार्च को चीन में एक व्यक्ति की मौत हो गई। जिस बस से ये शख्स सफर कर रहा था, उसमें बैठे अन्य 32 लोगों की भी जांच की गई है। लोग इस वायरस से बचने के उपाए जानने में जुट गए हैं और चीन को वायरस की फैक्ट्री कहने लगे हैं। लोगों के डर को कम करने के लिए सीडीसी ने कहा है कि हंता वायरस कोरोना की तरह महामारी का रूप नहीं ले सकता है। क्योंकि ये एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता है। हंता वायरस के फैलने का मुख्य कारण चूंहे और गिलेहरियां हैं। यदि कोई व्यक्ति चूहों और गिलेहरियों के संपर्क में आता है या अनजाने में इनके मल, मूत्र या थूक पर हाथ लगने के बाद उसे अपने चेहरे पर लगाता है, तो हंता वायरस होने का खतरा बढ़ जाता है। पेट दर्द, शरीर में दर्द, उल्टी आना, डायरिया, बुखार आदि इसके लक्षण हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि हंता वायरस की मृत्यु दर 38 प्रतिशत है, यानि सौ में से 38 मरीजों की मौत हो जाती हैं। साथ ही हंता का समय पर उपचार न कराने पर फेंफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे मौत होती है। फिलहाल इसका कोई निश्चित उपचार भी नही है।  

कई शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना वायरस पर्यावरण के साथ खिलवाड़ से तैयार किया गया है। उसी की तर्ज पर हंता वायरस भी आया है, जिसका चूंहों और गिलेहरियों को मुख्य कारण बताया जा रहा है, लेकिन वास्तव में पर्यावरण का अतिदोहन और स्वच्छता का अभाव ही मुख्य कारण है। लेकिन हमे समझना होगा कि चूंहे और गिलेहरियां इंसानों के अस्तित्व के पहले से ही धरती पर हैं, किंतु आज तक इस प्रकार की बीमारी उनसे किसी को नहीं हुई, जबकि हिंदू संस्कृति में तो इन दोनों जीवों की पूजा भी की जाती है और चूंहे को गणेश भगवान से जोड़कर देखा जाता है, जो लंका जाते वक्त सेतु बनाने में गिलेहरियों द्वारा भगवान राम की सहायता करने के रूप में है। मान्यता है कि इसी कारण भगवान राम ने गिलेहरियों को वरदान भी दिया था। इसलिए इन जीवों पर बीमारी उत्पन्न करने का ठीकरा फोड़ना तर्कसंगत नहीं लगता है, क्योंकि इसकी मुख्य वजह मानव द्वारा स्वच्छता के पर्याप्त आयामों को न अपनाना और प्रकृति का दोहन है। 

दरअसल, प्रकृति के दोहन से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा उत्पन्न हुआ है। इसने वैश्विक स्तर पर जलवायु को काफी हद तक परिवर्तित किया है। गर्म दिनों से संख्या में इजाफा होने लगा है, बेमौसम बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि हो रही है। इसने जीवों के जीवनचक्र को बिगाड़ दिया है। नई बीमारियां सामने आने लगी हैं। यहां तक कि जानवरों को अभी अब विभिन्न प्रकार की नई बीमारियों हो रही हैं। कैंसर जैसी बीमारियों से जानवरों की भी मौत होने लगी है। लेकिन केवल इंसानों के जीवन को महत्व देने के कारण ये बाते सुनाई नहीं देती हैं। इसके अलावा मांसाहार बढ़ने से जानवरों का अवैध व्यापार भी बढ़ा है। ऐसे में चीन जैसेे कई देशों में हर प्रकार के जीव को खाया जा रहा है। सैंकड़ों लोग अपने शौक को पूरा करने के लिए इन जानवरों को पालते भी हैं। ऐसे में इन जानवरों के संपर्क में आने के मामले भी अधिक बढ़ रहे हैं। जिसे पर्याप्त स्वच्छता न अपनाने से लोगों को जीवन खतरे में आ गया है। ऐसे में समय पर्यावरण संरक्षण का है और जीवों को कैद में रखने के खिलाफ मुहिम चलाई जानी चाहिए। साथ ही हंता वायरस से बचने के लिए कोरोना वायरस की तरह ही नियमित तौर पर खुद को साफ रखना होगा। हाथों को कम पानी का उपयोग करते हुए नियमित तौर पर धोएं। कचरे के प्रबंधन की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। नदियों और जलस्रोतों को निर्मल रखने की तरफ कदम बढ़ाना होगा। खेती को पूर्ण रूप आर्गेनिक बनाना होगा। तभी इस प्रकार के वायरस के प्रकोप को टाला जा सकता है।


लेखक - हिमांशु भट्ट (8057170025)


 

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