हरहट नारि बास एकबाह

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 12:20
Author
घाघ और भड्डरी

हरहट नारि बास एकबाह, परुवा बरद सुहुत हरवाह।
रोगी होइ होइ इकलन्त, कहैं घाघ ई विपत्ति क अन्त।।

भावार्थ- कर्कशा स्त्री, अकेले का घर, पराया बैल, आलसी हलवाहा, रोगी होकर अकेले रहना, घाघ कहते हैं कि इससे बढ़कर और कोई विपत्ति नहीं होगी।