17 मई, 2020 को करनाल के रंवार गाँव के निवासी अपने गाँव को पानी के तेज बहाव से घिरे हुए पाते हैं, जो तेजी से उनके घरों में घुस रहा था। बाढ़ का कारण गांव के करीब से बहने वाली आवर्धन नहर का टूटना था।
यह घटना नहर के बाएं किनारे पर 60.200 बिंदु पर एक छोटे से छेद के कारण हुई थी। सुबह करीब 3 बजे हुआ एक छोटा-सा छेद दोपहर तक 40 से 50 फीट चौड़ा हो गया था। पानी इतनी तेजी से फैला कि स्थानीय प्रशासन के हकरत में आने से पहले ही गांव के आसपास की लगभग 250 एकड़ खेती की जमीन पानी से भर गई।
तकरीबन 36 घंटों के बाद 18 मई, 2020 को दोपहर 2 बजे तक नहर की मरम्मत कर उसको ठीक किया जा सका, लेकिन तब तक क्षेत्र में पानी 4 किलोमीटर तक फैल चुका था और पूरा इलाका एक विशालकाय झील में बदल गया था। पानी निकालने के लिए प्रशासन को पंपों को सहारा लेना पड़ा। और गाँव से जलभराव को खाली कर पानी को ड्रेन संख्या एक में डालने के प्रयास किये गए।
बुरी तरह प्रभावित हुआ ग्रामीणों का जीवन
रंवार गाँव के क्षेत्र में लगभग 12000 लोग रहते हैं। आवर्धन नहर टूटने के कारण यहां 3 से चार फीट तक पानी भर गया था। बाढ़ के कारण घरेलू उपकरण, फर्नीचर, खाद्यान्न, चारा आदि बाढ़ से पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। लंबे समय पर पानी का जमाव होने के कारण पानी, बिजली, सड़क, स्कूल, एटीएम की आवश्यक सेवाएं भी बाधित हो गई थीं।
ग्रामीण इतने भयभीत थे कि उन्हें 17 मई, 2020 की रात छतों पर बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। कई मकानों में दरारें आ गई थीं, इससे ग्रामीणों ने मकानों के ढहने की आशंका जताई। जल जमाव ने उन्हें अपने सामान को छत और अन्य ऊंचे स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए भी मजबूर किया। करीब 10 परिवारों को इलाके से निकाला जाना था। एक कच्चा घर बह गया था और दो घटनाएं विषहीन सांपों के काटने की भी हुई।
नहर टूटने के स्य़ान के पास बने समीप ईंट भट्टे वाले आवास सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इसी तरह नहर के करीब बने मुर्गी और सुअर पालन केंद्रों को भी नुकसान उठाना पड़ा। कुछ जानवरों/मवेशियों की कथित तौर पर मौत हो गई है। पानी का प्रवाह इतना ज्यादा था कि उसने ऊंचा समना गांव की ओर जाने वाली सड़क का हिस्सा नष्ट कर दिया था। पानी गजन और ऊंचा समना गांव के खेतों तक पहुंच गया था, यहां पानी से सब्जी की फसल और मेडिकल काॅलेज का परिसर प्रभावित हुआ।
दक्षिण हरियाणा में पानी की कमी
इस नहर का पानी दक्षिण हरियाणा में भिवानी, रेवाड़ी और गुरुग्राम क्षेत्रों में सप्लाई किया जाता है। नहर टूटने के बाद पानी को यमुना नगर में हमीदा हेड से पश्चिमी यमुना नहर (डब्ल्यूवाईसी) में और हथिनी कुंड बैराज से यमुना नदी में डाल दिया गया। परिणामस्वरूप नहर पर निर्भर क्षेत्रों में पानी की कमी हो गई, जिसकी भरपाई करनाल में स्थित मुन्नक हेड से यमुना नहर प्रणाली में शामिल भाखड़ा नहर के पानी के माध्यम से की गई।
नहर टूटने का कारण
डिप्टी कमिश्नर निशांत कुमार यादव के अनुसार, शुरुआती निष्कर्षों से पता चला है कि गाँव के समीप आवर्धन नहर के किनारे कमजोर पड़ने के कारण नहर टूट गई थी।
विनाश के लिए सिंचाई विभाग को दोषी ठहराते हुए, ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि नहर के किनारे कमजोर होने के कारण भी नहर ज्यादातर समय पूरी भरकर बहती है, लेकिन अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था। दूसरी ओर, सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता नवतेज सैनी ने नहर टूटने का कारण पेड़ की जड़ों को बताया। उनके अनुसार नहर के किनारे पेड़ की जड़ से छेट हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि नहर के जीर्णोद्धार के लिए 489 करोड़ रुपये की टेंडर प्रक्रिया प्रगति पर थी, लेकिन लाॅकडाउन के कारण काम में देरी हुई है।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, आवर्धन नहर को 4500 क्यूसेक पानी ले जाने के लिए बनाया गया था, लेकिन गाद भरने और रखरखाव के अभाव के चलते इसकी क्षमता लगभग 1000 क्यूसेक तक कम हो गई है और वर्तमान में यह 3200 क्यूसेक पानी का परिवहन कर रहा है।
यमुना नहरों की जल क्षमता बढ़ाने की योजना अव्यवहारिक
जानकारी के अनुसार हरियाणा सरकार आवर्धन नहर की पानी ले जाने की क्षमता को 4500 क्यूसेक से 6000 क्यूसेक तक और पश्चिमी यमुना नहर किए क्षमता को 15,500 क्यूसेक से 17,530 क्यूसेक तक बढ़ाने की तैयारी कर रही है। 604 करोड़ रुपये की प्रस्तावित लागत से बनने वाली इस योजना का कार्य 2021 के अंत या 2022 के आरम्भ में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।योजना के तहत 67 किमी लंबी आवर्धन नहर के दोनों किनारों को हमीदा हेड यमुना नगर से लेकर मुनक हेड करनाल में पश्चिमी यमुना नहर में विलय होने तक, पुनर्निर्माण करते हुए चौड़ा और गहरा किया जाना है।
हैरानी की बात है कि एक ओर आवर्धन नहर में अधिक से अधिक पानी के छोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में बहने वाली इससे अधिक क्षमता की पश्चिमी यमुना नहर को पानी से वंचित किया जा रहा है। जिस कारन पश्चिमी यमुना नहर के आस पास के इलाकों में भूजल स्तर गिर रहा है और स्थानीय किसानों को सिंचाई के लिए पानी कमी का सामना कर रहे हैं।
नहर टूटना सामान्य हो गया है
स्पष्ट है कि आवर्धन नहर पर आधारित जलविद्युत परियोजनाओं को चलाने के लिए, सरकार इसमें अधिक पानी आवंटित कर रही है। इससे, पहले भी इस नहर के टूटने की कई घटनाएं हुई हैं। अप्रैल 2015 में यमुना नगर में आवर्धन नहर का 75 फीट हिस्सा टूटने से बाढ़ आई थी, जिसमें कृषि भूमि का बड़ा भूभाग जलमग्न हो गया था।
मई 2018 में फिर से इसी क्षेत्र में यह नहर टूटी थी। जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा था। गौरतलब है कि किसानों ने सिंचाई विभाग को नहर में पड़ने वाली दरारों के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था फिर भी इन दरारों की ठीक से मरम्मत नहीं हुई और नहर टूट गई।
फिर जुलाई 2018 में, यमुना नगर जिले के नचरौन क्षेत्र के आवर्धन नहर में दरारें देखीं गई जिससे आसपास के खेतों को नुकसान पहुचंने की आशंका थी और ग्रामीण काफी भयभीत थे।
इनके अलावा, सितंबर 2018 में,करनाल के शेखपुरा गांव के पास पश्चिमी यमुना नहर का एक हिस्सा टूट गया था। इससे कई गावों में बाढ़ आई और बड़े पैमाने पर कृषि भूमि पानी में डूब गई। उस दौरान किसानों ने इसके लिए नहर में अवैध खनन को जिम्मेदार ठहराया था।
सरकार को समग्र दृष्टिकोण और पाठ्यक्रम सुधार की आवश्यकता है
रिपोर्टों के अनुसार ये बात सामने आती है कि सिंचाई विभाग द्वारा रखरखाव के अभाव में कई स्थानों पर आवर्धन नहर की संरचना कमजोर हो रही है। इसके बावजूद, इस नहर में सीपेज नुकसान को कम करने के नाम पर और छोटी पनबिजली परियोजनाओं को चलाने के लिए अधिक से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। दूसरी ओर, इलाके के बहने वाली अधिक क्षमता वाली पश्चिमी यमुना नहर जलाभाव के चलते सूखी बह रही है।
एक तरफ हरियाणा में यमुना आधारित नहरों के विशेषकर आवर्धन नहर के टूटने की घटनाएं साल दर साल बढ़ती जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों और किसानों को कृत्रिम बाढ़ की मार झेलनी पड़ रही है, दूसरी तरफ इसी इलाके में बह रही पश्चिमी यमुना नहर में पानी की कमी के चलते खेती किसानी प्रभावित हो रही है। दूर-दराज के क्षेत्रों में अधिक जल स्थानांतरित करने के लिए दोनों नहरों की क्षमता बढ़ाने की सरकार की योजना यमुना और नदी पर आश्रित ग्रामीणों, किसानों को बचाने की दृष्टि से अनुचित, असंगत और असंवहनीय है क्योंकि इन नहरों में पानी का स्रोत यमुना नदी ही है जो सिंचाई, उद्योगों और पेयजल योजनाओं हेतु अत्यधिक जल दोहन के चलते हरियाणा में बारामासी से बरसाती बन गई है। इस कारण भी नदी किनारे के ग्रामीणों और किसानों को नुकसान हो रहा है। ऐसे हालातों में जब तक सरकार अपने मूल दृष्टिकोण में बदलाव नहीं करती और सबके हितों को ध्यान में रखते हुए नहरों पर अपनी आश्रिता कम करने के लिए स्थानीय जल संचयन विकल्पों के साथ साथ फसल विविधता को नहीं अपनाती, तब तक हरियाणा में यमुना नहरों के टूटने से असामयिक बाढ़ों का सिलसिला जारी रहेगा।
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