हुक्म की तामील को उच्च न्यायालय ने दी कलेक्टर दतिया को 120 दिन की मोहलत

Submitted by RuralWater on Fri, 01/12/2018 - 13:12


सीता सागर तालाब दतियासीता सागर तालाब दतियादतिया - उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना पर कलेक्टर दतिया को उच्च न्यायालय ने 120 दिन की मोहलत देते हुए आदेशित किया है कि वह पूर्व में दिये आदेशों का अक्षरशः पालन करें। साथ ही की गई कार्यवाही से उच्च न्यायालय को अवगत कराएँ।

मालूम हो कि वीर सिंह बुन्देला ने अपने पुत्र भगवान राय को दतिया का प्रथम शासक बनाया था। भगवान राय के पुत्र शुभकरन बुन्देला जब दतिया के शासक बने तब उन्होंने पहले तालाब की नींव रखी। तालाब का नाम करनसागर रखा गया। करनसागर तालाब लगभग 250 से 300 एकड़ में फैला हुआ था। शुभकरन बुन्देला ने सन 1640 से 1678 तक राज किया। शुभकरन के बाद रामचंद्र बुन्देला ने रामसागर तालाब बनवाया। रामचंद्र का कार्यकाल सन 1707 से 1733 था। राजा रामचंद्र बुन्देला की मृत्यु के बाद रामचंद्र की पत्नी रानी सीताजू बुन्देला ने सीतासागर तालाब बनवाया था जिसका क्षेत्रफल लगभग 800 एकड़ था।

दतिया के तीन वकीलों राजेश पाठक, गणेश पाण्डेय तथा दीपू शुक्ला की जनहित याचिका पर 14 सितम्बर 2015 को उच्च न्यायालय ग्वालियर ने आदेश दिया कि वह एक बार फिर अपना पक्ष कलेक्टर दतिया के समक्ष रखें तथा कलेक्टर दतिया को आदेश दिया कि वह 45 दिन के अन्दर जनहित याचिकाकर्ताओं को सुने और सीतासागर तालाब पर हुए सभी अतिक्रमण को हटाकर कर मूर्तरूप में लाएँ।

याचिकाकर्ताओं ने 15 दिन के अन्दर अपना पक्ष कलेक्टर दतिया के समक्ष रखा लेकिन कलेक्टर दतिया ने उच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी करते हुए कोई कार्यवाही नहीं की। याचिकाकर्ताओं ने 45 दिन में कोई कार्यवाही न किये जाने पर अवमानना की कार्यवाही को अमल में लाने के लिये उच्च न्यायालय को आवेदन दिया। उच्च न्यायालय ने कलेक्टर दतिया के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का नोटिस कलेक्टर को दिया बावजूद अवमानना नोटिस दतिया कलेक्टर उच्च न्यायालय से समय लेते रहे।

कलेक्टर दतिया के रवैए पर उच्च न्यायालय ने कलेक्टर दतिया श्री कुमार को 19 दिसम्बर 2016 को व्यक्तिगत उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का सख्त आदेश दिया। आदेश की गम्भीरता को देखते हुए कलेक्टर दतिया ने 28 दिसम्बर 2016 को तहसीलदार को एक आदेश दिया कि जनहित याचिका दर्शित सर्वे नम्बरों रजिस्ट्री, नामान्तरण, सीमांकन, डायवर्जन, नजूल अनापत्ति तथा भवन निर्माण स्वीकृति तत्काल प्रभाव से रोक दी जाये। लीज व पट्टे निरस्त करने की कार्यवाही आरम्भ की जाये।

जनहित याचिका में दर्शाए गए सर्वे नम्बरों का टीसीएम मशीन से सीमांकन किया जाये। तत्पश्चात पुन: अतिक्रमण रिपोर्ट उच्च न्यायालय को प्रस्तुत की सके। आदेश में कहा कि वर्ष 1943 से प्रत्येक पाँच वर्ष खसरों के अनुसार तुलनात्मक चार्ट बनाया जाये। तहसीलदार दतिया उच्च न्यायालय में प्रस्तुत जनहित याचिका में दर्शित सभी नम्बरों में से अतिक्रमणकर्ताओं के विरुद्ध बेदखली की कार्यवाही कर प्रकरण न्यायालय में भेजें।

दतिया के सीता सागर तालाब की जमीन पर बनी अवैध पुलिस काॅलोनीदतिया कलेक्टर के आदेश मिलते ही आनन-फानन में 124 अतिक्रमणकारियों को धारा 248 एम.एल.आर.सी. बेदखली का नोटिस दिया लेकिन बेदखल नहीं किया। उच्च न्यायालय से राहत न मिलती देख प्रशासन ने 74 अतिक्रमणकारियों के खिलाफ जेल वारंट जारी किये और 10 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया साथ ही 20 टीमें गठित की जिससे तालाब क्षेत्र में अतिक्रमण करने वाले चिन्हित किये जा सकें। प्रशासन की गठित टीमों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह थी कि उन्हें नहीं मालूम था कि तालाब का रकबा कितना है क्यों कि प्रशासन के पास असली नक्शा ही नहीं है।

तालाब के अन्दर भू-माफियाओं ने तो अपना कमाल दिखाया ही है सरकारी विभागों ने भी तालाब में अतिक्रमण कर अपना नाम अतिक्रमणकारियों की फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज करवाया है। अभी हाल ही में पुलिसकर्मियों के लिये एक आवासीय कालोनी का निर्माण करवाया गया है।

पानी के श्रोतों को बचाए रखने को उच्चतम न्यायालय के आदेश हैं कि पानी के स्रोतों को न बेचा जा सकता है और न खरीदा जा सकता है यदि कोई ऐसा करता है तो उसे बेदखल कर सख्त कार्यवाही की जाये। बावजूद आदेश के सीतासागर तालाब में सरकारी विभागों के गोदाम, विधि कालेज, सरकारी छात्रावास, सरकारी पार्क, पीताम्बरा पीठ मन्दिर का बड़ा हिस्सा भी अपना कब्जा जमाए हुए है। मन्दिर न्यास आज भी अतिक्रमण वाले क्षेत्र में निर्माण करने से बाज नहीं आ रहा है। प्रशासन ने भी उन्हीं लोगों पर कार्यवाही की है जो सीतासागर तालाब के चारदीवारी पर अपनी दूकानें बना कर अपना व्यापार कर रहे हैं जिन 74 अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एसडीएम वीरेंद्र कटारे ने सिविल जेल सुपुर्द वारंट जारी किये हैं।

उनमें विवेक चौरसिया, श्यामाचरण साहू, बाबूलाल, राजू अहिरवार, रामबाबू ब्राह्मण, रामचरण, पप्पू, हुकुमसिंह कुशवाह, रामबाबू, परशुराम, लखन, बाबूलाल केवट, रामकुमार केवट, संतोष अहिरवार, ओमप्रकाश, विजयराम, कमलेश बढाई, अमान, रामबाबू, पप्पू बढाई, अतर सिंह दाऊ खैरीवाले, राधावल्लभ मिश्रा, रामनिवास, रज्जन, किशोरी, चंदू, भग्गू, रामबाबू, संतोष, सीताराम लुहार, चतुर्भुज कुशवाहा, सन्तु सिंह सरदार, दक्ष प्रजापति, कमलेश झा, नीरज सिन्धी, चंदू मेंबर, जीतू किरायदार, दौलतराम सिन्धी, हरनारायन अहिरवार, अजय खंगार, जशतसिंह पाल, रमजान खां, देवा आदिवासी, तुलसी अहिरवार, संजीव, प्रमोद पाल, बबलू यादव, सामुदायिक भवन वीरांगना झलकारी बाई सर्व कोरी समाज, अवधेश कड़ेरे, मेहरवान ढीमर, पर्वत कुशवाह, रामकिशन कुशवाह, केदार मिश्रा, रामस्वरूप यादव, अनुराग पाल, देवेन्द्र शर्मा, अशोक खारे, राकेश कुमार सरदार, सन्तु सिंह सरदार, सीताराम कुशवाह, प्रदान दांगी, चिंटू कुशवाह, अंधरे पप्पू कुशवाहा, राधेश्याम दांगी, राम महाराज, प्रदीप गंगोटिया, गोविन्द दास मांझी, रामेश्वर मांझी, हरीश प्रकाश मांझी, पप्पू, नवकिरण बिल्डर्स के नाम शामिल हैं।

प्रशासन द्वारा बनाई गई टीमों ने 160 अतिक्रमणकारियों को और खोज निकाला है जिसमें से 56 अतिक्रमणकारियों को सिविल वारंट जारी किया है।

ज्ञात हो कि प्रशासन ने उन पट्टेधारकों के पट्टे निरस्त नहीं किये जिन्हें पूर्व में प्रशासन ने उन्हें दिये थे और न ही अतिक्रमणकारियों पर भी उचित कार्रवाई की। कार्रवाई न करने तथा स्वं कलेक्टर दतिया के उपस्थित न होने पर उच्च न्यायालय ने दोबारा एक नोटिस दतिया कलेक्टर को दिया।

सीता सागर तालाब को अतिक्रमण कर बनाया गया पीताम्बरा पीठ मन्दिर4 अगस्त 2017 को दतिया कलेक्टर के उच्च न्यायलय में उपस्थित होने पर कलेक्टर दतिया ने एक प्रार्थना पत्र उच्च न्यायालय को प्रेषित किया कि उन्हें आदेश के पालन के लिये 90 दिन का समय और दिया जाये जिससे शासन की सहमति पर प्रशासन द्वारा दिये पट्टों को निरस्त किया जा सके।

उच्च न्यायालय ने प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लेते हुए 90 दिन की जगह 120 दिन की मोहलत देते हुए कहा कि अदालत उन्हें 120 की मोहलत देती है वह तालाब को मूर्तरूप में लाएँ। शासन की सहमति पर प्रशासन द्वारा दिये गए पट्टे निरस्त करें अतिक्रमणकारियों को बेदखल करें तथा आदेश पालन की रिपोर्ट उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को पेश करें।