हिमकालः
अत्यन्त नूतन (प्लीस्टोसीन) युग के लिए एक प्रचलित परन्तु अवैज्ञानिक नाम। अर्थ विस्तार से यह शब्द किसी भी प्रमुख भूतकालीन शीत या हिमनदीय कल्प के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
भौमिकीय इतिहास में वह समयावधि जिसमें तापमान अत्यंत कम हो जाता है और महाद्वीपों के विस्तृत भागों पर हिमचादरों तथा हिमनदों का विस्तार होता है। इस अवधि में भूपृष्ठ का अधिकांश भाग हिमाच्छादित हो जाता है. दीर्घकाल में जलवायु परिवर्तन के कारण हिमयुग और अंतर्हिम युग एकांतर से आते रहते हैं। दो हिम युगों के मध्य अपेक्षाकृत गर्म अवधि जिसमें ताप में उल्लेखनीय वृद्धि होने से हिमचादरों का निर्वतन होता है, अंतर्हिमयुग (interglacial period) कहलाती है।
अंतिम हिमयुग का प्रारंभ लगभग 10 लाख वर्ष प्लीस्टोसीन युग या चतुर्थ युग के आरम्भ में हुआ जिस समय यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी एशिया का अधिकांश भाग हिमाच्छादित हो गया था। ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिका की हिम चादरें इसी युग की अवशेष हैं जो तब से आज तक पिघल नहीं पायी हैं।
प्लीस्टोसीन में चार मुख्य हिमनदीय अवस्थाएं (glacial phases) थीं। जो अपेक्षाकृत गर्म कालों द्वारा एक दूसरे से पृथक थीं। अंतिम हिमनदन का काल का समापन लगभग 10 हजार से 15 हजार वर्ष पहले माना जाता है। हिमयुगों के आगमन के लिए उत्तरदायी कारकों में पृथ्वी के कक्षा तल में परिवर्तन होना, ध्रुवों की स्थिति में परिवर्तन, सौर कलंक चक्र, महाद्वीपीय विस्थापन आदि प्रमुख हैं।
भौगोलिक समयावधि का कोई भी हिस्सा जब पृथ्वी का अधिकांश भाग बर्फ या हिम से ढका रहता था। हिम युग को हिमनद युग भी कहा जाता है।
अन्य स्रोतों से
वह भूवैज्ञानिक अवधि, जिसमें महाद्वीपों पर हिमनदियाँ बर्फ-चादरों के रूप में छा गई थीं। इन बर्फ-चादरों ने समुद्रों को घेर लिया था और महासागरों का ताप कम कर दिया था। नवीनतम हिमयुग चतुर्थ महाकल्प के आदि से आरम्भ होता है, उस समय यूरोप और उत्तरी अमरीका के अधिकांश भाग पर बर्फ जम गयी थी। ग्रीनलैंड तथा ऐन्टार्कटिका की वर्तमान बर्फ-चादरें इस हिमयुग के अवशेष हैं।